बलात्कार क्या है? What is Rape?

Rape kaise hota hai? Rape kyu hota hai? Ladkiyo ka rape kyu hota hai? किसी भी नारी की इज़्ज़त लूटना एवं उससे जबरन संभोग करना बलात्कार की नींव मानी जाती है। अब पूरे विश्व में ही इस प्रकार की आंधी चल पड़ी है। हमारा पूरा सामाजिक ढाँचा ही हिल कर रह गया है। इस दुष्कर्म के भयंकर परिणामों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होने लगा है कि हमारे देश में किसी भी नारी की इज़्ज़त सुरक्षित नही है। क्या होगा समाज का?

आज चारों ओर यही आग लगी है। यह तो ठीक है कि हम सब लोग इस आग को बुझाने के प्रयासों में जुटे है। कोई भी सच्चा भारतीय इस प्रकार के दुष्कर्म को नहीं चाहता और न ही हमारा धर्म इस बात की किसी भी व्यक्ति को अनुमति देता है।

भारत देश ने तो सदा से पूरे संसार में नारी को उच्च सामाजिक स्थान का मार्ग दिखाया है। भारत ही विश्व का पहला देश है जिसमे नारी रूप में महाशक्ति दुर्गा के साथ-साथ लक्ष्मी, पार्वती, सरस्वती की उपासना होती है। सती पूजा आज भी हमारे देश की उपासना का अंग है।

बलात्कार क्या है? What is Rape?

रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ में भी माता सीता के अपहरण के बदले में रावण को जो दंड दिया गया, वह था सोने की लंका को जलाकर राख करना और रावण के पापी परिवार का विनाश। यह दंड था केवल अपहरण का जो भगवान राम ने रावण को दिया।

जिसे आज भी दशहरे के पर्व के रूप में मनाकर हम इस कहानी को घर-घर तक पहुँचाने का प्रयास करते है कि – किसी भी नारी का अपमान करना, उसका अपहरण करना सबसे बड़ा अपराध है। ऐसे अपराध का दंड भगवान राम ने जो दिया, वही उचित माना गया।

आज जो हालत समाज की हो रही है, जो घटनाएँ घट रही है उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होने लगा है, जैसे एक रावण तो क्या हर ओर रावण ही रावण खड़े है। अब नारी के अपहरण से भी आगे जाकर बलात्कार होने लगे है।

बलात्कारी को पकड़ लिया जाता है, उसे कानून के हवाले कर दिया जाता है, किंतु हमारे कानून की जरूरत होती है मौके के गवाह की। जब बलात्कार के समय आँखों देखा गवाह नहीं मिलता तो हमारे कानून के रक्षक वकील लोग ऐसे अपराधियों को साफ बचाने में सफल हो जाते है।

इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि कोई भारतीय नहीं कोर्ट में जाकर जज के सामने किस मुँह से यह कहने का साहस करेगी कि उसके साथ इस प्रकार से बलात्कार हुआ क्योंकि अपराधी को बचाने वाले वकील महोदय उस बेचारी लड़की पर बलात्कार के विषय को लेकर अनेक ऐसे प्रश्न कर डालेंगे कि किसी भी भली और शरीफ घराने की नारी को भरी सभा में उन प्रश्नों का उत्तर देना लज्जा के सागर में गोते लगाने वाली बात है। जिसका परिणाम होता है कि अपराधी छूट जाता है।

इससे भयंकर अपराधियों को आगे बढ़ने का अवसर मिल जाता है। यदि ऐसा नहीं भी होता तो बड़े घराने के बिगड़े हुए नए शहजादों की ऊँची पहुंच भी उन्हें मुक्ति दिलाने का करण बन जाती है जिससे सेक्स अपराध दो कदम और आगे बढ़ने लगते है।

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बलात्कार क्यों होते है? क्या है इसकी वजह?

बलात्कार क्यों होते है? क्या है इसकी वजह? उसे जिस्म ही समझा, उसे जिस्म ही जाना, उसके जिस्म की ही ख़्वाहिश की, लेकिन उसकी रूह को तार-तार किया। एक स्त्री को भले ही आप बड़े-बड़े नाम दे दें, लेकिन अब तक आपने उसे पूरी तरह से इंसान भी नहीं समझा है। वो आज भी आपके लिए सिर्फ एक जिस्म, एक माँस का टुकड़ा है।

इन घिनोनी मानसिकता के बीच किस तरह से वह सुरक्षित रह पायेगी, जहाँ हर नज़र उसके कपड़ों के भीतर झांकती-सी नज़र आती है, हर कोई उसका शिकार करने की ताक में रहता है। और यही नहीं, उसके बाद चाहे वो जीवित बचतीं है या नहीं, उसका फिर भी बार-बार बलात्कार होता है। कभी उसके चरित्र पर सवाल उठते है, तो कभी इस विषय को मज़ाक समझकर मजे उड़ाए जाते है।

बलात्कार क्यों होते है? क्या है इसकी वजह?

देश में बढ़ रही बलात्कार (rape) की घटनाओं और उनके दिन-ब-दिन विभस्त होता रुप पर क्या सोचते है देश और दुनिया के लोग?

यह शर्मनाक है, बेहद शर्मनाक। अफ़सोसजनक घटना। हमें खेद है, यह दुखद घटना है। इस तरह की तमाम प्रतिक्रियाएँ अमूमन हर घटना-दुर्घटना के बाद ज़ाहिर की जाती है। यह अलग सवाल है कि मात्र अफ़सोस जाहिर से क्या होता है? समस्या का समाधान कहा है? लेकिन हाल ही में जिस तरह से बलात्कार के मामले और उन पर हो रही जिस तरह की प्रतिक्रियाएँ सामने आई है, वे बेहद निंदनीय है, असवेदंशील व अस्वीकार है।

यही वज़ह है कि अपराधीयो को बढ़ावा मिलता है और बच्चियों पर इस तरह के घिनोने कृत्य व अत्याचार होते है।

कभी बदला लेने के इरादे से, तो कभी सबक सिखाने के लिए, कभी जाती के कारण, तो कभी अपनी मर्दानगी दर्शाने के लिए घिनोनी मानसिकता बलात्कार को अपने वर्चस्व का ज़रिया मानती है। आंकड़ों की बात करे, तो दिल्ली में 2014 में रोज़ाना दिन में 6 बलात्कार और 14 छेड़छाड़ की घटनाएँ दर्ज होती है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (National crime record) 2012 के अनुसार मध्य प्रदेश में 3425 बलात्कार के मामले, राजस्थान में 2049, पश्चिम बंगाल में 2046 और उत्तर प्रदेश में 1263 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए।

National Crime Bureau के अनुसार पिछले चार दशकों में बलात्कार के मामले आठ गुना बढ़े है।

बलात्कार के मामले में बढ़ोतरी अन्य अपराधों, जैसे- हत्या, चोरी और अपहरण के मुकाबले बहुत तेजी से हो रही है।

अक्टूबर 2013 तक बलात्कार की वारदात 125% तक बढ़ गई थी।

साथ ही यह भी ध्यान रहे कि ये उन मामलो की बात हो रही है, जो दर्ज कराए जाते है, जो असूचित रहते है, वो तो और भी चौकानेवाले हो सकते है।

रुक नहीं रही वारदात

हाल ही में देश के अलग-अलग हिस्सों में बलात्कार की जो दर्दनाक व शर्मनाक घटनाएँ हुई है, उनसे न सिर्फ हमें, बल्कि अन्य देशों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। जिस असंवेदनशीलता के साथ इन मामलों को देखा और समझा गया है, उनमें भी सबको सन्न कर दिया है, देश-विदेश के लोगों की भी तो तमाम प्रतिक्रियाएँ आई, उसने इस बात को और भी पुख्ता कर दिया कि पुलिस व प्रशासन कितना गैरजिम्मेदाराना रवैया अख्तियार किए हुए है।

कहीं पुलिस खुद बलात्कार के मामले में कटघरे में खड़ी नजर आ रही है, तो कहीं अपने रिश्ते ही आरोपी के रूप में सामने है। इंसानियत व रिश्तों का जिस तरह खून हो रहा है, उन सबके बीच एक औरत ही खुद को छला हुआ महसूस कर रही है।

उसकी पीड़ा पर लोग तमाम तरह के बयान देते है, कोई न्याय की बात करता है, कोई संवेदना जताता है, लेकिन उसके मन में तो यही सवाल आता है कि आखिर कब तक उसे एक स्त्री होने पर इंसान न समझकर मात्र एक जिस्म के रूप में ही देखा जाता है।

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सेक्स अपराध क्यों होते है?

सेक्स एक ऐसा गहरा सागर है जिसकी गहराई की न तो कोई सीमा है और न ही इसका कोई अंत। यह अंतहीन है। यदि संसार का अंत हो भी जाता है तो भी नई सृष्टि की रचना के लिए इसी सेक्स की आवश्यकता पड़ेगी। इसलिए इसे हम अंतहीन ही कह सकते है।

काम युग और विज्ञान युग, जब हम इन दिनों का आध्यात्मिक अध्ययन करते है तो यह बात तो पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाती है कि काम-वासना मानव जाती का मूल है। विज्ञान इसका वृक्ष है, जिस पर अनेक प्रकार के फल-फुल हमारे मन बहलाने के लिए मिलते है। सेक्स की ही देन है – बलात्कार

जब तक हम सेक्स ज्ञान को नहीं समझेंगे तब तक ये बलात्कार शायद कभी नहीं रुक सकेंगे। यदि ऐसी बात न होती तो महर्षि वात्स्यायन जी को काम शास्त्र को लेकर कामसूत्र जैसा प्राचीन ग्रंथ न लिखना पड़ता। यही नहीं, जब हम आधुनिक काम कला भेद की गहराई में जाने के प्रयास करते है तो हमें काम कला के महान विद्वान फ़्राईड के मनोवैज्ञानिक को सामने रखना पड़ता है।

आज जिस प्रकार से सेक्स अपराध बढ़ रहे है, उनको सामने रखते हुए हमें इस विषय में गंभीरता से सोचना होगा। आखिर यह सब क्यों हो रहा है?

अपराधी को तो आपने पकड़ लिया और उसको कानून के हवाले भी कर दिया, लेकिन कानून ने उसके साथ जो किया। इसको यदि यही मान लें कि उसे कानून ने दंड दे भी दिया तो उसके पश्चात् क्या बलात्कार नहीं होंगे? यदि सत्य को देखा जाए तो इसके पश्चात् तो बलात्कार की संख्या बढ़ी है और निरंतर बढ़ रही है।

एक प्रश्न पूरे समाज के सामने है कि क्या केवल कानून बनाकर ही अथवा इसी कानून के सहारे हम नारी की इज़्ज़त लूटने से बचा पाएंगे? इसका उत्तर मैं आपको देता हूं। वह है नहीं! अब आप पूछेंगे कि फिर क्या होगा? यदि कानून से ऐसे अपराध नहीं रुक पाते तो हमारे पास ऐसी कौन सी शक्ति है जिससे हम काम-वासना के शिराकियों को रोक पाएंगे।

वह शक्ति है ज्ञान, बुद्धि और प्राकृतिक नियमों को सामने रखकर हम सबसे पहले यह देखें कि सेक्स अपराधों के कारण क्या है? क्यों हो रहें है ये सब सेक्स अपराध? क्यों बलात्कारियों की संख्या बढ़ रही है? क्यों हमें ऐसी ख़बरें पढने को मिल रही है?

समाधान कैसे और कहां खोजें ?

बलात्कार की बढ़ती वारदातों पर हर कोई यही सवाल करता है कि आखिर इनका समाधान कैसे हो ?

कड़े कानून की मांग के बाद कानून भी बदले गए, लेकिन वारदातें रुक नहीं रही।

दूसरी तरफ कुछ लोगों का यह भी मानना है कि हुनर की कमी की वजह से भी महिलाएं अपराध का शिकार होती है, क्योंकि उन्हें सुबह जल्दी या देर रात को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है और उनके अपराध का शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए कुछ लोग काम भी कर रहे है, ताकि घरों में टॉयलेट बन सके और कम से कम इस वजह से तो लड़कियाँ अपराध की शिकार न हो पाएँ।

लेकिन सवाल अब भी यही है कि उस मानसिकता का आप क्या करोगे, जो समाज में विचार रहे है, पनप कर फल-फुल रही है। जब तक यह मानसिकता रहेगी, बच्चियां महफूज नहीं रहेंगी। यही मानसिकता घरों में भी तो होता है, जो अपनी ही बच्चियों को अपना शिकार बनाती है।

ताले में बंद करके, तन को ढक के उन गंदी नज़रों से नहीं बचाया जा सकता, जो हर आवरण, हर जिल्द के पीछे से भी तन को, जिस्म को ही की हरकत रखती है और उसे देख भी लेती है।

सरकार, प्रशासन और पुलिस जब तक गंभीर नहीं होगी, तब तक इन घटनाओं का कम होना मुश्किल है।

साथ ही समाजिक सोच में भी बदलाव की जरुरत है, जहाँ लड़के-लड़कियाँ में भेदभाव से शुरुवात होती है और इसका परिणाम यह होता है कि पुरुषों में महिलाओं को लेकर संवेदनशीलता पनप ही नहीं पाती। वे उन्हें प्रताड़ित करना अपना अधिकार समझते है, जिससे उन्हें श्रेष्टता का एहसास होता है।

कुल मिलाकर पूरे सामाजिक ढाँचे में ही परिवर्तन की जरुरत है, जहाँ अपने घरों से शुरुआत होनी चाहिए। यही संवेदनशीलता पुलिस, प्रशासन, सरकार व कानून में भी नजर आनी चाहिए, ताकि अपराधियों में कुछ तो ख़ौफ़ हो। वरना ये वारदातें होती रहेंगी और हम बस यूं ही बहस करते रहेंगे। अपने पन्नों पर बड़े-बड़े शब्द लिख-कर उन्हें मात्र भरते रहेंगे।

बलात्कार ही नहीं और भी कई तरीके से शोषित होती है महिलाएं

  • बलात्कार ही नहीं और भी कई तरीके से शोषित होती है महिलाएं
  • अच्छी लड़की ऐसी होती है।
  • अच्छे घरों की लड़कियां ऐसे बात नहीं करती।
  • संस्कारी लड़कियां जोर से नहीं हंसती।
  • ऐसे मत बैठो।
  • ऐसा मत करो।
  • ऐसा मत चलो।
  • घर जल्दी आया करो।
  • उस लड़के से बात मत करो।
  • ये कैसा खाना बनाया है?
  • ये क्या पहना है?
  • तुम किसी काम की नहीं हो।
  • लड़के तुम्हें छेड़ रहे है।
  • जरूर तुम्हारी ही गलती होगी।
  • कल से तुम्हारा college जाना बंद।
  • अब शादी करो और हमारा पीछा छोड़ो।

हमारे सुसंस्कृत समाज में संस्कृति के नाम पर लड़कियों को ना जाने कितना कुछ सुनाया जाता है और कितना कुछ अनुशासन के नाम पर सिखाया जाता है। कितना उचित है, कितना गैर वाजिब, बिना ये सोचे-समझे लड़कियों को अनगिनत हिदायतें दे दी जाती है और इसके बावजूद सबसे ज्यादा शोषित (exploited) वही होती है और सबसे ज्यादा शोषण करने वाले वही होती है, जो हिदायते देते है।

कभी घर की देहलीज लांघने से रोकना, कभी संस्कारों के नाम पर बेहिसाब बंधनों में बांध देना, उसके पंख कतर कर ही उसे सुरक्षा का आभास देने का झूठा दिलासा देना और कभी मासूम से जिस्म पर भी बुरी नियत रखना, राह पर चलते-चलते उसे गंदे comment करना, कभी दहेज (dowry) के नाम पर उसे जिंदा जला देना, कभी कोख में ही उसे मार देना, तो कभी जन्म के बाद उसे यातनाये देना।

शोषण का ना तो कोई स्तर होता है और ना ही कोई माप।  शोषण सिर्फ शोषण ही होता है, जो मन पर कई अनदेखे, अनगिनत दाग छोड़ जाता है, जिसका सामना करने की हिम्मत हर लड़की नहीं कर पाती।

बलात्कार एक जघन्य अपराध है, लेकिन आज भी ये अपराध अपने घिनोने रुप के साथ समाज में फेल रहा है। लेकिन बलात्कार के अलावा भी कई ऐसे अपराध है, जिनके जरिए महिलाएं शोषण का शिकार हो रही है।

जैसे –

  • परिवार में ही पति द्वारा हर बात पर ताना मारना
  • खाना परोसने पर देर हो जाने पर खाने की थाली को उठा के फेक देना
  • पत्नी द्वारा कुछ पूछने पर उल्टा जवाब देना
  • पत्नी की अप्राकृतिक सेक्स के लिए मजबूर करना।
  • यदि इसके अलावा घर की बेटी यदि अपनी सुझाव दे, तो उसे चुप कर देना,
  • उसके पहनने-ओढने से लेकर चलने-फिरने व हंसने-बोलने तक पर टोकना, पाबंदी लगाना

ये तमाम ऐसी बातें है जो किसी भी लड़की को मानसिक रूप से से बेहद प्रताड़ित (oppressed) करता है, क्योंकि इन बातों से उसका सम्मान और आत्म-सम्मान प्रभावित होता है।

National Crime Bureau के data के मुताबिक कुछ बेहद चोकनेवाले तथ्य सामने आए है।

  • भारत में महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित अपने घरों, खासतौर से ससुराल में ही है।
  • National crime bureau के data के अनुसार, महिलाओं पर होनेवाले विभिन्न तरह के अपराध में 43.6% गंभीर अपराध उनके पति व रिश्तेदारों द्वारा ही किये जाते है। यहां भी गौर करने वाली बात ये है कि इन data में वैवाहिक बलात्कार शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि उसे अपराध माना ही नहीं जाता।
  • महिलाएं घरेलू हिंसा, इज्जत के लिए हत्या करना, एसिड अटैक, यौन शोषण, भेदभाव, छेड़छाड़, बलात्कार, दहेज, मानव तस्करी आदि की बहुत ज्यादा शिकार आज भी होती है।
  • साल 2001-2011 के बीच लगातार महिलाओं के प्रति हो रहे शोषण का data बढ़ता गया और 49% तक बढ़ा।

बलात्कार ही नहीं और भी कई तरीके से शोषित होती है महिलाएं

1. छेड़छाड़-

राह में चलते हुए, ट्रेन या बस में सफर करते हुए छेड़छाड़ का शिकार होना आम बात हो गई है, भले ही ये अपराध है, लेकिन कानून को नजरअंदाज करते हुए सड़कछाप मजनू हर गली व नुक्कड़ पर नजर आ जाते है।

रोजाना की ये छेड़छाड़ को शुरुवात में नजरअंदाज कर देती है। लेकिन ये आगे चलकर गंभीर हो सकता है। अक्सर इस तरह की घटनाएं भविष्य में बलात्कार, एसिड अटैक या हत्या जैसे और भी गंभीर अपराध में तब्दील होती है।

छेड़छाड़ का सीधा-सीधा रिश्ता महिलाओं के सम्मान से जुड़ा होता है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि समाज में लोग और खासतौर से पुरुष-महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना रखे। जब तक ये मानसिकता किसी समाज में नहीं बनेगी, तब तक इस तरह की घटनाओं को कम कर पाना मुश्किल होगा।

हम अक्सर कहते है कि महिलाएं पढ़-लिख जाए, आत्म निर्भर हो जाए, तो उनके खिलाफ अपराध कम होंगे। साथ ही यदि अपराध हो भी, तो वो बेहतर तरीके से उनसे लड़ पाएगी। लेकिन दूसरी तरफ एक वर्ग ये भी तर्क देता है कि पढ़ाई-लिखाई अपनी जगह सही है, लेकिन यदि पुरुष ही महिलाओ के प्रति सम्मान की भावना नहीं बढ़ाएंगे तो बदलाव कैसे संभव है?

ऐसे में जरूरी है पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर सोच में बदलाव के प्रयास किया जाए, क्योंकि कई बार इस तरह की छेड़छाड़ से तंग आकर लड़कियां आत्महत्या तक कर लेती है। इनमें से कुछ तो अपने परिवार वालों से इस विषय में बात करने से भी कतराती है, क्योंकि उनके मन में कही ना कही ये डर होता है कि उनके माता-पिता कही उन्हें ही इसके लिए जिम्मेदार ना ठहरा दे।

नोट : बेहतर होगा कि लड़कियां और उनके परिवार वाले भी छेड़छाड़ की घटनाओं के डर के साये में जीने की बजाय समय रहते जरूरी कदम उठाये, अपने घर में भी बेटों को सिखाये कि वो महिलाओ का सम्मान करे।

2. शारीरिक और मानसिक प्रताड़न – Physical and mental harassment

भेदभाव से लेकर तमाम तरह के शोषण से जूझती किसी भी लड़की के लिए जिंदगी के कड़वे अनुभव मानसिक प्रताड़न से कम नहीं। बचपन में अपने ही घर पर परायो सा व्यवहार और यदि ससुराल अच्छा नहीं मिला, तो वहां बात-बात में अपमान, कभी पति की बेवफाई चुपचाप सहना की हिदायतों से, तो कभी मार-पिटाई से उसे प्रताड़ित किया जाता है।

नोट: यह सच है कि अभी समाज में काफी बदलाव आ रहा है और हर लड़की ऐसे ही प्रताड़ित होती है, यह भी सच नहीं, लेकिन इस सत्य से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि पूरी जिंदगी लड़कों के मुकाबले लड़कियों  को जिंदगी के कड़वे अनुभव, भेदभाव, शोषण आदि अधिक झेलने पड़ते है, वो भी  मात्र इसलिए की वो एक लड़की है।

3. मानव तस्करी – Human Trafficking

चाहे जिस्मफरोशी के लिए हो या अन्य कारणों से, मानव तस्करी (human trafficking) एक बहुत बड़ी समस्या है, जो वर्षों से हो रही है। गरीब परिवार व गाँव-कस्बों की लड़कियां व उनके परिवार को बहला-फुसलाकर, बड़े सपने दिखाकर और शहर में अच्छी नौकरी का लालच देकर बड़े दामों में बेच दिए जाता है या घरेलू नौकर बना दिया जाता है, जहां उनका अन्य तरह से और भी शोषण किया जाता है।

New Delhi के western side में घरेलू नौकर करवाने वाली लगभग 5000 agencies human trafficking के भरोसे ही फल-फुल रही है। इनके जरिए अधिकतर छोटी बच्चियों को ही बेचा जाता है, जहां उन्हें घरों में 16 घंटो तक काम करना पड़ता है। साथ ही वहां ना सिर्फ उनके साथ मार-पिट की जाती है, बल्की अन्य तरह के शारीरिक व मानसिक शोषण का भी वो शिकार होती है।

नोट : Human trafficking में अदिकांस बच्चे बेहद गरीब इलाकों के होते है। अत्यधिक गरीबी, शिक्षा की कमी और सरकारी नीतियों का ठीक से लागू ना होना ही बच्चियों को human trafficking का शिकार बनने की सबसे बड़ी वजह बनता है। Human trafficking में सबसे ज्यादा बच्चिया भारत के पूर्वी क्षेत्र के अंदरूनी गांवों से आती है। लेकिन agent सबसे पहले इस कड़ी में भूमिका निभाते है।

ये agent गाँव के बेहद गरीब परिवार की कम उम्र की बच्चियों पर नजर रखकर उनके परिवार को शहर में अच्छी नौकरी के नाम पर झांसा देते है। ये agent इन बच्चियों को घरेलू नौकर उपलब्ध करने वाली संगठन को बेच देती है। आगे चलकर ये संगठन ओर अधिक दाम में इन बच्चियों को घरों में नौकर के रुप में बेचकर मुनाफा कमाते है।

ना सिर्फ घरेलू नौकर बल्कि जिस्मफरोशी के जाल में भी ये बच्चिया फंस जाती है और हर स्तर और हर तरह से इनका शोषण होने का क्रम जारी रहता है।

4. वैश्यावृति व sex workers

भारत में एक तरह से देखा जाए तो कानूनी भाषा में वैश्यावृति (prostitution) को गैरकानूनी (illegal) नहीं बताया गया है, लेकिन उनसे जुड़ी गतिविधि को अवैध बताया गया है। जैसे – वेश्यालय ये ऐसी संस्था चलाना, hotel में prostitution, दलाली करना आदि। निजी तौर पे यदि कोई sex worker अकेले में पैसे के लिए अपने जिस्म का सौदा करती है, तो उसे अवैध नहीं माना जाता, लेकिन यदि वो सरेआम, prostitution या hotel आदि में इस तरह का काम करती है तो वो अवैध है।

हलाकि prostitution को पूरी तरह से वैध कर देने की वकालत कई लोग कर चुके है। दूसरी ओर इस जाल में फंस चुकी लड़कियों को ना तो समाज स्वीकार करता है ना ही उनकी अपने परिवार। इसके अलावा ये कई गंभीर रोगों, खासतौर से यौन रोगों की भी शिकार हो जाती है और इलाज व सुविधाओं के अभाव में दर्दनाक जिंदगी जीने पर मजबूर हो जाती है।

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