मैं अकेला मुर्गा – अकबर बीरबल की कहानी

एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल के उपहास के लिए अन्य लोगों के साथ मिलकर एक योजना बनाई। योजना के अनुसार सभी ने अपनी जेबों में एक-एक अंडा रख लिया। जब बीरबल आए तो बादशाह बोले, बीरबल, इन हौज में कूदने पर एक अंडा मिलता है। हम सभी इसमें कूदेंगे और अंडा लेकर आएंगे। तुम भी कूदना।

एक-एक करके बरबारी कूदते रहे और अंडा लाते रहे। सबसे बाद में बीरबल कूदे। बीरबल जब बाहर निकले तो खाली हाथ थे। बीरबल को खाली हाथ आते देख कर सब हंसने लगे। सबको हंसते देखकर बीरबल गंभीर हो गए।

बादशाह ने मजाक उड़ाते हुए कहा। सब लोग एक-एक अंडा ढूँढ लाए। क्यों, क्या बात है? हार गए ना?

यह बात नहीं है, हजूर। बीरबल ने बड़े सहज स्वर में कहा, बात यह है कि मैं ही एक अकेला मुर्गा हूँ। जो मुर्गियों थी, वे ही तो अंडा दे सकती थी। इतनी मुर्गियों ने मेरी बदौलत अंडे लिए हैं।

बादशाह ठहाका लगाकर हंस पड़े और बीरबल के विरोधी सभासद मुंह लटकाकर रह गए।

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