अपनी गलतियों को कैसे Accept करें? अपनी सोच को कैसे बदले?

गलतियां हर किसी से होती है, मगर कोई अपनी गलती स्वीकार कर उससे सिख लेते हुए जीवन में आगे बढ़ जाता है, तो कोई इसका दोष दूसरों पर मढ़ कर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है, मगर ऐसा करके वो नुकसान अपना ही करता है। यदि आप जीवन में सही मायने में सफल होना चाहते है, तो अपनी ग़लतियों को स्वीकार करना सीखीए।

अपनी गलतियों को कैसे स्वीकार करें

दिल से माफी मांगे

अपनी गलतियों को कैसे Accept करें? अपनी सोच को कैसे बदले?
Galtiyo ki kaise accept kare?

छोटी हो या बड़ी, गलती तो गलती होती है, इसलिए अपनी हर गलती स्वीकार करना ज़रुरी है, मगर कम ही लोग ऐसा कर पाते है। अधिकांश तो गलती के लिए माफी मांगने की बजाय उसका दोष दूसरों पर मढ़ने या उसे अस्वीकारने के बहाने तलाशते रहते है। उनका दिल जानता है कि उन्होंने गलत किया है। मगर उनका अहंकार उन्हें अपनी गलती स्वीकारने से रोकता है।

जिंदगी में ऐसे कई मौके आते है जब हमारी गलती की वजह से किसी के दिल को चोट पहुँचती है, कोई रिश्ता टूट जाता है या किसी का भविष्य दाव पर लग जाता है, फिर भी कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो हम में से शायद ही कोई अपनी गलती को सबके सामने स्वीकारने का साहस दिखा पाता है।

इसे भी पढ़ें- Tension और Stress कि वजह क्या है? कैसे इसे Handle करे?

माफी मांगने से नहीं घटती इज्जत

अपनी अकड़ और अहंकारवश लोग झुकने को तैयार नहीं होते। उन्हें लगाता है कि दूसरों के सामने भूल स्वीकारने से उनकी इज्जत घट जाएगी, लेकिन सच तो यह है कि ऐसा करके सामने वालों की नज़रों में उनके इज़्ज़्त और बढ़ जाती है। जरा अपने आसपास नजर दौडाइए – घर, ऑफ़िस, पड़ोस और जरा याद करने की कोशिश कीजिए कि किस तरह के लोग ज्यादा पसंद किये जाते है?

वो, जो गलती करने के बाद भी अकड़ कर खड़े रहते है, मानने को तैयार ही नहीं होते कि उन्होंने कुछ गलत किया है या वो, जो कोई भूल होने पर बिना किसी संकोच के सामने वाले से माफी मांग लेते है और कहते है, मैं अपनी गलती के लिए शर्मिंदा हूं, कोशिश करूँगा आगे से ऐसा न हो।

जाहिर है, अपनी गलती मान लेने वाले लोगों नेक दिल और अच्छे इंसान कहलाते है, लेकिन गलती स्वीकार न करने वाले लोगों पर कोई जल्दी यकीन नहीं करता, वो झूठे लोगों की श्रेणी में आते है। खुद को देते है धोखा जानबूझकर अंजान बने रहना अपनी भूल को स्वीकार न कर हम किसी ओर को नहीं, बल्कि खुद को धोखा देते है।

हमारा ज़मीर कभी न कभी इस चीज के लिए हमें ज़रुर धिक्कारेगा। भले ही सबके सामने हम शेर बने फिरें, मगर अपराधबोध के कारण हमे मानशिक शांति नहीं मिलती।

इसे भी पढ़ें- ईमानदार कैसे बने? खुद से ईमानदार रहे

उदाहरण के लिए, आपकी किसी गलती के कारण परिवार में किसी रिश्ते में दरार आ गई, आप लोगों के सामने भले ही इसे स्वीकार न करें, मगर अकेले में आपको ज़रुर ये चीज चुभेगी कि रिश्तों में दरार का कारण आप है और ये चुभन आपको चैन से जीने नहीं देगी।

जो इंसान अपनी ग़लतियाँ स्वीकार करके उससे सबक सीखते हुए भविष्य में इसे दोहराने से बचता है, सही मायने में वही जिंदगी में कामयाब हो सकता है।

महात्मा गाँधी ने भी कहा था – “भले ही 100 ग़लतियाँ करो, मगर उन्हें दोहराओ मत, क्योंकि दोहराना मुर्खता है। जब तक हम अपनी भूल स्वीकारेंगे नहीं तब तक उसे दोहराने से कैसे बचेंगे ?

जब कही आपको लगे कि आपने किसी का दिल दुखाया है या आपसे कोई भूल हो गई है तो बिना किसी संकोच के सबसे पहले उन्हें स्वीकारें। अकेले में खुद से पूंछें कि “जो आपने किया क्या वो सही है?” यदि नहीं, तो हिम्मत करके आगे आएं और अपनी भूल मानकर आगे से ऐसा न करने का प्रण लें। गलती का एहसास होने पर माफी मांगने से कतराएँ नहीं। माफी मांग लेने से मन का बोझ हल्का हो जाता है। अपनी गलती के लिए दूसरों को दोषी न ठहराए।

ये भी जाने- 3 Face Expression से कैसे पहचाने कि कोई झूठ बोल रहा है? झूठ पकड़ने के उपाय