Pregnant होने का सही समय क्या है? Pregnant किस उम्र में होना चहिये?

क्या अप भी माँ बनना चाहती है पर family planning के चलते सोच में पड़ी हैं कि pregnant होने का सही समय क्या हो और कब pregnant होना सही रहता है तो आज का हमारा आर्टिकल आपके लिए ही है। माँ बनने कि खुशी तब दुगुनी हो जाती है जब आप माँ बनना चाहो, पर समय रहने अगर आप माँ नहीं बनती तो इससे भविष्य में काफी दिक्कत आ सकती है।

शादी के बाद हर महिला का माँ बनाने का एक सपना होता है। इसी सपने से नारी को समाज और परिवार में एक सम्मानजनक स्थान हासिल होता है, लेकिन आज की कुछ पढ़ी-लिखी, आधुनिक सोच वाली लड़कियां शादी भी देर से करती है और अपने भविष्य को बनाने की चाहत में वे गर्भावस्था (pregnancy) करने के अवसर को भी टालती रहती है। जिससे धीरे-धीरे वो उपयुक्त समय निकल जाता है जो माँ बनने का स्वर्णिम अवसर होता है।

उम्र बढ़ जाने से गर्भावस्था करने पर कुछ खतरे भी बढ़ जाते है, जो माँ और बच्चे दोनो के लिए ही खतरनाक भी हो सकती है। नयी-नयी शादी हुई है तो कोई भी अपने शादीशुदा जिंदगी को अच्छे से जीना चाहेगा, और पति-पति एक दूसरे को ज्यादा से ज्यादा समय देना चाहेंगे। ऐसे में उन्हें परिवार नियोजन कि चिंता नहीं होती। अगर आप भी ऐसा सोचते है तो आपको बता दें कि बच्चा भगवान कि देन होती है।

अगर आप बच्चा नहीं चाहते और बार-बार बच्चा न चाहने कि इच्छा में शादीशुदा जिंदगी का लुफ्त उठाना चाहते हो तो वो समय दूर नहीं कि जब आप बच्चा चाहे तो बच्चा हो ही न। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्यूँ कि मेरे दोस्ती कि भी यही दस्ता है। उसकी शादी हुई और वो अपनी शादीशुदा जिंदगी में इतना लुप्त हो गया कि वो कुछ साल तक बच्चा नहीं चाहता था और उनके कई बार बच्चा भी गिरा दिया।

लेकिन ऐसा करने पर हुआ क्या? जब उसे बच्चा चाहिए था तब इतनी सारी उलझन आ गई कि उसकी पत्नी गर्भ धारण ही नहीं कर रही थी। बहुत सारे इलाज और पैसे खर्च करने पर उनके यहाँ एक लाडले ने जन्म लिया।

मैं ये नहीं कहता कि आप अपनी शादीशुदा जिंदगी का मजा न लो, मैं तो बस यही कहना चाहता हूँ कि समय रहते ही अगर आप माँ बन जाती हो तो आगे चलकर किसी भी तरह कि समस्या का सामना नहीं करनी पड़ेगी। तो चलिए जानते है।

गर्भवती (प्रेग्नेंट) होने का सही समय क्या है?

बढ़ी हुई उमर में गर्भावस्था करने वाली महिलाओ को प्रसव के दौरान कई समस्याएं और उलझनों का सामना करना पड़ता है और delivery में आसान और normal ढंग से ना होने के कारण उन्हे काफी दर्द और तकलीफ भी सहन करने पड़ते है।

कभी-कभी जन्म के समय बच्चे की जान को भी खतरा बन जाता है क्योंकि जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे उनमें कई तरह के रोग भी पनपने की आशंका रहती है जिनमे blood-pressure और diabetes आदि तो आम होते है।

कभी-कभी बड़ी उमर की महिला के गर्भाशय में गांठ भी पड़ जाती है और उन्हे delivery के पहले काफ़ी मात्रा में bleeding होता है। जिससे operation द्वारा delivery करना पड़ता है। आम तौर पर महिला में 40 वर्ष की उमर के बाद menopause की स्तिथि बन जाती है।

जिससे उनके से-क्स अंग में सिकुड़न शुरू हो जाता है और menopause के बाद माँ बनना असंभव हो जाता है। 20-25 वर्ष की युवतियों में बच्चा पैदा करने के लिए operation की जरूरत बहुत कम पड़ती है और delivery भी सामान्य होती है।

अगर कोई महिला अधिक उम्र में बच्चा पैदा करती है तो जरा सोचिए कि वो कब बड़ा होगा, उसकी परवरिश कैसी होगी, जबकि 20-25 वर्ष की उम्र में बच्चा पैदा होने पर और माँ के बूढ़े होने से पहले ही जवान हो जाएगा।

हम इस बात को भी मानते है कि महिला के लिए पढ़ाई भी जरूरी है और carrier भी ज़रूरी है, लेकिन समय पर शादी और माँ बनना भी जरूरी है।

अगर समय रहते महिला ने गर्भावस्था के लिए नही सोचा और सही समय को गवा दिया तो यह भी हो सकता है की उस-आँगन में बच्चे की किलकरिया ही नही गूँजे।

देर से शादी करने वाली लड़कियां भी कुछ साल तक बच्चा यही सोचकर पैदा नही करना चाहती की अभी तो सारी उम्र पड़ी है जिससे बाद में उन्हे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

अगर वे बड़े उमर में माँ भी बन जाती है तो उनके बच्चे पूरे स्वस्थ नही रह पाते।

उनमें कुछ ना कुछ शारीरिक या मानसिक कमजोरी रह जाती है।

चिकित्सा विज्ञान की माने तो माँ बनने की सबसे उपयुक्त आयु 20-25 वर्ष के बीच होती है।

इसके बाद तो कई उलझन ही पैदा होती है।

ज्यादा उम्र में माँ बनने से क्या परेशानी होगी?

आने वाले बच्चे में अच्छे भविष्य के लिए गर्भावस्था टालनेवाले जोड़े जब तक बच्चा पैदा करने की योजना बनाते है, तब तक उमर हाथ से निकल रही होती है।

30 साल या इससे ज्यादा उमर में गर्भ धारण केरने के अलग खतरे है, तो बांझपन भी आ सकती है।

30 की उमर पार करने के बाद से पहले बच्चा होजाना माँ और बच्चे दोनो के लिए सुरक्षित होता है।

अक्सर महिला 30 साल की उमर तक शादी करती है और egg बनने की गति धीमी होने लगती है, जिससे गर्भवती होने की संभावना घटती जाती है।

बड़ी उमर में गर्भवती के बाद कई problems आ खड़ी होती है, जिससे गर्भपात हो सकता है।

गर्भावस्था में उलझन कई रूप में सामने आती है, जैसे बच्चेदानी का फटना, खून बहना, प्रसव के दौरान उच्च रक्तचाप की शिकायत होना और समय से पहले दर्द शुरू हो जाना।

मधुमेह के कारण बच्चा कम स्वस्थ हो सकता है, इलाज में ज़्यादा खर्च आता है।

बच्चे का आकार बहुत बड़ा होने की समस्या भी पेश आती है।

जिन महिलाओ को high blood pressure होता है, उनका बच्चा कमजोर होता है, उसकी वृद्धि नही होती यानी उसे IUGR हो सकता है।

बढ़ती उमर के कारण egg की quality प्रभावित होने लगती है।

हो सकता है tube और गर्भाशय एकदम स्वस्थ हो, मगर बाँझपन आ जाती है।

30 से 36 साल की उमर तक पहुचने से पहले गर्भावस्था की योजना बना ले।

बड़ी उमर में गर्भावस्था की योजना करने के 3 महीने पहले से महिला folic acid की गोलियां लेना शुरू करे।

स्वस्थ गर्भावस्था होगी।

बच्चा ना होने का दुख – सूनी गोध

माँ बनना हर स्त्री का सौभाग्य होता है।

माँ बनने के बाद ही स्त्री को नारीत्व की पूर्णता मिलती है, लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ स्त्रियां किसी कारणवश शादी के कसी साल गुजर जाने के बाद भी माँ नहीं बन पाती।

इससे अधिकांश स्त्रियां हीन भावना की शिकार हो जाती है।

उन्हें संतान न होने पर समाज-परिवार और रिश्तेदारों की तरफ से काफी अपमान झेलना पड़ता है।

सच तो ये है कि जिस चीज के लिए स्त्री जिम्मेदार नहीं होती, उसी चीज के लिए नाते-रिश्तेदार और पड़ोसी तक तरह-तरह के ताने देते हैं और उस पर दुनिया भर के सवालों को बौछार लगा देते हैं।

उसी दबाव में, टेंशन में बेचारी स्त्रियां माँ बनने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हो जाती हैं और तांत्रिकों और ढोंगी संतो के चक्कर में फंस जाती हैं।

World Health Organization (WHO) के द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार आज भी 6 से 8 करोड़ couple संतान सुख से वंचित है और भारत जैसे देश में भी निशंतान जोड़ों की संख्या 15 से 20 प्रतिशत है।

इसका मुख्य कारण रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ रहा मानसिक तनाव और प्रदूषण है।

संतानहीन की समस्या की चपेट में अमीर-गरीब सभी होते हैं, लेकिन गरीब couples को इस समस्या की दोहरी मार झेलनी पड़ती है क्योंकि एक तरफ तो संतान न होने पर परिवार व समाज के दबाव से बनी टेंशन होती है तथा दूसरी तरफ पैसों की तंगी के बावजूद भी इलाज कराने में क्षमता से अधिक धन खर्च होता है।

ऐसे गरीब निसंतान couples की मज़बूरी का फायदा नीम-हकीम की जमात भी खूब उठाती है।

आज कल भारत के कोने-कोने में नीम-हकीम द्वारा संचालित ‘ fertility clinic ‘ किरण दुकानों की तरह खुले हुए हैं।

बहुत से झोलाछाप डॉक्टर, वेधों, हकीमों द्वारा अखबारों में ‘ औलाद के इच्छुक पति-पत्नी दोनों मिलें ‘ या ‘ निल शुक्राणुओं का पक्का इलाज ‘ आदि वाक्यों वाले विज्ञापन छपवाए जाते हैं और रेलवे लाइनों के साथ-साथ, bus stand तथा भीड़ वाले public place की दीवारों पर भी लिखवाए जाते हैं।

हर जगह इन विज्ञापनबाजों का धंधा चल रहा है, लेकिन फिर भी बेचारी संतानहीन स्त्रियों की सुनी गोद नहीं भर पाती।

आज medical science में अनेक research और experiments से proof हो चुका है कि संतानहीन का इलाज पूरी तरह संभव है, परन्तु ऐसी जानकारी के अभाव में दुखी-परेशान संतानहीन पति-पत्नी जगह-जगह भटकते रहते हैं।

आम तौर पर अधिकांश स्त्रियां अपनी प्रजनन शक्ति और गर्भधारण क्षमता से परिपूर्ण होती है, लेकिन वे अपने पति के वीर्य (sperm) दोष एवं अन्य कमी या कमजोरी के कारण माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं कर पाती।

यदि समझदारी से काम लिया जाए तो स्त्रियां संतानहीन के अभिशाप से छुटकारा पाकर अपनी सुनी गोद भर सकती है।

कृत्रिम गर्भाधान विधि (Artificial insemination method) द्वारा वे माँ बन सकती है।

कृत्रिम गर्भाधान द्वारा स्त्री गर्भवती होकर सुन्दर व स्वस्थ संतान को जन्म देती है जिससे पति-पत्नी दोनों को ही माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

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आज आपने क्या जाना?

आज हमने जाना कि pregnant होने के सही समय और उम्र क्या है, साथ में ये भी जाना कि अगर सही उम्र में माँ नहीं बन पाते तो इससे क्या-क्या तकलीफें आ सकती है।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ माँ बनने कि क्षमता भी कम होने लगती है इसलिए family planning सही है पर सही समय पर किया गया काम ही खुशाल जिंदगी लाता है।

अगर आपको हमारा आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर share करें. धन्यवाद

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