सीखना कभी न छोड़े- ज्ञान कि बातें

Gyan ke baat.. Motivational baatain Hindi me.. क्या आपने कभी एक छोटे बच्चे को ध्यान से देखा है? एक ऐसा छोटा बच्चा जो अभी 7-8 महीने का है और अभी सिर्फ गुठनो के बल चलता है। अपने दोनों पैरों पर खड़ा होकर चलने की कोशिश कर रहा है। क्या होता है उसके साथ?

थोड़ा चलता है, फिर गिरता है, फिर कभी सहारा लेता है, थोड़ी चोट खाता है और फिर से कोशिश करता है। उसके पास के लोग है, चाहे उसके माता-पिता है, दादा-दादी है। सब क्या करते हैं?

सब उसको प्रोत्साहित करते है और धीरे-धीरे वो जो छोटा बच्चा है वो चलना सिख जाता है।

पर जब वो सिख रहा था तो आप note करोगे कि वो चलने से ज्यादा गिरा था, चोट खाई थी, बार-बार रोया था लेकिन क्या बच्चे ने या उसके माता-पिता ने कभी ये सोचा कि छोड़ो यार बार-बार गिर जाता है, इसके बस का नहीं है, ये कभी नहीं चल सकता

न तो कोई बच्चा ऐसा सोचता है और न ही उसके माता-पिता लेकिन पता नहीं क्यों जैसे-जैसे हम बड़े होते है हम छोटे-छोटे बच्चों के जैसा कदम बढ़ाना बंद कर देते है। कोई भी नया काम करने से पहले डरना शुरू कर देते है और कहीं न कहीं हर नई चीज करने से पहले लगता है कि ये मुझसे नहीं होगा

सफलता और असफलता में यही एक रोड़ा है, रुकावट है। अगर हम अपनी जिंदगी में self improvement पर ध्यान दे और थोड़ा-थोड़ा improvement regular basis पर करते रहे तो कोई कारण नहीं कि सफलता आपके कदम न चूमें।

मेरे हिसाब से success और failure में कोई एक चीज जो बहुत बड़ा part play करती है तो वो है self development. अपने ऊपर काम करना, regular करना और करते ही रहना। अगर आप self improvement के लिए कुछ नहीं कर रहे हो तो आपका आगे बढ़ना असंभव है।

एक बहुत बढ़िया self help book है जिसका नाम है Who Moved My Cheese, बहुत छोटी सी किताब है लेकिन बहुत खूबसूरत, बहुत meaningful book है। अगर आपने पढ़ी है तो बहुत अच्छी बात है और नहीं पढ़ी है तो पढ़ लो।

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मैं उस किताब की कुछ बातें जो उसमे लिखीं है बताता हूं –

स्वभाव से आदमी बहुत आरामपसंद प्राणी है। जीवन के सफर में जब आदमी कोई भी सफलता पा लेता है तो एक comfort zone में चला जाता है और उस सफलता को final destination मान लेता है।

यानि वो मानता है कि बस बहुत हो गया अब जिंदगी इस कामयाबी पर आराम से कट जाएगी। अब और कुछ सीखने की, करने की कोई जरुरत नहीं है।

थोड़ी देर में ये साफ हो जाएगा की मैं क्या कह रहा हूं। अगर हम आपकी professional life को देखें, चाहे आपका carrier हो, किसी की भी professional life हो basically 3 stages से गुजराती है।

Carrier या job की शुरुवात होती है पहली stage यानि dependence से। बिलकुल उसी तरह जैसे आपकी जिंदगी की शुरुवात हुई हुई थी।

जैसे बचपन में आप अपने माता-पिता और परिवार पर dependent थे उसी तरह जब आप job की शुरुआत करते हो, तो आपको कुछ नहीं पता होता कि करना क्या है? क्या करना है? कैसे करना है? और आपके जो senior है आप उनपर dependent होते हो।

धीरे-धीरे कुछ सालों में आप सिख जाते हो कि क्या करना है? कैसे करना है? और dependent से independent की ओर बढ़ जाते हो।

यानि आप carrier की second stage पर आ जाते हो। पहली stage से दूसरी stage में जाने में कितना समय लगेगा ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी सीखने की इच्छा कितनी है।

जो जितनी जल्दी सीखता है, वो उतनी ही जल्दी independent हो जाता है।

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Independent से अगला level है interdependence का। अब ये interdependence क्या है?

ये वो stage होती है जब आप एक manager के role पर आ जाते हो, यानि अब कुछ लोग आप पर dependent है और आपका role होता है dependent या नये लोगो को independent बनाने में मदद करना।

मैंने पहले भी कहा था कि आदमी कोई भी सफलता पा लेता है तो एक comfort zone में चला जाता है। यही हम सब के साथ होता है।

जब कोई manager बन जाता है तो वो definitely comfort zone में चला जाता है यानि सीखना बंद कर देता है। और एक manager को ऐसा लगता है कि जैसे उसे सब कुछ पता है और सीखने की जरुरत सिर्फ उसके नीचे वाले और उसके साथ काम करने वाले लोगो को है।

यही गलती है। यही पर आपका विकास रुक जाता है। आपको रुकना नहीं है। अभी बहुत कुछ सीखना है। कभी सीखना नहीं छोड़नी। जब तक जिएंगे तब तक सीखेंगे।