Amir kaise bane? Carorpati kaise bane? मानव जन्म का सबसे बड़ा अभिशाप निर्धनता या दरिद्रता है। मानव सभ्यता के नाम पर यह काला धब्बा है। निर्धन व्यक्ति कहीं का नहीं होता – न घर का, न घाट का। आपको ऐसे अनेक व्यक्ति मिल जायेंगे, जो प्रतिभावान तो है, लेकिन निर्धनता न ऐसे जकड़ें हैं कि उनकी क्षमताओं का विकास ही नहीं हो पाता। दरिद्रता एक ऐसा भयंकर महारोग है, जो तन-मन दोनों को भष्म कर देता है। निर्धन व्यक्ति दयनीय और हास्यास्पद हो जाता है।
संसार में कुछ ऐसे व्यक्ति भी हैं, जो निर्धनता हो वरदान मानते हैं, अभिशाप नहीं। उन्हें निर्धनता में ही सुख मिलता है। वे कहते हैं कि मनुष्य 99 के फेरे से बचकर चिंता मुक्त जीवन जी सकता है। वे लोग footpath पर ही जीवन बिता देते हैं और ऐसी स्तिथि में ही अपने को स्वतंत्र मानते हैं, लेकिन यह एक भ्रम है, खुद को धोखा देना है।
अभाव, गरीबी और हीनता से सुख और शांति कैसे प्राप्त हो सकती है? सर्दी में बिना कपड़ों के ठिठुरता हुआ आदमी सुखी नहीं हो सकता। बिना आसरे के बरसात में भीगते हुए हुए आदमी को कौन सुखी कहेगा?
निर्धनता में अपने मन का भी बड़ा योगदान है। अगर आप अपने विचार भिखारियों जैसे रखेंगे, तो भिखारी ही बन जायेंगे। जो सदा असफल के संबंध में सोचता है, वह सदा असफल रहता है।
निर्धनता से दुखी और परेशान रहने वाला व्यक्ति संकटों को कल्पना करता है, उसका मानसिक और शारीरिक संतुलन भी नष्ट हो जाता है। उसे भौतिक सुख तो मिलते ही नहीं, वह शारीरिक सुखों से भी वंचित हो जाता है। सफलता के दरवाज़े उसके लिए बंद हो जाते हैं।
संसार में जितने भी महान और महान व्यक्ति हुए हैं, वे आशावादी थे, केवल आशावादी ही नहीं, दृढ़ आशावादी थे। यदि वे आशावादी का संबल लेकर न चलते, तो हो सकता था कि वे संघर्षों में जूझते हुए मर-खप गए होते या पागलखाने में आबाद होते, पर वे आशावादी थे, दृढ़ आत्मविश्वासी थे, इसीलिए वे संसार में सफल हुए। सच तो यह है कि आशावादी व्यक्ति ही हँसते-हँसते जीता है और एक दिन उन्नति के शिखर पर होता है।
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इसलिए अगर आप धनी होना चाहते हैं, सम्पन्न तथा समृद्ध होना चाहते हैं, तो अपने मन में निर्धनता या गरीबी के बारे में विचार उठाने ही मत दीजिए। निर्धनता की चिंता को मन से निकाल दीजिए। भविष्य में होने वाली जलन और डर को मन से निकाल दीजिए। मन को केवल अपने काम को तत्परता से करते रहने के विचारों से पूर्ण रखिए।
एक युवक निर्धनता और मायूसी का जीवन बिता रहा था। कुछ दिन बाद उससे मुलाक़ात हुई, तो उसने बताया कि अब उसके पास मोटरकार है, बँगला है और धन-दौलत आदि सभी कुछ है। उसका कायाकल्प हो चुका था, क्योंकि उसने यह जान लिया था कि निर्धनता उसके अपने हाथों की बनाई हुई है। जबसे उसके मन में ये विचार आए, उसी दिन से उसने मन से गरीबी के भावों की जड़ों को उखाड़कर फेंका तथा दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के कारण ही उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होने लगी।
आशा ही सुख और समृद्धि का बीज है। दृढ़ संकल्प को धारण कर जब आप निर्धनता, असफलता और निराशा को ललकारेंगे, तो वे आपके पास टिक नहीं पाएंगे।
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