उड़ता कछुआ – Flying Turtle Hindi Story

Udata hua kachuwa… baccho ki kahani.. बहुत समय पहले एक तालाब में संकट और विकट नमक दो हंस रहते थे। उसी तालाब में एक कछुआ भी रहता था जिसका नाम था कम्बुग्रीव। वह कुछ मूर्ख था। साथ रहने के कारण कम्बुग्रीव की दोनों हंसों से मित्रता हो गई थी।

एक दिन कुछ मछुआरे उस तालाब के निकट आ पहुंचे। एक मछुआरा बोला, ‘हाँ भाई, यह है वह तालाब, जिसमें खूब बड़ी-बड़ी मछलियाँ है।’

इस पर दूसरा मछुआरा बोला – ‘इसमें सिर्फ मछलियाँ ही नहीं कछुएं भी हैं।’

यह सुनकर तीसरे मछुआरे ने कहा – ‘ठीक है भाइयों, कल हम लोग इसी तालाब में जाल डालेंगे। आओ चलें, रात होने वाली है।’

मछुआरों की बातें सुनकर कछुआ चिंतित और परेशान हो उठा। इस पर संकट हंस बोला – ‘धैर्य रखो मित्र, कल की बात कल सोचेंगे। क्या पता, वे मछुआरे इधर आते भी हैं या नहीं। यदि वे आ गए तो तुम्हें बचाने का कोई उपाय भी सोच लेंगे।’

कम्बुग्रीव कछुआ बोला – ‘संकट की घड़ी में तो तुम दोनों उड़ जाओगे, लेकिन मैं बेमौत मारा जाऊँगा। इसलिए तुम कोई ऐसा उपाय सोचो कि मैं किसी दूसरे सरोवर में शिघ्रातीशीघ्र पहुँच जाऊँ।’

इस पर विकट हंस बोला – ‘दूसरे सरोवर तक की दूरी स्थल मार्ग से तुम कैसे तय कर पाओगे। तुम्हारी चाल तो काफी सुस्त है।’

कछुआ बोला – ‘मित्रों, कोई ऐसा उपाय करो कि मैं आप लोगों के साथ आकाश मार्ग से उड़कर दूसरे सरोवर तक पहुँच जाऊँ। इसमें कम समय लगेगा।’

संकट हंस बोला – ‘ये असंभव है।’

इस पर विकट हंस बोला – ‘ऐसा संभव हो सकता है। मगर इसमें बहुत खतरा है।’

कछुआ बोला – ‘खतरा तो उठाना ही पड़ेगा। बस तुम उपाय बताओ।’

संकट और विकट हंस ने उसे समझाते हुए कहा – ‘हम दोनों लकड़ी के एक डंडे को दोनों छोरों से अपने पंजों से पकड़ लेंगे। तुम उस डंडे को बीच से अपने मुंह द्वारा पकड़कर लटक जाना। इस प्रकार हम तुम्हें उड़ाकर दूसरे सरोवर तक पहुँचा देंगे। लेकिन इस उपाय में खतरा भी है। जब हम तुमको अपने साथ ले उड़ेंगे तो उस दृश्य को देखकर बहुत से लोग आश्चर्य से टिका-टिप्पणी भी करेंगे। तुम्हें चुप रहना होगा। यदि बोले तो आकाश से सीधे पृथ्वी पर जा गिरोगे। ऐसे में तुम्हारा क्या होगा, यह तुम अच्छी तरह जानते हो।’

यह सुनकर कछुआ बोला – ‘भाई मैं मूर्ख नहीं हूं जो अपना मुंह खोलूँगा। लोग चाहे कुछ भी बोले, मैं उनकी बातों की ओर कोई ध्यान ही नहीं दूँगा।’

फिर दोनों हंसों ने लकड़ी का एक डंडा खोजकर उसके दोनों छोरों को अपने पंजों में दबा लिया और कछुए ने उस डंडे को बीच से अपने मुंह द्वारा पकड़ लिया, इसके बाद तीनों आकाश मार्ग से उड़ चले।

इस प्रकार हंसों और कछुए को उड़ते देख नीचे खड़े लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। कुछ बच्चे आश्चर्यचकित होकर उनके पीछे-पीछे दौड़ने लगे।

उन बच्चों को अपने नीचे दौड़ता देख कछुआ नाराज़ हो गया और उसने जोर से कहा ‘ भाग जाओ ‘ मगर वह सिर्फ ‘ भाग ‘ ही कह पाया था कि बोलने की वजह से उसके मुंह से डंडे की पकड़ छूट गई और वह धड़ाम से नीचे गिरा और उसकी इस मुर्खता ने उसके प्राण ले लिए।

तो दोस्तों इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिली, क्या आप बता सकते हैं ? चलो मैं ही बता देता हूं जिस प्रकार जब आप कोई नए काम की शुरुवात करते हो तो आपको लोगों के comments का सामना करना पड़ता है।

ऐसा कैसे होगा ?

तुम नहीं कर पाओगे।

क्या तुम बेवकूफ़ हो, जो ऐसा कर रहे हो?

लगता है पागल हो गया है।

ऐसे कई comments है जिसे आपको सुनने पड़ेंगे, पर अगर आपका लक्ष्य निर्धारित है तो आपको दूसरों की बातों को एक कान से सुननी है और दूसरे कान से निकाल देना है, पर क्या ऐसा होता है। हम ऐसे comments सुनने के आदि नहीं है, और नाराज़ हो जातें है, हमें गुस्सा आता है और इसी के चलते हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं।

इसलिए अपने लक्ष्य पर ध्यान एकत्रित करें क्योंकि ‘ कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।

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