कम समय में परीक्षा की तैयारी कैसे करें? 11 step by step tips

Kam Samay Me Padhai Kaise Kare? Exam preparation kaise kare? Padhne ka shedule kaise banaye? हर क्लास में कुछ बच्चे ऐसे होते है जिनकी attendance 100% होती है और वो कोई भी क्लास मिस नहीं करते चाहे कोई शादी हो, बारिश आए, तूफ़ान आए, वो हमेशा ही क्लास में ही दिखेंगे। वो हमेशा notes बनाते रहते है।

उनका चश्मा हर क्लास के बाद मोटा होता जाता है और teachers भी उन्ही तरफ देख के पढ़ाती है, बाकी students से कोई उम्मीद ही नहीं होती। ऐसे students पास करने के लिए नहीं बल्कि top करने के लिए पढ़ते है।

पर मैं ऐसा नहीं था मैं पूरे साल बहुत काम classes अटेंड करता था और कभी क्लास में पहुँच जाऊ तो साथ वाले से पूछना पड़ता था कि आज कौन सा chapter चल रहा है।

पर इन सब के बावजूद मैं इतने अच्छे marks ले आता था कि मैं रिजल्ट के मामले में क्लास के टॉप 4-5 स्टूडेंट के बराबर था। अपना यही फार्मूला आज मैं आप लोगो को बताने वाला हूँ।

ये आर्टिकल शायद उन लोगो के लिए ना हो जो टॉप करने के लिए पढ़ते है, पर ये उनके लिए है जो परीक्षा में अच्छे मार्क स्कोर नहीं कर पाते।

मैं पूरे साल बिना पढ़े ही अच्छे मार्क हासिल कर लेता था। अब मेरे ये फार्मूला जानने से पहले हो सकता है कि आपके दिमाग में ये सवाल आ रहा हो कि मैं पूरे साल रहता कहा था classes क्यों नहीं अटेंड करता था?

असल में मेरे पढ़ाई से ज्यादा किसी और चीज में मन लगता था। हमारी सोसाइटी में classes मिस करने वाले को गुनेहगार की नजरों से देखा जाता है।

पर दुनिया में सब तरह के student है, कुछ ऐसे है जोकि classes मिस करके घूमना-फिरना पसंद है और कुछ ऐसे भी है जिनको अपने पिता को मदद करने के लिए दुकान पर बैठना पड़ता है।

मेरा केस अलग था मैं drawing-painting में अपने कॉलेज को zonal level में, state level पे represent करता था। इसलिए कई-कई महीने तैयारी में निकल जाते थे, practice करते हुए निकल जाते थे।

और इसीलिए मैं कॉलेज में तो होता था पर क्लास में नहीं। मेरी attendance short होने पे कॉलेज वाले ही पूरी कर देते थे क्योंकि drawing-painting भी तो उन्ही के लिए करता था।

अगर मेरी ये सब बातें सुनकर आपके मन में आरहा होगा कि – इसीलिए नंबर भी ऐसे ही मिल जाते होंगे, तो ऐसा नहीं था। एक बार मैं क्लास में गया और उस दिन टेस्ट था टेस्ट के बीच में मैंने अपने प्रोफेसर से पूछा की या question syllabus में है?

तो उन्होंने मुझसे कहा की ये उस दिन पढ़ाया गया था जिस दिन तुम drawing-painting के लिए गायब थे।

तब मुझे लगा कि मैं ऐसा क्या करूँ कि मेरी hobby भी चलती रहे और मार्क्स भी आ जाए। तब ये फार्मूला बना जो मैं आज आपके साथ शेयर करने वाला हूँ।

एक महीने में परीक्षा कि तैयारी करनी है तो follow करे ये उपाय- Kam Samay Me Exam Ki Taiyari Kaise Kare?

1. परीक्षा से 30 दिन पहले पढ़ाई पे लग जाता था

मान लो की मेरे exam 30 मार्च को है, तो मैं 1 मार्च से पढ़ाई शुरू कर देता था। सबसे पहले मैं अपने सामने date sheet रखता था। उसके मुताबिक सरे सब्जेक्ट की बुक एक जगह इक्कठा कर लेता था।

जब मैं ऐसा नहीं करता था तो मुझे एग्जाम के दिनों में पता चलता था कि ये बुक तो मेरी गुम हो गई है, वो बुक तो मैंने दोस्त को दी थी। इसलिए no surprises, सारी बुक एक जगह इक्कठा कर लो तब time waste नहीं करना है।

उन सब किताबों को कमरे के एक कोने में रख देता था और घरवालों को बोलता था की मेरे एग्जाम होने तक कोई इन किताबों को ना छेड़े।

2. हर विषय को 5 दिन पढ़ना है

मैं प्लान करता था कि हर सब्जेक्ट को 5 दिन पढ़ना है और उन 5 दिनों को भी डिवाइड कर लेता था के 3 दिन उस सब्जेक्ट के एग्जाम से बिलकुल पहले और बाकी 2 दिन एग्जाम शुरू होने से पहले जो मैंने 30 दिन रिज़र्व किये है उस दौरान।

इस हिसाब से अगर मेरा पहला एग्जाम 31 मार्च को है तो मैं 28, 29 और 30 को पहले एग्जाम की तैयारी करूँगा क्योंकि ये उस एग्जाम से पहले के 3 दिन है।

मान लो की मेरे 8 सब्जेक्ट है अगर हर सब्जेक्ट को 2 दिन दूं तो मुझे चाइये 14 दिन। अब तो मैं 28 से booked हु पहले एग्जाम की main तैयारी के लिए इसलिए उससे पहले के 14 दिन होंगे सरे सब्जेक्ट के revision की तैयारी।

अब पहले एग्जाम की डेट से पहले के 3 दिन और 14 दिन यानि 17 दिन booked हो गये। अब बाकी 13 दिन क्या करना है? यानि 1 मार्च से 13 मार्च तक मैं क्या करूँगा?

अब मैं tough और easy सब्जेक्ट को मार्क कर लेता था। हर किसी के इजी और डिफिकल्ट अलग हो सकते है। तो पहले 13 दिन मैं tough सब्जेक्ट के लिए extra तैयारी के लिए reserved कर लेता था।

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3. Sample paper

Market में sample paper मिलते है जिनसे आइडिया लग जाता है कि कौन से विषय important है। एग्जाम में कैसे question आते है।

बाजार में गाइड बुक्स भी मिलती है। मैं इन सैंपल पेपर का format समझने की कोशिश करता था कि एग्जाम के point of view से किस तरह के topic important है और किस तरह के question exam में आ सकते है।

4. पढ़ाई शुरू

सबसे पहले theory. Exam में definition लिखने के अच्छा मार्क्स मिलते है। इसलिए में इन extra tayyari (1-13 march) के दिनों में हर टॉपिक की 2 definition याद करता था।

ऐसी तैयारी करते था कि किसी भी definition को पढ़ कर ये बता सकू की उसे किसने लिखा है। और किसीका भी नाम पढ़ के ये बता सकू की उसने कौन सी definition लिखी है।

Sample पेपर के मुताबिक important numerica भी करता था।

5. Mini तैयारी शुरू (14-27 march)

इसमें हर सब्जेक्ट के लिए 2 दिन है। मैं सबसे पहले सबसे मुश्किल या बोरिंग या lengthy subject पकड़ता था और करते-करते आसान subjects पर आ जाता था। ताकि एग्जाम के पास पहुंचने तक मुझे थोड़ा confidence आ जाए की कुछ तो तैयारी हुई है।

तैयारी के दौरान मेरे पढ़ने का तरीका बहुत ही important था और शायद यही मेरा सबसे बड़ा हथियार था। एक हाथ में बुक होती थी और दूसरे हाथ में पेंसिल।

मैं पूरी बुक को 2 दिनों में पढ़ता था और साथ-साथ important words, headings, name, sentences को underline करता जाता था।

अब आप ये सोचोगे कि important क्या है ये मैं कैसे decide करता था? मेरी सैंपल पेपर के रिसर्च के मुताबिक, मैं जब भी कुछ अंडर लाइन करता था तो अंडर लाइन करते हुए उस word या sentence को मुँह से भी बोलता जाता था।

6. अब बात करते है पढाई के बिच brakes कि

मैं कभी भी टाइम के हिसाब से ब्रेक नहीं लेता था। मैं हमेशा chapter के हिसाब से ब्रेक लेता था की इन 3 chapter के बाद ब्रेक लूंगा, इन 2 chapter के बाद मैं ब्रेक लूंगा।

इससे पढ़ाई का flow नहीं टूटता। लंच से पहले जितना ज्यादा हो सके पढ़ लेता था। फिर लंच के बाद 1-2 घंटे की नींद क्योंकि brain के लिए रेस्ट बहुत जरूरी है।

उसके बाद शाम को उठकर फिर पढ़ लिया फिर डिनर के बाद 11 बजे तक और पढ़ लिया। मैं हर हाल में मैं 2 दिन में अपनी पूरी स्पीड के साथ पूरी बुक पढ़ लेता था।

दूसरी रात को सोने से पहले अगले दिन से जो सब्जेक्ट पढ़ना है उसकी बुक निकालकर उसमे पेंसिल रखकर ही सोता था।

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7. परीक्षा शुरू होने के 3 दिन पहले

एग्जाम से 3 दिन पहले मैं तैयारी शुरू करते हुआ मैं अपना पूरा फोकस उसी सब्जेक्ट पर रखता था। पूरी बुक दोबारा पढ़ता था पर इस बार अंडर लाइन words पर खास ध्यान देते हुए।

पेंसिल हाथ में ही रहती थी कि अगर कुछ और important मिल जाए तो उसे भी अंडर लाइन कर लूं।

इन 3 दिनों में मैं खुद को टेस्ट करता रहता था। जैसे की आंसर के ऊपर हाथ रख के खुद से आंसर सोचना जिससे मुझे पता चलता था की मुझे क्या-क्या याद है।

तब कभी-कभी 2 exam के बीच में 3 दिन से ज्यादा दिन भी मिल जाते थे, तो कई बार मैं पूरा दिन रेस्ट भी कर लेते था या फिर हल्का-फुल्का पढ़ भी लेता था पर वो आख़िरी 3 दिनों वाली मेहनत आख़िरी के तीन दिनों में ही करता था।

8. परीक्षा शुरू होने के 6 घंटे पहले

एग्जाम के लिए घर से निकल से पहले के 6 घंटो में मेरा ये रूटिंग होता था। पहले 4 घंटो में मैं पूरी बुक के अंडर लाइन words पढ़ता था। पांचवे घंटे में 1 लीटर पानी पिता था और उसके बाद नहाना और तैयार होना।

जब तक के मैं घर से नहीं निकलता था, मैं बुक के randomly एक पेज खोलता और अंडर लाइन words को पढ़ता फिर से के random एक पेज खोलता और अंडर लाइन words को पढ़ता।

9. परीक्षा शुरू होने से 30 मिनट पहले

मैं एग्जाम से 30 मिनट पहले ही पहुंच जाता और जो स्टूडेंट पढ़ाई में serious है पास चला जाता था अगर वो revice कर रहे है तो देख लिया कि वो क्या revice कर रहे है या उनसे पूछ लिया की क्या important लगता है।

10. पूरा question paper अच्छे से देखे

मेरा मानना है कि जब question पेपर मिले तो एक नजर पूरे question पेपर पे डाल लो। अगर आपको आखिर के question आते है तो आप शुरू के question में स्पीड पकड़ सकते हो शार्ट में लिख सकते हो।

पर अगर आपको आखिर के question नहीं आते तो आपके लिए जरूरी हो जाता है कि जो आता है उसी में पूरा जोर लगा दिया जाए, ताकि कही से तो नंबर आए। और ये आपको तभी पता चलेगा जब आपने पूरा question पेपर देखा होगा।

11. सोचने वाली बात

लोग कहते है कि question पेपर को उल्टा शुरू करना चाहिए, ज्यादा मार्क्स वाले question पहले attept करो, मुझे लगता है कि इस बात को भी आंखें बंद करके फॉलो नहीं करना चाहिए हर इंसान की अपने strength और weaknesses होती है। कोई theory में अच्छा तो कोई numerical में अच्छा है।

मुझे हमेशा लगता है की 15 मार्क्स वाले लम्बे-लम्बे answer पहले करते हुए हम मेंटली थक जाते है। Handwriting पे भी असर पड़ता है। और एक लंबा-चौड़ा आंसर लिखने के बाद भी लगता है कि अभी एक ही आंसर हुआ है।

दूसरी तरफ 10 छोटे-छोटे questions करने के बाद हमे ऐसा लगता है कि आधी question solve कर दी और इसी thinking से हमारी एनर्जी भी बानी रहती है माइंड भी फ्रेश रहता है।

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