चुन्ना का इलाज, घरेलू उपचार कारण और लक्षण। chunna ka ilaj aur gharelu upchar

पेट के कीड़े बहुत से बच्चों के मल (टट्टी) के साथ छोटे-छोटे सफेद कीड़े निकलते हैं इसे चुन्ना कहते हैं।  इसकी लंबाई चौथाई से लेकर आधे इंच तक होती है। जब यह चुन्ना  गुदा द्वार पर पहुंचते हैं तो वहां पर बड़ी खुजली उठती है पिछवाड़ा चुनचुनाता है  इसलिए शायद इन कीड़ों का नाम चुन्ना पड़ गया है और इन्हीं के नाम पर  रोग का नामकरण हुआ है।  बच्चे के टट्टी करने के बाद ही टट्टी को ध्यान से देखा जाए तो उसमें यह चलते-फिरते दिखाई देते हैं। चुन्ना का इलाज

क्या है लक्षण

बच्चों की आँत में अक्सर कीड़े पैदा हो जाते हैं, जो मुश्किल से जाते हैं । इस रोग से पीड़ित बच्चे का स्वास्थ्य साधारणतः खराब रहता है,  उसे अच्छी नींद नहीं आती, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है ,वह पीला पड़ जाता है और उसकी आंखों के नीचे की जगह काली हो जाती है।

ऐसे बच्चे की भूख बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, दिन भर खाते ही रहना चाहता है, घर पर बना खाना भी उसे अच्छा लगता है लेकिन वह दुबला रहता है और खाकर कभी संतुष्ट नहीं होता।  इस रोग से पीड़ित बच्चे को किसी हद तक कब्ज और जुकाम रहता है।

शुरुआती दौर पर बच्चों के पेट से यह कीड़े तो कम निकलते हैं लेकिन जैसे ही जैसे दिन बढ़ता जाता है इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी हो जाती है यह चुन्ने बच्चे को बहुत परेशान करते हैं।  अतः मां को कभी बच्चे के टट्टी के साथ एक चुन्ना भी दिखाई दे तो उसे तुरंत सजग हो जाना चाहिए।

अगर बच्चे की स्वास्थ्य में कोई भी बदलाव ना दिखाई दे और टट्टी के दौरान एकाध चुन्ना बच्चे के टट्टी में दिखाई दे तो समझना चाहिए कि कोई अंडा किसी तरह से पेट में पहुंच गया है  और अंडे की फूटने की वजह से चुन्ना बाहर निकल गया  अतः ऐसी अवस्था में कोई चिंता नहीं करनी चाहिए। चुन्ना का इलाज, घरेलू उपचार कारण और लक्षण। chunna ka ilaj aur gharelu upchar

रोग का कारण

  1. बिना हाथ साफ किए गंदी अवस्था में हाथों को भोजन में लगाने या अंगुलियों को मुंह में डालने से।
  2. नाक में उंगली डालने के बाद मुंह में डालने से।
  3. चुन्नी पड़ जाने पर बच्चा अपने गुदा द्वार पर खुजलाता है और वही हाथ अपने मुंह में डाल देता है जिसकी वजह से चुन्ना बार-बार पड़ते रहते हैं।
  4. कोई दूसरा बच्चा जो चुन्ना से पीड़ित है उसके कपड़े को इस्तेमाल करने से।

5 कब्ज के कारण देर तक आंत में टट्टी रोकने से।

  1. आंव की बीमारीचुन्ने के पनपने में सहायक होती है।
  2. पूरी तरह से पेट के साफ ना होने परऐसी अवस्था जिसमें टट्टी गुदाद्वार के निकट आ कर रुक जाती है और चुन्ना के पनपने में सहायक होती है।

चुन्ना का घरेलू इलाज / पेट / टट्टी में चुन्ना कैसे दूर करें

पहलाकदम

इसके लिएबच्चे की उम्र के अनुसार एक पाव गुनगुने गर्म पानी में 10 से 20 ग्राम भर नींबू का रस मिला दे।  पानी को बच्चे को पीने के लिए दे दें इससे पेट साफ हो जाएगा। औ टट्टी के साथ चुन्ना का इलाज हो जाएगा।

दूसराकदम

अब पिचकारी से 4 तोला यानी 40 ग्राम नारियल का तेल पिछवाड़े के द्वारा आंतों में पहुंचाना है । इसके लिए आप 30 से 40 ग्राम नारियल के तेल को किसी पिचकारी में भर लें और उस पिचकारी को बच्चे के पिछवाड़े में लगा कर मारे इससे नारियल का तेल आंतों में पहुंच जाएगा।

तेल बच्चे की आँत की झिल्ली को शांत करेगा और इस में जलन मौजूद को कम करेगा और चुन्ना के जो बड़े अंडे बच्चे की आंख में चिपके रहकर नींबू पानी के साथ न निकले होंगे उन्हें छुड़ा देगा। यह चुन्ना का इलाज करने में सक्षम है।

तीसराकदम

2 से 3 दिन तक इस तरीके को आजमाएं फिर भी आराम नहीं मिलता है तो बच्चे  के घुटने को पेट के पास रखकर उसे पेट के बल सुला देना चाहिए और उसे टट्टी करने के समय की तरह जोर लगाने को कहना चाहिए। इस तरीके से भी चुन्ना मल के द्वारा बाहर निकलते हैं। ‘चुन्ना का इलाज, घरेलू उपचार कारण और लक्षण। chunna ka ilaj aur gharelu upchar’ इन चुन्ना को कागज के द्वारा निकालते जाना चाहिए जब काफी संख्या में चुन्ना निकल जाएं तो फिर से पिचकारी से नारियल का तेल गुदाद्वार में डाल दें।

घरेलूइलाजफ़ॉरचुन्ना चुन्ना का इलाज घरेलू उपाय के साथ

पानीपिलाए

बच्चे को 2 से 3 दिन तक पानी के सिवा कुछ भी खाने पीने को नहीं देना चाहिए। अगर, बच्चा ना माने या बच्चे की मां का दिल न माने तो बच्चे को पानी में फल या तरकारियों का रस मिलाकर दिया जा सकता है ।

घंटे-घंटे में बच्चे को पानी पिलाते रहे। अगर बच्चा इतना जल्दी पानी पीना ना चाहे तो उसके साथ जबरदस्ती ना करें बल्कि डेढ़ घंटे में पानी पिला सकते है। चुन्ना का इलाज हो जाता है।

नीबूपानी

अम्लीय होने के कारण नींबू और पानी चुन्ना को मारने के लिए सक्षम है। 2 से 3 दिन तक जब तक बच्चे का पानी के साथ उपवास चले तब तक नींबू पानी के घोल को बच्चे को पिलाते रहना चाहिए। इससे चुन्ना मल के द्वारा बाहर निकल आते हैं। गुनगुने पानी में ही नींबू मिलाकर बच्चे को पीने को दें।

गुनगुनापानी

अगर बच्चे के पेट में चुन्ना पड़ गए हैं तो उसे गर्म पानी दें इससे आंतों की सिकाई भी हो जाएगी और आँतों में पल रहे पेट के कीड़े के अंडे भी नष्ट हो जाएंगे।

फिटकरीकापानी

यह अम्लीय गुणों से भरपूर होता है जो बच्चे के पेट में पल रहे चुन्ने को मारने में सहायक होता है। इसके लिए एक पाव पानी में 5 ग्राम फिटकरी मिला दें और जब यह अच्छी तरह से घुल जाए तो बच्चे को पानी पिला दे पानी गुनगुना हो तो और बेहतर होगा।

एप्पलसाइडरविनेगर

इसमें भी कई एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं।  एप्पल साइडर विनेगर स्वभाव से बहुत ही अम्लीय होता है। इसके अम्लीय स्वभाव के चलते इसका इस्तेमाल चुन्ना मारने के लिए किया जाता है। आप इसका इस्तेमाल दो तरीके से कर सकते हैं।

पहला तरीका आप एक गिलास पानी में एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर को मिलाकर बच्चे को पीने को दें और दूसरा तरीका एप्पल साइडर विनेगर को लेकर बच्चे के गुदा द्वार में लगाएं।

प्याजकारस

प्याज का रस पिलाने से बच्चों के पेट के कीड़े और चुन्ना नष्ट हो जाते हैं  यह बदहजमी को भी दूर करता है।

जैतूनकातेल

जैतून के कच्चे तेल को पिछवाड़े में लगाने से भी बच्चों के कीड़े अथवा चुन्ना मर जाते हैं।

धतूरकारस

3 दिन तक बालक के गुदा में लगाने से सफेद कीड़े  नष्ट हो जाते हैं।

उपवासकराएं

अन्य कई रोगों में किसी भी बच्चे को उपवास करने में किसी भी तरह की कठिनाई नहीं होती। उसे भूख भी नहीं लगती। लेकिन चुन्ना रोग में अवस्था कुछ विपरीत ही रहती है अतः बच्चे को उपवास की आवश्यकता अच्छी तरह समझ समझा देना चाहिए और उसे प्रोत्साहन देकर उपवास कराना चाहिए।

उपवास के दौरान आप बच्चे को सिर्फ पानी पिलाएं जितना हो सके उतना पानी पिलाएं लेकिन खाना खाने को ना दें ना ही फल।

अगर बच्चा इतना बड़ा है कि वह चलना सीख गया है तो उसे 1 दिन के बजाय 2 दिनों का उपवास कराना अच्छा है। 2 दिनों के उपवास के दौरान  बच्चे को सिर्फ और सिर्फ पानी ही पिलाएं  यह मैं बार-बार रिक्वेस्ट कर रहा हूं ।

उपवासकेबादकापहलादिनबच्चेकोक्याखिलाएँ?

चाहे बच्चा 1 दिन का उपवास करें या 2 दिन का उसे आगे चार-पांच दिनों तक केवल फल तरकारियां ही खिलाने चाहिए।

तरकारियां कच्ची जैसे टमाटर गाजर खीरा ककड़ी प्याज आदि और पकी दोनों प्रकार की ही दी जा सकती हैं।

इस वक्त भी बच्चे को सादा पानी या फल सब्जियों का रस मिला पानी  ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पिलाने का ध्यान रखना चाहिए।

इस समय उसे दूध रोटी हाथ डाल मिठाई या अन्य कोई चीज किसी हालत में भी ना देनी चाहिए।

इस फलाहार में बच्चे को रोज शाम को नींबू पानी देना चाहिए सरकारी लेने पर बच्चे को अक्सर सवेरे अपने आप ही टट्टी होता है।

दूसरेदिन क्या खिलाएँ?

फलाहार के दूसरे दिन बच्चे को दोपहर के भोजन में तरकारियों के साथ कुछ भुने हुए आलू देनी चाहिए।, और नाश्ते में पानी में भिगोए हुई कुछ किशमिश।

इस समय बच्चे को कच्ची तरकारियां देना बहुत लाभदायक है जो तरकारियां कच्ची खिलाई जाए उन्हें अच्छी तरह साफ करना चाहिए और अंत में नमक मिले पानी से धोकर साफ पानी में धो लेना चाहिए तभी बच्चे को पिलाया जाए।

आगेके15 दिन

रोटी शुरू करने के बाद 15 दिन तक डेयरी दूध बच्चे को नहीं देना चाहिए उसका भोजन कुछ इस प्रकार से हो सकता है।

सबेरेउठनेपर  किसी सब्जी को पकाकर सब्जी के द्वारा निकाले गए रस में थोड़ा नींबू का रस मिलाकर।

नाश्ता  कोई फल और साथ में थोड़ी किशमिश या अंजीर।

दोपहरको

कुछ कच्ची और पक्की सब्जियां चोकर समेत आटे की रोटियां या दलिया हो तो और अच्छा है। बच्चे को अगर इच्छा हो तो दो से चार आलू खिला सकती हैं।

तीनबजे– कोई फल या फल का रस।

शामको

दोपहर का भोजन शाम को उपयोग में लाएं।  बच्चा चाहे तो रात को सोते समय किसी सब्जी का रस पी सकता है। यह चुन्ना का इलाज में जरूरी है

पाथपथ्य

तिल या सरसों का तेल, शहद,  काँजी,  दही का मलाई, गोमूत्र, मदिरा, ऊंट का मूत्र, हींग , जंभीरी  नींबू का रस, अजवाइन , सरसों, लहसुन, परवर, पुराने लाल चावल, केला, गूलर, बकरी का दूध साबूदाना तथा पुराने चावलों का भात आदि पथ्य है।

अपथ्य

गुड, उड़द, दही, मांस, दूध, मिठाई, मलाई,पत्तों की सब्जी, खटाई, दिन में सोना तथा मल और मूत्र को रोकना खतरनाक साबित होगा।

चिकित्सा

चिकत्सा का विधान डॉक्टर के द्वारा

कुछ डॉक्टरों का कहना है कि पेट के कीड़े बच्चे के पेट में अंडे नहीं देते।  जितने पेट के कीड़े पेट से निकलते हैं उतने अंडे मुंह के द्वारा पेट में गए हुए होते हैं। पर कभी-कभी कितने अधिक चुन्ने बच्चे के पेट से निकलते हैं और हफ्तों तक निकलते ही रहते हैं उन्हें देखते हुए इसको  सत्य नहीं कहा जा सकता।

इस रोग के लिए डॉक्टर पहले ऐसी कोई कड़ी दवा दे देते हैं कि पेट में पेट के कीड़े और उसके अंडे मर जाएं और फिर उन्हें बाहर निकालने को कोई तेज दस्त वाली दवा दे देते हैं।

जिससे बच्चे का और पतन होने लगता है।  ऐसी चिकित्सा से लाभ बहुत नहीं होता उलटे कभी-कभी इससे बच्चे की पाचन प्रणाली बिगड़ जाती है।

प्राकृतिक या आयुर्वेदिक निदान

प्राकृतिक चिकित्सा में इस रोग को दूर करने के लिए बच्चे की आंत को पेट के कीड़े और उसके अंडे से मुक्त कराने की कोशिश की जाती है और उन्हें सशक्त करने की। ताकि बच्चे का कब्ज और जुकाम चला जाए क्योंकि यह इस रोग का मुख्य कारण है।

आंतों को सशक्त और उनके कार्य को स्वाभाविक बनाया जाता है कि जिससे वह अंडे को देर तक रुकने नहीं देती और उनमें पेट के कीड़े पैदा होने के पहले ही उन्हें बाहर निकाल देती है।  साथ ही सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि और अंडे पेट में ना पहुंच जाएं।

जब मां को बच्चे के मल में पेट के कीड़े होने की शंका हो जाए तब उसे उसकी उपस्थिति का निश्चय करने के लिए मल को कई दिन तक बराबर अच्छी तरह से देखना चाहिए ।”चुन्ना का इलाज, घरेलू उपचार कारण और लक्षण। chunna ka ilaj aur gharelu upchar” यदि कई चुन्ना एक साथ दिखाई दे तब इस रोग की चिकित्सा अनिवार्य हो जाती है कई अवस्थाओं में अच्छी तरह देखा जाए तो सोते हुए बच्चे के गुदा द्वार पर पेट के कीड़े दिखाई दे जाते।