हम भले ही अपनी कठिन और विपरीत परिस्थितियों की आलोचना करें, लेकिन सच यह है कि हम फसल काट रहे हैं, जो हमने बोई थी। सदभावना, शांति, प्रसन्नता और प्रेम के बीज बोने का प्रयत्न कीजिए। अगर ऐसे बीज बोएँगे, तो भविष्य में स्वर्णिम प्रकाश व समृद्धिरुपी फसल आपको अवश्य प्राप्त होगी।
अगर आप में वीरता नहीं है, साहस नहीं है, तो अन्य बातों के सद्गुणों की प्राप्ति होती है। आपका रंग-ढंग वीरों का सा होना चाहिए, आपको साहसी और शूरवीरा बनने का प्रयत्न करना चाहिए। ऐसा करने से लोगों को विश्वास हो जाएगा कि आप में एक नई शक्ति है।
संकल्प, आदर्श, धैर्य और साहस के अलावा आपका केवल यह उद्देश्य होना चाहिए कि आप कुछ बने, कुछ बनाएँ, कुछ उत्पन्न करें, कुछ प्राप्त करें। जब आप कुछ बनकर दिखाएँगे तभी संसार आपको आदर की दृष्टि से देखेगा।
एक व्यापारिक फर्म में स्वामी को एक व्यक्ति को अपने यहाँ कार्य के लिए रखना था। जब फर्म के स्वामी ने उसके पिछले जीवन के संबंध में कुछ प्रश्न पूछे, तो उसने भाग्य का रोना शुरू कर दिया।
इस पर स्वामी ने बिगड़कर कहा – ‘ मैं अभागे व्यक्तियों को अपने पास नही रखता। यहाँ ऐसे व्यक्तियों की लिए कोई स्थान नहीं है, जो भाग्य का रोना रोते है। ‘
असफल व्यक्तियों में अधिकांश ऐसे होते है, जिन्हें अपने ऊपर विश्वास नहीं होता, जिन्हें अपने सामर्थ्य पर संदेह होता है। जिस समय मन में संदेह उत्पन्न हो जाता है अथवा खुद पर भरोसा नहीं रहता, तो समझ लीजिए कि आपने शत्रुओं के सामने हथियार डाल दिए।
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जब मन में दुर्बलतापूर्ण विचार आते हैं अथवा निराशा और सामर्थ्यहीनता की भावना जकड़ लेती है, तो यह प्रकट होता है कि आपका आत्मविश्वास समाप्त हो चुका है अर्थात सफलता की नीव खोखली हो चुकी है।
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