श्रम का महत्त्व- निबंध

श्रम का महत्त्व- निबंध, Hindi essay: श्रम का अर्थ है मेहनत। लगन और मेहनत से अपना काम करना ही श्रम कहलाता है। श्रम ही जीवन क आधार है और विकास की पहली शर्त है।

श्रम सफलता की कुंजी है। अंग्रेजी में कहते है – Work is worship. सचमुच काम ही ईश्वर की सच्ची पूजा है और श्रम ही सच्ची साधना है। जहाँ श्रम है, वहां स्वावलंबन (self-support) है। जहाँ स्वावलंबन है, वहीँ स्वर्ग है। किसी के दया पर जीना मृत्यु का समान है। अपाहिज व्यक्ति भी दूसरों के भरोसे जीना नहीं पसंद करता। वह भी परिश्रम करके इज्जत की रोटी खाना चाहता है।

श्रम से ही जीवन चलता है। किसान के श्रम से ही हम सबका पेट भरता है। मजदूरों के श्रम से ही कल-कारखाने बनते हैं। चालकों के श्रम से ही वाहन चलते हैं। अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों का परिश्रम ही मरीज को नया जीवन देता है। विद्यार्थी श्रम करके ही विद्या और योग्यता प्राप्त करते हैं श्रम में लीन रहकर ही वैज्ञानिक बड़े-बड़े आविष्कार करते हैं।

श्रम के बल पर ही विज्ञान ने मनुष्य को चाँद पर पहुँचाया है। सभ्यता और संस्कृति का विकास श्रम के बल पर ही हुआ है। जापान जैसा छोटा देश अपने देशवासियों के परिश्रम के कारण ही विश्व में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर सका है। यदि सिंह शिकार करने के लिए परिश्रम नहीं करेगा, तो भूखा ही रहेगा। इसमें भाग्य का क्या दोष? परिश्रम करने वाले खुद अपने भाग्य के विधाता होते हैं।

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श्रम करने वाले हमेशा स्वस्थ और निरोगी रहते हैं। उनकी पाचनशक्ति अच्छी रहती है। श्रम करने से उनका व्यायाम हो जाता है। इसीलिए उनका शरीर ह्रष्ट-पुष्ट रहता है।

यह दुख की बात है कि हमारी वर्तमान शिक्षा-निति हमें श्रम से दूर ले जा रही है। आज का युवा-वर्ग कम से कम श्रम कर अधिक से अधिक धन कमाना चाहता है, भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए यह प्रवृत्ति चिंताजनक है।

सचमुच परिश्रम वह पारसमणि है, जिसके स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है, इसलिए श्रम से दूर भागना स्वस्थ मनोवृत्ति का सूचक नहीं है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जीवन में सफलता के फूल श्रम के पौधे पर ही खिलते हैं।

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