बच्चों में 12 बुरी आदत और उनके Solution

बच्चों की behavior और problems पर बातचीत के दौरान कई common problem सामने आई। कई बार ये habits parents के लिए सिरदर्द बन जाती है

आज हम इस आर्टिकल में discuss करेंगे कि-

  • कैसे अपने बच्चे को अच्छी आदत सिखाए?
  • कैसे अपने बच्चे को जल्दी उठने कि आदत सिखाए?
  • बच्चे को गुस्सा आए तो क्या करे?
  • बच्चा झूठ बोले तो क्या करे?

बच्चों कि 12 बुरी आदत और उनके समाधान

बच्चों में 12 बुरी आदत और उनके Solution

1. कई बच्चे सुबह उठने मे काफी परेशान करते है। तीन-चार बार जगाना पड़ता है, फिर कही जाकर जल्दबाजी में School के लिए ready होते है।

सबसे पहले तो देखिये कि वो रात को time से सोए। सोने से पहले school की सारी preparation कर लें। उठाने की प्रक्रिया की बजाय धीरे-धीरे उसे खुद से उठने की habit डालने की कोशिश करें।

Time लगेगा, लेकिन कुछ time बाद वह अपने आप उठने लगेगा। School के दिनों में आप उठाइए, लेकिन छुट्टी के दिन alarm लगाकर उठने की habit डालिए। Time fixed कीजिए।

Time से न उठने पर discipline तोड़ने के लिए सजा दीजिए, जैसे – favorite breakfast या T.V program या घूमने से वंचित करना।

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2. कई Parents बच्चों को Share करने की आदत से परेशान होते है।

Joint family है या आप अधिक social है, तो बच्चे बचपन से ही share करना सीखते है, क्योंकि वहां सब कुछ मिल-बाटकर किया जाता है, लेकिन अकेला बच्चा अपनी चीजों के प्रति बहुत अधिक एकाधिकार (monopoly) की feeling रखता है।

Sharing की habit सिखाने के लिए जरूरी है कि जब भी आप उसके लिए कुछ लायें, तभी सबके साथ मिलकर share करना सिखाए।

कभी-कभी park या दुसरो के घर भी उसके खिलौने लेकर जाए, जहाँ वो उनके साथ खेल सके। इस तरह वह sharing भी सीखेगा और enjoy भी करेगा

3. आज ज्यादातर mother बच्चों की food habit को लेकर परेशान रहती है। खाने के मामले में बच्चे बेहद moody हो गए है। उन्हें daily verity भी चाहिये और taste भी। घर का सदा खाना उन्हें पसंद नहीं आता

इसके लिए बच्चों को दोष देना गलत होगा। आज बचपन से ही बच्चे parents के साथ restaurant में भोजन का taste चख लेते है।

इसके अलावा T.V पर Ads और magazines में tasty dishes देखते है, तो verity की चाहत natural है, लेकिन daily ऐसा खाना खिलाना तो possible नहीं है।

छोटे बच्चों को तो घर के खाने को थोड़ा colorful बनाकर दिया जा सकता है और बड़े बच्चों को एक time सदा व balanced food दीजिए।

दूसरी बार उनकी favorite dish दीजिए, साथ में फल और हरी सब्जियों की शर्त भी होनी चाहियें। Sunday को favorite food को खुली छूट दी जा सकती है।

साथ ही उन्हें खुद cooking के लिए excited कीजिए। Problem अपने आप solve हो जाएगी।

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4. बच्चों को बहुत जल्दी गुस्सा आता है और गलत संगत में वे अक्सर गलत शब्द भी बोलने लगते है।

ये सच है कि आज बच्चों में गुस्सा और हिंसा की प्रकृति बढती जा रही है। इसके लिए आपको घर के माहौल पर ध्यान देना होगा।

कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी छोटी-छोटी ग़लतियों पर आपका हाथ उठ जाता है या आपको गुस्सा आ जाता है।

आपका सयंमित व्यवहार ही इस Problem का solution है। ऐसे खिलोने न दें, जो हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ाते है।

ऐसे Program भी न देखें और न देखने दें। यदि बच्चे फिर भी काबू में न आए, तो समय रहते Counselling करवाए।

गलत शब्द भी वो सुनकर ही सीखता है। इसलिए खुद पर, उसके दोस्तों पर और आसपास के माहौल पर नजर रखें।

5. बच्चों में argument करने की habit तथा पलट कर जवाब देने की habit parents को परेशानी में डाल रही है।

Argument की habit जिज्ञासा (curiosity) का परिवर्तित रूप (converted form) भी कहा जा सकता है।

जब बच्चे को किसी काम के लिए कहा, टोका या मना किया जाता है, तब वो उसका reason जानना चाहता है।

अक्सर parents किसी reason को सही तरीके से expressed नहीं कर पते है और कह बैठते है’ करना है तो करो ‘ या ‘ मानना है तो मानो ‘, ‘ फ़ालतू की बहस मत करो ‘।

यहीं से पलट कर जवाब देनी की habit पड़ती है। बच्चों की जिज्ञासा (curiosity) या questions को patience के साथ सही तरीके से clear करना जरूरी है।

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6. पढ़ाई के time बच्चों में concentration की कमी देखि जाती है।

मेरे विचार में बच्चों में concentration की कमी नहीं है, क्योंकि अपने favorite work को वो बड़ी ही concentration के साथ घंटो कर सकते है।

वो घंटो video games खेल सकते है, T.V program देख सकते है, लेकिन पढ़ाई के मामले में 15-30 minute भी मुश्किल से बैठते है। इसका reason हो सकता है कि पढ़ाई में interest न हो।

पढ़ाई में interest तब कम होती है, जब subject समझ में नहीं आता है। इस बात को ध्यान में रखिए। Concentration से पढ़ाई करते time किसी भी प्रकार का रूकावट न आने पाए।

पढ़ाई का time और स्थान fixed कीजिए। Help के लिए खुद को free रखिए। यदि वो मन लगाकर पढ़ता है, तो उसकी appreciation कीजिए। इस तरह उसे encouragement मिलेगा।

साथ ही ये भी याद रखिए कि हर बच्चे की concentrate करने के ability अलग-अलग होती है। उसकी दूसरों से compair मत कीजिए। किंतु ध्यान रखें की discipline जरूरी है।

7. भाई-बहन की आपसी लड़ाई से माता-पिता दुखी हो जाते है।

भाई-बहन की बीच लड़ाई, कहा-सुनी हर व्यक्ति के बचपन का ऐसा part होता है, जिसे वे बड़े होने पर बड़े प्यार से याद रखते है।

इसलिए यह चिंता का विषय नहीं है, बल्कि इससे argument power बढ़ती है, हार और जित को accept करना आता है और लड़ाई खत्म होने पर प्रेम बढ़ जाता है।

बस आप उनके पूरे तर्क-वितर्क सुनिए। बाद में जरूरत हो, तो suggestion दीजिए। गलत-सही का परिचय कराए और हाँ, इस बात का ध्यान रखिए कि बच्चे violent न होने पाए।

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8. Branded और महंगी चीजों के प्रति बच्चों की जिद बढ़ रही है और न मिलने पर गुस्सा हो जाते है।

Problem की जड़ में कुछ हद तक जरूरत से ज्यादा लाड-दुलार है और थोड़ा-बहुत friends की देखा-देखी चीजों की फरमाइश है।

इसमें advertisement जगत का भी बड़ा ज़ोरदार हाथ है। बच्चों को starting से ही अपनी financial status से aware कराते रहें और अपनी problems बताते रहें। जितना आपके वश में है और जो जरूरी है, ज़रूर दिलाए।

लेकिन जिद को बढ़ावा मत दीजिए। ‘ना’ कहना सीखीए, लेकिन ‘ना’ कहने से पहले बच्चों की ज़िद के उचित या अनुचित को गहराई से समझ लीजिए।

एक बार ‘ना’ कहने के बाद उस पर अटल रहिए, फिर उसके गुस्से या ज़िद की परवाह मत कीजिए।

9. आज के बच्चों को पैसे की कद्र नहीं है।

यह Situation प्राय working parents के बच्चों में ज्यादा दिखाई देती है। खासकर वह, time न दे पाने के कारण parents अनाप-सनाप खर्च करके बच्चों को ढेरों ख़ुशियाँ देना चाहते है।

ऐसा करके parents अपने अपराधबोध से तो छुटकारा पा लेते है, लेकिन बच्चों को गलत शिक्षा देते है। यह बहुत जरूरी है कि पैसा देखकर व जरूरत होने पर ही खर्च किया जाए।

यह काम तो parents को ही करना होगा। खुद भी संभाले और बच्चों को भी संभाले।

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10. झूठ बोलना गलत है। कोई माता-पिता नहीं चाहते कि उनका बच्चा झूठ बोले, फिर भी कई बच्चें इस आदत का शिकार हो जाते है।

जब पहली बार बच्चे का झूठ पकड़े, तो उसे easily न लें, न ही किसी से छुपाने की कोशिश करें। अक्सर हम अपने बच्चे की गलती इसलिए दुसरो से छिपा लेते है कि उसका अपमान न हो। लेकिन यहीं से बच्चे के झूठ की starting होती है।

बचपन का झूठ मासूम होता है, लेकिन इसे हल्केपन से न लें। झूठ किसी भी कारण से बोला गया हो, उसे शय देना बिलकुल गलत होता है।

साथ ही इस बात पर भी ध्यान दें कि उसके झूठ बोलने का reason क्या है। यदि डर या stress है, तो patience व दिलासा से future में control किया जा सकता है।

झूठ से अपनों का believe टूटता है। समझाने से बच्चे समझते भी है और आपके साथ और विश्वास से झूठ पर रोक भी लग सकती है।

11. अक्सर बड़ों को शिकायत होती है कि आज के बच्चे social नहीं है

पर, ऐसा है नहीं। शायद, बच्चों का दायरा बदल गया है। वो अपने friends या हम उम्र लोगों के साथ घंटो time बिता सकते है, लेकिन घर आए guest के साथ formal Hi-Hello से ज्यादा का आदान-प्रदान नहीं होता। न ही बच्चे parents के साथ कही जाना पसंद करते है।

इसके अलावा ये बातें घर के माहौल पर भी depend करती है। फिलहाल यदि आप चाहते है कि आपका बच्चा social हो तोशुरूवात कीजिए अपने उनके friends व parents से।

जी हाँ, उन्हें अपने घर invite कीजिए। दो बार ऐसी party होगी, तो तीसरे वो खुशी-खुशी आपके साथ जाएगा भी और घर आए guest के साथ time भी बिताएगा।

12. आज के बच्चे ख़ुदग़र्ज़ हो गए है।

बच्चों में कुछ जन्म-जात प्रवृतियां होती है और कुछ बातें वो वातावरण से gain करता है। ख़ुदग़र्ज़ माहौल की देन हो सकती है या emotional development की कमी के कारण भी हो सकती है।

अक्सर, हर इन्सान जो पता है, वही देता है। इसके लिए जरूरी है कि आप आसपास के माहौल पर ध्यान दें।

बचपन से ही caring और sharing की habit सिखाए। जो लोग दूसरों की care करते है, दूसरों के प्रति sensitive होते है, वो ख़ुदग़र्ज़ नहीं हो सकते है।

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