हिंदुओं की आस्था का एक केंद्र भगवान जगन्नाथ पूरी है। दसवी शताब्दी में निर्मित यह प्राचीन मंदिर 7 पुरियों में से एक है। आज इस आर्टिकल में हम आपको जगन्नाथ पूरी मंदिर से जुड़े रोचक और अदभुद तथ्य के बारे में बता रहे है।
जगन्नाथ मंदिर से जुड़े 16 अदभुद बातें
1. पूरी की सबसे खास बात तो खुद भगवान जगन्नाथ है जिनका अनोखा रूप कही और स्थान पर देखने को नही मिलता। नीम की लकड़ी से बना इनकी मूर्ति अपनेआप में अदभुद है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह एक खोल है। इसके अंदर खुद भगवान श्री कृष्णा मौजूद होते है।
2. कहा जाता है कि जगन्नाथ भगवान कि मूर्ति के भीतर ही भगवान श्री कृष्ण कि अस्थि रखी गई है।
3. जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्री कृष्ण, बलभद्र और सुभद्रा कि मूर्ति कि पूजा होती है जिसे खुद भगवान ब्रह्मा ने अपने हाथों से बनाया है।
4. जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लहराता झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में रहता है।
5. तीर्थ में आप कही भी हो। मंदिर के उपर लगे सुदर्शन चक्र हमेशा सामने ही दिखाई देगा।
6. यह जगन्नाथ जी का महाप्रसाद। मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखा जाता है और प्रसाद लकड़ी जलाकर पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में लेकिन सबसे उपर के बर्तन का प्रसाद पहले पकता है।
7. समुद्र तट पर दिन में हवा जमीन की तरफ आती है और शाम के समय इसके विपरीत। लेकिन पूरी में हवा दिन में समुद्र की ओर और रात को मंदिर की ओर बहती है।
8. मुख्य गुंबद की छाया किसी भी समय ज़मीन पर नही पड़ती।
9. मंदिर में कुछ हज़ार लोगो से लेकर 20 लाख लोग भोजन करते है। फिर भी अन्न की कमी नही पड़ती है। हर समय पूरे वर्ष के लिए भंडार भरपूर रहता है।
10. हमें ज़्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे और उड़ते देखे है। जगन्नाथ मंदिर की यह बात आपको चौका देगी कि इसके उपर से कोई पक्षी नही गुज़रता।
11. सिंघद्वार में प्रवेश करने पर आप सागर की लहरो की आवाज़ को नही सुन सकते। लेकिन कदम भर बाहर आते ही लहरो का संगीत कानो में पड़ने लगता है।
12. एक पुजारी मंदिर के 45 मंज़िला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदलता है। ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नही बदला गया तो मंदिर 18 वर्ष के लिए बंद हो जाएगा।
13. मंदिर का रसोई घर दुनिया का सबसे बड़ा रसोई घर है। विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद को बनाने के लिए 500 रसोइए और 300 उनके सहयोगी काम करते है।
14. कुछ इतिहासकार यह सोचते है कि इस मंदिर के स्थान पर पूर्व के एक बौद्ध सपूत होता था। उस सपूत में गौतम बुद्ध का एक दाँत रखा था। बाद में इसे इसकी वर्तमान स्थिति, kandy, sri lanka पहुँचा दिया गया। इस काल में बौद्ध धर्म को वैष्णव संप्रदाय ने आत्मसात कर लिया था। जब जगन्नाथ अर्चना ने लोकप्रियता हासिल की। यह दसवी शताब्दी के लगभग हुआ। जब ओडिशा में सोमवंश राज्य चल रहा था।
15. महाराज रंजीत सिंग, महान सिख सम्राट ने इस मंदिर को प्रचुर मात्रा में स्वर्ण दान किया था, जो की उनके द्वारा स्वर्ण मंदिर, अमृतसर को दिए गये स्वर्ण से कही ज्यादा था। उन्होने अपने अंतिम दीनो में यह वसीयत भी की थी।
16। रथ यात्रा के दौरान जिस रथ का निर्माण होता है उसमे एक भी किल का प्रतोग नहीं किया जाता।
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