हस्तमैथुन करना क्या पाप है? Hilana kya galat hai? सब से प्रमुख योवओं में गड़बड़ी यह है कि इस पर वाद-विवाद दोनों पारंपरिक और आधुनिक विशेषज्ञों से बाँटा गया है। पारंपरिक विशेषज्ञ कहते है, ” हस्तमैथुन शरीर को एक हद तक प्रभावित करता है और शादी के बाद वैवाहिक जीवन में भी समस्याएं लता है।” दूसरी तरफ आधुनिक विशेषज्ञ कहते हैं, ” हस्तमैथुन एक प्राकृतिक तथ्य हैं, इससे शरीर में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है।”
जब एक बच्चा पैदा होता है, हर अवस्था में उसके शरीर में परिवर्तन होता है। यदि किसी भी अवस्था में ठीक तरह से बदलाव नहीं होता तो यह कहा जाता है कि उनके बढ़ने में कमी है। जैसे कि एक व्यक्ति का वजन और ऊंचाई बढ़ती है, उसी तरह आवाज़ का बदलाव भी है जो एक मर्द के रूप में आवाज़ का परिवर्तन होता है।
ये जो परिवर्तन है प्राकृतिक है। और लिंग में एक सब से महत्वपूर्ण परिवर्तन परिपक्वता है। वह तो सभी प्राणियों में सामान्य है। उस के बाद पुरुष और स्त्री में एक यौन आकर्षण होता है।
कब ये यौन आकर्षण पाप बन जाता है?

यौन भावना एक पाप नहीं है। परन्तु जब यह भावना गलत मार्ग में प्रकट होती है और गलत रिश्ते का कारण बन जाती है, यह एक आदमी को पाप कराता है। जवान को शारीरिक रूप से परिपक्वता से बढ़ गए हैं, परन्तु विचारों में अभी तक नहीं बढ़े हैं, वे ही इस यौन आकर्षण की तरह ठोकर खाते हैं। फल स्वरूप वे हस्तमैथुन और गलत रिश्तों के आदि हो जाते हैं।
कुछ विशेषज्ञों (experts) ने कहा है कि हस्तमैथुन शरीर को प्रभावित नहीं करता, परन्तु मन को प्रभावित करता है जिससे वे इसके आदि हो जाते हैं। हाँ, जो कोई भी हस्तमैथुन करता है वह यह न कहेंगे, ” मैंने ऐसा किया यह मुझे नही मालूम ” इसका कारण है कि यदि कोई ऐसा कार्य कर रहा है, उससे पहले वह अपने मन में विचार लाएगा। इस विचारधारा के लिए कार्य करने की जरुरत है।
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Sir mujhe itna bata dijiye ki ye paap hai ya nhi bas
Nahi.. But limit me kiya jaye tab..
Intresting sir, saara read kiya mene?