तीन अनमोल बातें – पंचतंत्र की कहानी

Anokhi baat, panchtantra ki kahani.. एक राजा था। उसका एक ही लड़का था, क्योंकि लड़का शुरू से लाड़-प्यार से पला था। इसी कारण वह आगे चलकर आलसी हो गया था।

जब राजा की मृत्यु होने लगी, तो अपने एकलौते पुत्र को बुलाकर कहा – बेटा, मैं तो मृत्यु शैया पर पड़ा हूं, किन्तु तुम्हें एक बात का ध्यान रखना है। प्रजा को कभी सताना नहीं, उसे हर वक़्त सुखी, सम्पन्न रखना। एक बात ये भी जान लो कि तुम्हारी मृत्यु सांप के काटने से लिखी है।

यह कहकर राजा मर गया।

अपने पिता के मरने के बाद राजकुमार घबराया हुआ सा रहने लगा। एक दिन उसके मन में ये बात आयी कि कहीं जंगल में जाकर तपस्या की जाए। राजकुमार सारा राज-पाट त्यागकर जंगल की ओर चला गया।

उसे जंगल में एक महात्मा मिले। राजकुमार उनका शिष्य बनना चाहता था, किन्तु महात्माजी ने उसे शिष्य बनाने से इनकार कर दिया तब तक वहीँ कुटिया बनाकर तपस्या करने लगा। उसकी तपस्या से महात्मा जी बहुत प्रभावित हुए। एक दिन महात्मा जी ने कहा – तुम राजकुमार हो, अपने घर लौट जाओ और राजपाट करो।

महाराज, मैं घर वापस नहीं लौटूंगा।

क्यों, क्या बात है?

बात ऐसी है कि मेरी मौत सांप के काटने से लिखी है। मैं चाहता हूं कि सांप नहीं काटे। अत: मेरा विचार है कि यहीं आपके चरणों में ही जिंदगी के बाकी दिन गुजार दूँ।

राजकुमार यह तुम्हारी भूल है। जो तुम्हारे भाग्य में लिखा है, होगा वही। उसे कोई टालने वाला नहीं। जाओ, घर वापस लौट जाओ।

महाराज, मुझे कुछ उपदेश देने की कृपा कीजिए।

मेरे तीन बातों का ध्यान रखना, मनुष्य को सुबह उठकर टहलना चाहिए। इससे लक्ष्मी आती है। दूसरी बात – घर आए अतिथि का सत्कार करना चाहिए। तीसरी बात – पहला गुस्सा पि जाना चाहिए।

और इस प्रकार तीन बातों का उपदेश लेकर राजकुमार अपने राज्य में वापस आ गया। अब प्रतिदिन का नियम था कि वह प्रात:काल सैर करता था।

एक दिन जब वह सैर करने गया, तो उसे रास्ते में एक औरत रोती हुई मिली। उसने उस औरत के पास जाकर पूछा – तुम कौन हो?

मैं लक्ष्मी हूं।

आखिर तुम ऐसे रास्ते में क्यों रो रही हो?

रो इसलिए रही हूं कि राज्य के राजकुमार में विपत्ति पड़ने वाली है। फिर मैं कहां जाउंगी?

तुम मेरे घर चलो, तुम्हारी हिफाजत होगी।

ठीक है तुम चलो मैं आती हूं।

और फिर राजकुमार घर वापस आ गया। घर आकर उसने बहुत धन खर्च करके अतिथियों के लिए महल बनवाया। महल में खाने-पिने का सारा समान रखवाया।

उसके बाद उसने हर कर्मचारी को बुलाकर कहा – घर पर आए किसी भी मेहमान का अनादर नहीं होना चाहिए। उसकी सेवा का पूरा ध्यान रखा जाए।

और फिर कुछ दिनों बाद। राजा की लड़की राजकुमार का भेष बनाकर रानी के आगे आ खाड़ी हुई। रानी ने घर आए अतिथि का स्वागत किया। यह देख राजा बहुत क्रोधित हुआ। रानी को अन्य अजनबी राजकुमार के साथ बात करते देख वह रानी के पास आया।

उसने रानी को दंड देने के लिए म्यान से तलवार निकाल ली। तभी, उसे याद आया कि इन्सान यदि पहला गुस्सा पि जाए, तो उससे कोई भी नहीं जित सकता। और राजा का मन बदल गया। उसने तुरंत सारा क्रोध पीकर तलवार म्यान में रख ली।

राजा की लड़की जो राजकुमार के भेष में थी, राजा का क्रोध देखकर घबरा गई। उसने झट अपना भेष बदल दिया।

राजा अपनी ही लड़की को राजकुमार के भेष में देखकर दंग रह गया।

उसने पूछा – बेटी, ऐसा तुमने क्यों किया? यदि मैंने तलवार चला दी होती, तो आज मुझे अपनी ही संतान से हाथ धोना पड़ता।

पिताजी, आपकी मृत्यु सांप काटने से लिखी है, इसलिए मैंने सोचा कि आपके मरने के बाद मैं राज चला सकती हूं या नहीं।

और फिर धीरे-धीरे बात आई-गई हो गई। राजा की मृत्यु का दिन आ पहुंचा। वह उसके लिए तैयार था कि सांप आए और उसे काट खाये।

समय बिलकुल नजदीक आ गया। राजा सिंहासन से पैर नीचे कर मस्ती में हिला रहा था। सांप झूमता हुआ आया।

राजा ने कहा – भाई, आज तुम मुझे डसने आए हो डसो।

नहीं मैं अब तुम्हें नहीं डसूंगा।

क्यों?

इसलिए कि इस राज्य में मुझे खाने-पिने को बहुत मिला है। इतना कुछ खाने-पिने के बाद यदि मैं तुम्हें डंस लूँ, तो यह नमकहरामी होगी।

और फिर सांप बिना डसे लौट गया। राजा को महात्मा की बात याद आयी। महात्मा की बात सही थी। सुबह को टहलना, अतिथि की सेवा करना, पहला गुस्सा पि जाना। इन तीनों पर यदि इन्सान अमल करे, तो काल से भी बच सकता है।

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