बच्चे को दूध पिलाने से स्तन (Breast) पर क्या प्रभाव होता है?

बच्चे को दूध पिलाने से स्तन (Breast) पर क्या प्रभाव होता है? Bacche ko doodh pilane se kya hota hai? बहुत सी महिलाएं ऐसी होती है जिन्हें पता है कि माँ का दूध बच्चे के विकाश के लिए जरुरी है पर वो अपने बच्चे को दूध पिलाने से डरती है, उन्हें लगता है कि इससे उनका figure ख़राब हो जायेगा। अगर आप भी ऐसा सोचती है तो आपको सोच कुछ हद तक सही है, पर ऐसा नहीं है कि इससे आपके breast का आकर बिगड़ जायेगा या आपका figure खराब दिखने लगेगा।

सबसे पहले हम ये जान लेते हैं कि माँ का दूध बच्चे के लिए क्यों जरुरी है? ताकि आप समझ सको कि माँ का पहला फर्ज क्या होता है।

माँ का दूध बच्चे के लिए कितना अच्छा है?

माँ बनाने की अनुमति नारी को जहां सुखद एहसास से भर देती है, वही स्तनपान माँ और शिशु को भावनात्मक रूप से जोड़ती भी है। यह माँ और बच्चे को एक अटूट बंधन में बांधती है। Breastfeeding यानि कि स्तनपान बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाने के साथ-साथ माँ को भी स्वस्थ बनाए रखती है।

जन्म के 6 महीने तक सिर्फ माँ का दूध ही पिलाए।

बच्चे के जन्म के तुरंत बाद माँ का पीला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए बहुत स्वस्थ होता है। इसमें मौजूद जरूरी पौषक तत्व और antibodies बच्चे को कई संक्रमण और बिमारियों से सुरक्षित रखते है।

जिन बच्चों को स्तनपान की जाती है, वे जल्दी बीमार नहीं पड़ते।

माँ के दूध की खासियत है इसका आसानी से पच जाना भी है यानी इससे शिशु को पाचन संबंधी समस्या नहीं होती।

नवजात शिशु को हर दो घंटे में माँ का दूध पिलाए यानी रोजाना करीब 8 से 12 बार।

शिशु को 20-20 मिनट तक दोनो तरफ से दूध पिलाना चाहिए, क्योंकि माँ के स्तन से पहले 5 मिनट तक सिर्फ पतला दूध आता है, जिससे बच्चे को जल्दी भूख लग जाती है।

हर बार दूध पिलाने से पहले अपने स्तन को कपड़े या गीला टिशू पेपर से पोछकर साफ कर ले।

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शिशु के के लिए उत्तम है माँ का दूध

  • माँ का दूध शिशु के लिए उत्तम आहार है। इसमें मौजूद पौषक तत्व से शिशु का संपूर्ण विकास होता है।
  • स्तनपान बच्चे को एलर्जी के साथ-साथ मोटापा, मधुमेह, कैंसर जैसी बिमारियों से बचाता है।
  • इससे नवजात को कब्ज, दस्त जैसी पेट संबंधी समस्या भी नही होती।
  • बच्चे का वजन संतुलित रहता है।
  • स्तनपान से बच्चे का IQ लेवेल बहुत अच्छा होता है।

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माँ के लिए भी फ़ायदेमंद है स्तनपान

  • स्तनपान करने से महिलाओ में ovarian cancer और menopause के पहले होनेवाले स्तन कैंसर से बचाव होता है।
  • इससे महिलाओ में osteoporosis की समस्या भी कम हो जाती है।
  • इतना ही नही, यह गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए वजन को कम करने में भी मदद करती है।
  • स्तनपान से शरीर में oxytocin नमक हॉरमोन का लेवल बढ़ता है, जिससे तेजी से गर्भाशय की toning होती है और ब्लीडिंग भी कम होती है।

अब आप समझ गई होंगी कि माँ का दूध बच्चे के लिए कितना जरुरी है और अगर आप अपने बच्चे को दूध पिलाती हो तो ये आपके लिए health के लिए कितना जरुरी है। चलिए अब जानते है कि बच्चे को दूध पिलाने से आपके figure पर क्या असर पड़ेगा।

बच्चे को दूध पिलाने से स्तन (Breast) पर क्या प्रभाव होता है?

ये पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि अप किस तरह से अपने बच्चे को दूध पिला रही हो, अगर सही ढंग से दूध पिलाया जाये तो स्तन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन अगर गलत तरीके से स्तनपान कराया जाये तो निम्नलिखित बदलाव देखने को मिल सकते है-

  • स्तन का लटक जाना
  • स्तन का छोटा बड़ा होना
  • ब्रा पहनने में दिक्कत आना
  • स्तन में दर्द का होना

अगर देखा जाये तो सही ढंग से दूध न पिलाने पर आपके स्तन का आकर बदल जाता है, पर अगर आपको पता हो कि बच्चे को कैसे दूध पिलाया जाये तो इससे आपके figure में कुछ भी बदलाव नहीं आते। आइये जानते है इसके बारे में-

बच्चे को सही ढंग से दूध कैसे पिलाये?

प्रसव (delivery) के बाद शिशु को स्तनपान कराने वाली महिलाओं को हमेशा कसी हुई bra पहनना चाहिए नहीं तो स्तन कि सुंदरता नष्ट होने लगती है। शारीरिक देखभाल की सबसे ज्यादा जरुरत delivery के बाद होती है। दूध पिलाने के गलत ढंग से स्तनों की सुडोलता कम हो जाती है और वे झूलने लगती हैं।

कभी भी खुद लेट कर या बैठकर बच्चों को भी बैठाकर दूध नहीं पिलाना चाहिए। हमेशा खुद बैठ कर और बच्चे को गोद में लिटाकर स्तनपान कराए। स्तनपान कराते समय बच्चे के सिर के नीचे हथेली लगाए रखें ताकि बच्चे का सिर एक जगह स्थिर रह सके।

प्रसव के बाद शिशु को दूध पिलाने वाली महिलाओं के स्तन में लगभग चार इंच की वृद्धि होती है। इस अवधि में यदि उचित देखभाल न की जाए, तो स्तन स्थायी रूप से भद्दा आकर ले लेती हैं।

शिशु को दूध पिलाने वाली महिलाओं को नित्य लगभग पांच मिनट गर्म पानी से अपने स्तन को धोना चाहिए। पानी जितना अधिक गरम होगा उतना ही अच्छा होगा। लेकिन इतना गर्म भी नहीं होना चाहिए कि त्वचा जल जाए।

इसके बाद लगभग पांच मिनटों तक अपने स्तन को ठंडे पानी से धोएं। इस क्रिया को एक बार पुन: दोहराना चाहिए। इस परिवर्तन से स्तनों में रक्त-संचार क्रिया तीव्र हो जाती है और इससे स्तन को सुडौल बनने में मदद मिलती है।

इस बात का विशेष ध्यान रहे कि स्तनपान कराने के बाद स्तन के दूध न रहे। इनमें बचा दूध स्तन को बेडौल बना सकता है। स्तनपान के तुरंत बाद स्तन को थोड़ी देर तक जोर से हिलाकर उंगलियों में भींचना चाहिए।

इस क्रिया को तीन चार बार दोहराने से बचे कुचे दूध की बूंद बाहर रिस जाएँगी। और आप अपने स्तन में ताजगी व हल्कापन महसूस करने लगेंगे।

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आज आपने क्या जाना?

आज अपने जाना कि अगर आप सही ढंग से बच्चे को दूध पिलाती हो तो इससे आपके स्तन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मैंने बहुत सी महिलाओं को देखा है जो अपने figure को बचाने के लिए अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाती, पर ऐसा नहीं करना चाहिए सही ढंग से बच्चे को दूध पिलाये और बेफिक्र रहे। आपको हमारा आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरुर share करें ताकि उन्हें भी इसकी जानकारी हो और अगर आपको हमसे कुछ पूछना हो तो comment जरुर करें। धन्यवाद

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