विमुद्रीकरण पर निबंध

जब सरकार पुरानी मुद्रा (currency) कानूनी तौर पर बंद कर देती है और नई मुद्रा लेन की घोषणा करती है, तब इसे विमुद्रीकरण यानि demonetisation कहते हैं। इसके बाद पुरानी मुद्रा की कोई कीमत नहीं रह जाती।

भारत में अभी तक तिन बार पूर्ण रूप से विमुद्रिकरण (demonetisation) हुआ है। सर्वप्रथम 1946 में 500, 1000 तथा 10 हजार के नोटों को बंद किया गया, इसके बाद सन 1978 में मोराजी देसाई की जनता पार्टी सरकार ने 1000, 5000 तथा 10 हजार के नोट बंद कर दिए गए। हाल ही में 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 500, 1000 रूपए का विमुद्रिकरण कर दिया तथा सरकार ने इसके बदले 500 व 2000 के नोट जारी किये।

विमुद्रीकरण करने का कारण

  1. काला धन, भ्रष्टाचार, नकली नोट और आतंकी गतिविधि पर अंकुश लगाने हेतू।
  2. नगद लेन-देन प्रभावित करने हेतू।

विमुद्रिकरण के प्रभाव – Effect of demonetisation : विमुद्रिकरण से किसी भी राष्ट्र पर सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रकार के अभाव पड़ते हैं, जो इस प्रकार है।

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सकारात्मक प्रभाव : Positive effect

  1. काले धन पर करारा प्रभाव तथा नकली नोटों की समाप्ति।
  2. आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी गतिविधियों पर चोट।
  3. Tax collection में बढ़ोतरी।
  4. Cashless अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।

नकारात्मक प्रभाव : Negative effect

  1. विमुद्रिकरण के दौर में देश के पर्यटन उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  2. अर्थव्यवस्था में कुछ समय की सुस्ती के कारण G।D।P पर प्रभाव पड़ता है।
  3. किसी उत्सव या शादी के प्रबंधन में समस्या आती है।

अत: निष्कर्ष निकलता है कि विमुद्रिकरण किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए लम्बे समय तक फायदा ही लेकर आता है, इसका कोई विशेष नकारात्मक प्रभाव राष्ट्र पर नहीं पड़ता तथा साथ ही साथ यह राष्ट्र की आर्थिक सुद्रदता भी प्रदान करता है। अत: स्पष्टत : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाया गया यह कदम सराहनीय है।