Rabies जो कुत्ते के काटे को बीमारी कहलाती है, एक वाइरस से होता है। यह मनुष्य और जानवरों के मस्तिष्क व तत्रिका संस्थान की बीमारी है। जो प्रमुख रूप से मनुष्यों, कुत्तों, बिल्लियों, सियार, लोमड़ी, भेड़िया, बन्दर व चमगादड़ में ज्यादा पायी जाती है। Rabies में जंगली जानवर, घरेलू जानवर को कटते हैं जिससे बीमारी घरेलू जानवर में लगती है।
ये घरेलू जानवर मनुष्यों को काटते हैं तो मनुष्य में rabies हो जाती है। मनुष्यों को कभी-कभी जंगली जानवर भी काट देते हैं। उनसे भी rabies हो जाता है। मनुष्यों में 98% rabies के मरीज कुत्ते के काटने से हो होते हैं।
जब कोई rabies का जानवर मनुष्य को काटता है तो उसकी लार से वाइरस मनुष्य के शरीर में पहुँचता है। काटे हुये स्थान से वह तंत्रिकाओं (peripheral nerve) द्वारा मस्तिष्क में पहुँचता है। मस्तिष्क से autonamic nerve द्वारा शरीर के अन्य हिस्सों में पहुँच जाते हैं और काटा हुआ व्यक्ति व जानवर रोग फैलने की स्थिति में हो जाता है।
दुनिया में हर साल करीब 40000 लोग rabies से मरते हैं जिनमे 30000 केस भारत में होते हैं।
उपचार की दृष्टि से जानवरों को काटने की तीन श्रेणियों में रखा जाता है –
- first degree
- second degree और
- third degree
First degree में रोगी को छूना, रोगी जानवर को दवा व खाना खिलाना, जानवर द्वारा चाटना आता है। मरीज की देखभाल करने वाले के हाथों में कोई घाव नहीं हो और प्रत्येक बार मरीज को छूने के बाद अच्छी तरह से हाथ धो लेना है, उसे उपचार की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
Second degree में काटने पर हल्का घाव वे खरोच हो, ऐसे व्यक्ति को टीका लगाना चाहिए।
Third degree में किसी भी जानवर के काटने से घाव हो गया हो, third degree में आता है। इसमें टीका के साथ rabies immunoglobulin भी देना चाहिए।
सामान्यतः जानवरों के काटने से बीमारी के लक्षण आने में एक से तीन महीने का समय लगता है। काटा हुआ घाव सिर पर व गर्दन के जितने नजदीक होगा, लक्षण उतनी जल्दी आयेंगे।
रोग के लक्षण-
लक्षणों को भी चार अवस्थाओं में रखते हैं-
प्रथम अवस्था – इसमें viral infection के लक्षण जैसे- बुखार, सर्दी, जुकाम आदि आते हैं। यह अवधि 1 से 4 दिन चलती है।
दूसरी अवस्था – इसमें चिड़चिड़ापन, उत्तेजित होना आक्रामक होना, व्याकुल हो जाना, मिर्गी जैसे दौरों का पड़ना होता है। यह अवधि लगभग 3 दिन चलती है।
तीसरी अवस्था – इसमें मरीज अजीबोगरीब हरकत करने लगता है। पानी नहीं पिता, पानी से डरता है।
चौथी अवस्था – रोग शुरू होने के चार दिन में 20 दिन के अन्तराल में रोगी की मृत्यु हो जाती है।
उपचार
काटने के तुरंत बाद घाव को अच्छी तरह कम से कम 10 मिनट तक धोयें, धोने के बाद उसमें स्पिरिट लगा दें।
घाव में पट्टी न बंधे। हल्दी, चुना, मिट्टी या ऐसी ही अन्य चीजें न लगाएँ,, घाव में टाँके न लगवाएं तथा जीतनी जल्दी हो सके चिकित्सक से संपर्क करें।
टिका व rabies immunoglobulin के इंजेक्शन लें। टिके के 6 इंजेक्शन, 0, 3, 7,14, 28 व 90 वे दिन लगते हैं। जिस दिन पहला इंजेक्शन लगे उसे 0 दिन मानते हैं। टिके को हमेशा हाथ में लगाना चाहिए, कुल्हे में नहीं।
Rabies वाला जानवर 10 दिन तक के अन्दर मर जाता है। अगर 10 दिन तक जिंदा रहता है तो टिका लेने की आवश्यकता नहीं है। मर जाता है तो पूरा इलाज लें।
एक बार टिके का पूरा course ले लिया हो तो एक वर्ष के अन्दर-अन्दर दोबारा जरुरत पड़े तो पूरा course लेने की आवश्यकता नहीं रहती है सिर्फ इंजेक्शन 2 व 3 दिन में लगाने से काम चल जाता है।
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