खुद को काबू में कैसे करे? खुद को Control कैसे करे?

Khud ko control kaise kare? Khud ko kabu ke kaise kare? आत्मसंयम यानि self-control न होने के कारण असंख्य व्यक्तियों के जीवन नष्ट हो चुके हैं। उनमें ऊँचे महत्वकांक्षाएं थी, विशिष्ट योग्यता थी, उच्च-शिक्षा भी प्राप्त की थी, परन्तु वे खुद को वश में नहीं रख पाते थे।

इसलिए वह सब कुछ व्यर्थ को गया। वे व्यक्ति होनहार थे, सभी को उनका भविष्य उज्जवल प्रतीत होता था, किंतु उनमें अपने को वश में रख पाने की सामर्थ्य (ability) न थी, इसीलिए उनका जीवन व्यर्थ हो गया।

अनेक व्यक्ति क्रोधावेश में मनुष्य नहीं रह जाते, राक्षस बन जाते हैं। एक व्यक्ति जब क्रोध में आ जाता था, तो उस समय उसके सामने जो चीज आ जाती, उसे फेककर तोड़ देता था।

वह प्राय: सभी से गाली-गलौच पर उतर आता, जो उसे शांत करना चाहते, वे भी उसके क्रोध के शिकार बन जाते। परिचित व्यक्ति उनसे दूर भाग जाते। वैसे वह सचेतन मन से किसी पर क्रोध न करना चाहता था। क्रोध का उबाल उतर जेने पर वह निढाल और बेबस हो जाता, हालांकि वह स्वस्थ और तगड़ा व्यक्ति था।

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चरित्र का उत्तम निष्कर्ष आत्मसयम है। जो व्यक्ति अपने आपको वश में कर सकता है, वही दूसरों को भी प्रभावित कर सकता है। उसी में प्रभावित करने की सामर्थ्य होती है, जो अपने को वश में नहीं कर सकता, वह दूसरों के लिए ही नहीं, अपने लिए भी भयंकर आफत बन जाता है।

अपने निश्चय पर अटल रहना बुरा नहीं, परन्तु इसके साथ ही दूसरों के मत हो सुनना और समझने का प्रयत्न करना भी श्रेष्ठ गुण है। उठो, कमर कास लो। क्रोध, भय, चिंता और संदेह को मन से उखाड़कर बाहर फेंक दो। यह बात भी मन से निकाल दूँ कि धन-सम्पन्न वही व्यक्ति बना सकता है, जिन्हें उसके अवसर प्राप्त होते हैं, जिनमें योग्यता ज्यादा है और जिनका भाग्य अच्छा है। ये विचार गलत और दोषपूर्ण है।

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