Computer Software और Hardware में क्या अंतर है?

Computer Software और Hardware में क्या अंतर है? इस Lesson में Computer में Hardware तथा Software क्या होता है,इनका क्या महत्व है, कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर कितने प्रकार के होते है, कंप्यूटर हार्डवेयर को कितने भागो में विभाजित किया गया है आदि के बारे में बताया गया है।

Computer Hardware

कंप्यूटर के यांत्रिक,वैधुत तथा इलेक्ट्रॉनिक भाग Computer Hardware कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी कंप्यूटर सिस्टम के ऐसे भाग जिन्हें आसानी से छूकर महसूस किया जा सके कंप्यूटर हार्डवेयर कहलाते हैं।

Computer Hardware को मुख्य 2 भागो में वर्गीकृत किया जा सकता है।

(1) CPU (Central Processing Unit)
(2) Peripherals

(1) CPU (Central Processing Unit)

CPU Computer का एक Important Part होता हैं।CPU का पूरा नाम Central Processing Unit हैं, इसे Computer का दिमाग भी कहा जाता हैं,क्योंकि यह कंप्यूटर से जुड़े विभन्न Devices को Control करता है । Central Processing Unit बिना कम्प्युटर अपना कार्य नहीं कर सकता हैं। यह कंप्यूटर के द्वारा प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है, और Input Devices से प्राप्त निर्देशों और डाटा को Process करके परिणाम देता है।

CPU को तीन भागो में बाँटा जा सकता है।

(I) CU (Control Unit)
(II) ALU (Arithmetic Logical Unit)
(III) Memory Unit

(I) CU (Control Unit)- Control Unit Computer hardware की क्रियाओ को नियंत्रित (Control) और संचालित करता है। यह input यूनिट से किये गये Data Flow को memory में Storage और Output unit तक नियंत्रित करता है।

Control Unit के प्रमुख कार्य- 

  • Memory से सूचना को पुनः Controller में लाना एवं ALU में भेजना ।
  • Input Unit की सहायता से data को Controller तक ले जाना । 
  • Controller द्वारा data को memory में उचित स्थान प्रदान करना।

(II) ALU (Arithmetic Logical Unit)- Arithmetic Logical Unit System की महत्वपूर्ण यूनिट होती है। यह कंप्यूटर की वास्तविक गणनाओं (Basic calculation) जैसे- Plus, Minus, Multiplication, Division और Comparison का कार्य करती है। ALU Control Unit से निर्देश लेता है, यह मेमोरी से डाटा को प्राप्त करता है तथा process हो जाने के बाद information को मेमोरी में return कर resistor और accumulator होते हैं जो calculation के समय intermediate result को store करके रखते हैं। ALU Program के आधार पर Control Unit के बताए अनुसार सभी data, memory से collect करके accumulator में रख लेता है।

जैसे यदि हमें दो number A और B को जोड़ना है तो कंट्रोल यूनिट, A को मेमोरी से प्राप्त करके ALU में पहुंचाती है, अब यह B के मान को मेमोरी से चुनकर ALU में स्थित A में जोड़ देती है तथा परिणाम मेमोरी में Located हो जाता है।

III) Memory Unit- यह semi conductor पदार्थ से निर्मित एक IC Chip होती है जो की Data, instruction और Result को Output के लिए Store करके रखती है। यह ALU में Dataऔर instruction का आदान-प्रदान Control Unit के नियंत्रण में करती है। कंप्यूटर की Memory Cells में विभाजित होती है प्रत्येक Cells का अपना एक Address होता है। जिसके द्वारा उसे Refer किया जाता है। कंप्यूटर में Memory की क्षमता 4 mb से लेकर 256 mb या इससे अधिक भी हो सकती है। 

कंप्यूटर में दो प्रकार की Memory होती है –

(i) RAM
(ii) ROM 

(i) RAM

यह कंप्यूटर की अस्थाई मेमोरी होती है इसको read/write Memory भी कहा जाता है क्योंकि इस मेमोरी में हम डाटा को संग्रहित करने के साथ-साथ उस डाटा को पढ़ भी सकते हैं। 

(ii) ROM 

यह कंप्यूटर की स्थाई मेमोरी होती है,जिसे अक्सर Computer manufacture द्वारा प्रोग्राम करके स्थाई कर दिया जाता है जो समय अनुसार कार्य करते हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर Operator को निर्देश देते रहते हैं ।

(2) Peripherals

Peripherals में तीन मुख्य भाग होते है-

(I) Input Unit
(II) Output Unit
(III) Storage

(I) Input Unit – Input Unit Dataऔर instruction को Input करके CPU के समक्षने योग्य भाषा (Pulse) में बदलकर CPU में भेजती है।

(II) Output Unit – यह Unit, Processing के बाद परिणाम (Result) को Output device (जैसे- Monitor) में प्रदर्शित करने का कार्य करती है।

(III) Storage- इस Unit का कार्य Data और Program को भविष्य के लिए Store करके रखने का होता है। यह Processing के बाद परिणाम (Result) को भी Store करके रख सकता है,इसे Secondary Storage भी कहा जाता है।

सॉफ्टवेयर – Software

Computer में किसी कार्य को पूरा करने के लिए कंप्यूटर को दिए गये Instruction के समूह (Group) को Program कहते है। Program किसी problem को solve करने के लिए लिखे गये अनेक पदो की एक प्रकिया होती है,जिसमे उस problem को solve करने के लिए एक विधि को Programming Language में लिखा जाता है,इन प्रोग्रामो के समूह को सॉफ्टवेयर कहते है।

या हम कह सकते है की, सॉफ्टवेयर एक प्रकार का प्रोग्राम है, जो उपयोगकर्ता को कुछ विशिष्ट कार्य करने में सक्षम बनाता है या कंप्यूटर को चलाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक कंप्यूटर सिस्टम पर सभी Peripheral devices को Instruction देता है की क्या करना है और कैसे करना है,इसके के बिना, हम Hardware operate नहीं कर सकते हैं और कोई भी calculations नहीं कर सकते हैं।

इसलिए हम कह सकते हैं कि हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर एक दूसरे के पूरक है। यह User और Computer में बीच परस्पर सम्पर्क स्थापित करता है।

सॉफ्टवेयर के प्रकार – Types of Software

सॉफ्टवेयर को तीन श्रेणीयो में वर्गीकृत किया जा सकता है।

(1) सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
(2) एप्लीक्शन सॉफ्टवेयर (Application Software)
(3) यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software)

(1) सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)- ऐसे Computer program जो कंप्यूटर -सिस्टम की क्रियाओं को नियन्त्रित करता है,सिस्टम सॉफ्टवेयर कहलाता है। कंप्यूटर में सिस्टम सॉफ्टवेयर का बहुत महत्वपूर्ण कार्य होता है, यह ऐसे प्रोग्रामो का समूह होता है जो कंप्यूटर सिस्टम की सभी क्रियाओं को नियंत्रित करता है, इसलिए किसी भी कंप्यूटर में हार्डवेयर के साथ ही साथ System Software का होना भी बहुत जरूरी है।

यह, एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर को भी चलाते है,इसलिए हम कह सकते है की System Software, Application software का आधार होते है। सिस्टम सॉफ्टवेयर user को कंप्यूटर-सिस्टम पर कार्य करने में सहायक होते है। Operating System,सिस्टम सॉफ्टवेयर का एक अच्छा उदाहरण है। 

सिस्टम सॉफ्टवेयर के कार्य – Function of System Software

(a) अन्य सभी सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर में चलाना।
(b) कम्प्यूटर के hardware को control करना है।
(c) सभी Peripherals device जैसे – printer, monitor आदि के बीच संपर्क स्थापित करना।

(2) एप्लीक्शन सॉफ्टवेयर (Application Software)- ऐसे अनेक प्रोग्रामो के समूह जो एक निश्चित कार्य को करने के लिए बनाये जाते है एप्लीक्शन सॉफ्टवेयर कहलाते है। एप्लीक्शन सॉफ्टवेयर अनेक programs का समूह होते है,इसलिए इन्हे Application Software Package भी कहते है।

यदि हम इसे को परिभाषित करना चाहे तो हम कह सकते है की- ऐसा सॉफ्टवेयर जो विशिष्ट कार्यों को करने में उपयोगकर्ता की मदद करने के लिए विकसित किया जाता है, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहलाता है। एप्लीक्शन सॉफ्टवेयर सिस्टम सॉफ्टवेयर के ऊपर रहता है। पहले user सिस्टम सॉफ्टवेयर के साथ Interact करता है उसके बाद वह Application Software के साथ काम करता है। किसी school या collage के परीक्षा परिणामो की गणना करके प्रगति-पत्र (Mark sheet) तैयार करना तथा students की fees का जानकारी रखना आदि प्लीक्शन सॉफ्टवेयर के द्वारा ही किये जाते है।

कुछ विशेष कार्यो के लिए भी Application Software बनाये जाते है जैसे- Bank, School management, share Market आदि। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के कुछ उदाहरण- Word processing software, Spreadsheets Software, Presentation, Graphics, CAD/CAM, Emailभेजना आदि हैं।

(3) यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software)- ऐसे Computer Program जो कम्प्यूटर-सिस्टम और इसके विभिन्न भागों का रख-रखाव और उनकी मरम्त करते है,utility Software कहलाते है। उदाहरण के लिए, जैसे- Computer Virus से सुरक्षा के लिए Antivirus software, Disk की मरम्त के लिए Disk recovery software इत्यादि। यूटिलिटी सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के Service Program भी कहा जाता है।

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