ऐसा क्या करे कि लोग आपको पसंद करे? 4 बेहतरीन उपाय

Logo ke dil me raaj kaise kare? aisa kya kare ki log pasand kare? सामान्य रूप से हर इंसान चाहता है कि लोग उसे पसंद करे क्योंकि ये उसकी एक भावनात्मक जरूरत भी होती है। लेकिन अगर आपको किसी कारण की वजह से ऐसी कोई जरुरत नहीं है, तो फिर भी आपको इस विषय को समझना जरूरी है क्योंकि हम इंसान सामाजिक प्राणी है जिसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए, कामयाब होने के लिए और अपनी ही जिंदगी में खुश रहने के लिए हमें लोगो से सौदा करना ही होगा कभी न कभी। इसीलिए ये बहुत ज़्यादा जरूरी है कि हमारी सामाजिक कौशल (social skill) अच्छी हो।

ज़्यादातर लोग बस इसलिए कामयाब नहीं होते के वो बहुत होशियार या गुणवान होते है बल्कि उनके कामयाबी का असल कारण होता है उनकी सामाजिक कौशल और लोगो का उनको पसंद करना।

क्योंकि सत्य है कि बहुत से लोग मित्रता, संबंध, व्यापार या मिल जुल के काम करना…  ये सब दूर की बात है, वो उन लोगो से बात भी करना पसंद नहीं करते जिन्हे वो पसंद नहीं करते।

इसलिए आज मैं आपको 4 ऐसे नियम बताऊंगा जिसे लागू करने के बाद कोई भी इंसान आपको पसंद करने लगेगा और साथ ही साथ आपकी सामाजिक कौशल भी बहुत अच्छी हो जाएगी।

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अगर आप चाहते हो कि लोग आपको पसंद करे तो अपनाये ये 4 गुण

1. एक अच्छे श्रोता बने, दूसरों को अपने बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करें

एक बार New York telephone company का पाला एक बहुत ही ख़तरनाक ग्राहक से पड़ गया था। जो हमेसा कंपनी को फोन कर भला-बुरा कहता था, उन्हे बहुत छिलता था, bill के पैसे नहीं भरता था, अखबार वालो को पत्र लिखकर कंपनी वालो की बुराई करता था और यहां तक की आखिर में उसने कंपनी के उपर कई case में डाल दिया था।

इन सारी चीज़ो से परेशान होकर कंपनी में अपने experience troubleshooter Larry को जो की Dale Carnaic के student भी थे उन्हे इस स्तिथि को handle करने भेजा।

Larry उनसे मिलने गये वो वहां उन्होने उस आदमी की सारी बातें गौर से सुनना शुरी किया और उनकी हर परेशानी को सुनकर उन्हे agree करते रहे। उस ग्राहक ने 3 घंटे तक गुस्से से बात की फिर भी Larry ने कंपनी के defence में कुछ भी नहीं कहा और फिर दोनो वहां से चले गये।

इसके बाद Larry ने उनका एक और बार इंटरव्यू लिया, जहां वापस वही स्तिथि दोहराई गई। अभी भी Larry ने ज़्यादा कुछ नहीं कहा। बल्कि उन्होने उस ग्राहक की बातें अच्छे से सुनी और सुनते रहे। जिसका परिणाम ये हुआ की उन्होने कुल 4 इंटरव्यू लिए, लेकिन उस 4 इंटरव्यू के ख़तम होने से पहले तक उस ग्राहक ने Larry को अपने एक विशेष संगठन का सदस्य बना दिया था जिसे वो Telephone Subscribers Protective Association कहते थे, जिसके मेंबर वो lifetime रहे और वो अकेले ही मेंबर थे उस संगठन के।

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Larry ने उस ग्राहक के हर समस्या को सहानुभूति के साथ सुनी और समझी, बिना अपनी बात बीच में बोले या विवाद करे। जिसकी वजह से उस आदमी का सारा गुस्सा ख़त्म हो गया और उन्होने Larry को अपना दोस्त जैसा बना लिया। इसके बाद उसने अपने किए गये शिकायत ही वापिस नहीं लिए बल्कि उन्होने अपने पुराने सारे bills को भी खुशी-खुशी भर दिया।

अब इस कहानी में वो ग्राहक अपने आपको एक कसूरवार समझ रहा था जो लोगो के लिए लड़ रहा है, लेकिन असल में उसे बस एक सुनने वाला चाहिए था, जो उनकी बातें सुनके उनकी समस्या को समझ सके। जो की Larry ने बहुत अच्छे से किया। लोगो को लगता था कि उन्हे doctor की ज़रूरत है लेकिन सच्चाई में उन्हे एक सुनने वाले की ज़रूरत थी।

एक चिढ़ा हुआ ग्राहक, एक असंतुष्ट कर्मचारी, एक दुखी दोस्त और लगभग हर इंसान चाहता है कि उसे एक सहानुभूति से सुनने वाला मिले जो उसे सुने, उसे समझे। लेकिन आजकल की इस व्यस्त जिंदगी में ऐसा कोई भी ज़्यादातर लोगो को नहीं मिल पता। इसलिए अगर आप लोगो की इस need को एक अच्छा सुनने वाला बनके पूरा कर सकते हो, तो ये चीज़ आपको बहुत ज्यादा दिलकश, प्यारा और सम्मानजनक बना देगी

लेकिन अगर आप इसका उल्टा चाहते हो, अगर आप चाहते हो कि लोग आपको पसंद न करे, आपके पीछे हसे या आपकी बुराई करे तो उसके लिए आप बस ये करो – लोगो की बातें कभी भी अच्छे से मत सुनो… उन्हे अपनी राय देते रहो… उन्हे हमेशा ग़लत बोलो … फिर देखो लोग आपको कैसे नापसंद करने लगेंगे।

अगर आप चाहते हो कि लोग आपको पसंद करे तो आप हमेशा सामने वाले को ज़्यादा बात करने दो और उन्हे उनके बारे में बात करने के लिए ज़्यादा प्रोत्साहित करो । एक अच्छे श्रोता बने, दूसरों को अपने बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करें।

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2. हमेशा लोगों का नाम याद रखें

Andrew Carnegie जो अपने समय के सबसे आमिर इंसान थे, उन्हे steel industry का king कहा जाता था। लेकिन ये इसलिए नहीं था कि उन्हे steel manufacturing को लेकर उनकी ज्ञान बहुत थी या वो बहुत होशियार, पढ़े-लिखे थे। असल में उनके अंदर ऐसे लोग काम करते थे जो उनसे बहुत ज़्यादा होशियार और जानकार थे।

जिस अहम बात ने उन्हे कामयाब बनाया था वो था उनका लोगो को handle कर पाने की काबिलियत। वो बहुत अच्छे लीडर थे। जिन्हे लोगो से बात करना आता था और जिनकी social skill कमाल की थी।

बचपन में उन्होने एक simple और important बात सीखी थी। जब वो 10 साल के थे तब उन्हे एक खरगोस मिला थी जिसे उन्होने अपने पास रख लिया था। कुछ समय बाद उस खरगोस से बहुत सारे छोटे खरगोस पैदा हुए। Carnegie के पास उन्हे खिलाने के लिए कुछ भी नहीं था। इसलिए उन्हे एक idea आया, उन्होने अपने पड़ोसी बच्चों को एक offer दिया कि अगर तुम इनके लिए खाना ढूंड के लाओगे तो मैं इन खरगोस को तुम्हारे नाम दे दूँगा। बच्चे ये सुन के खुश हुए और मान गये।

यही समय था जब उन्होने सिख लिया था कि एक इंसान का नाम उसके लिए कितना important रखता है। ये बात आगे भी उन्होने अपने business में बहुत बार apply की, जिससे उन्हे फ़ायदा भी हुआ।

उदाहरण – Carnegie को Pennsylvania Railroad को अपने स्टील से बनी हुई रेल बेचनी थी। उन्हे ये समझ नहीं आ रहा था कि वो इसे कैसे संभव करे। तो उन्होने Petersburg जगह पर एक स्टील की एक factory खोली और उसे नाम दिया Edgar Thomson Steel Works क्योंकि Edgar Thomson जो थे वो Pennsylvania Railroad के president थे।

अब आप ही अनुमान करो कि ये बात पता चलने के बाद उन्होंने steel rail कौन सी company से खरीदी होगी?

उन्होने ख़ुशी-ख़ुशी वो steel rail अपनी नाम की बनी हुई mill से खरीदी जो Carnegie कि ही steel factory थी।

एक और समय की बात है Carnegie और Jorg Pullman के बीच competition चल रहा था। दोनो चाहते थे कि उन्हे Union Pacific Railroad के साथ business deal मिले। और इसी चक्कर में दोनो अपने दाम कम करते जा रहे थे। जिससे उनके profits भी ख़तम होते जा रहे थे। इसलिए एक दिन जब Carnegie Pullman से मिले तो उन्होने कहा – तुम्हें नहीं लगता कि हम अपने आपको बेवकूफ़ बना रहे है।

तो ये सुनकर Pullman ने कहा – मतलब क्या है तुम्हारा?

तो Carnegie ने Pullman को सारी बातें समझाई और सजेस्ट किया कि उन दोनो को लड़के के बजाए मिल कर काम करना चाहिए और यही चीज़ profitable होगी।

Pullman ने सारी बातों सुनी तो, पर उन्हे सारी बातें हजम नहीं हो रही थी। जिसके बाद उन्होने पूछा – ये सब तो ठीक है पर कंपनी का नाम क्या होगा।

तब Carnegie ने कहा – उसका नाम होगा Pullman Palace Car Company।

ये सुनकर उनके चेहरे पर smile आई और उन्होने Carnegie को detail में बात करने के लिए अपने office में बुलाया। जिस discussion ने फिर एक industrial history create कर दी।

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पहले जमाने के अमीर लोग लेखकों को बहुत सारे पैसे देते थे ताकि वो उनका नाम अपनी किताब में डाले। आज भी लोग अपने नाम पर चीज़े बनवाते है, ताकि उनका नाम जमाने को पता चले और याद भी रहे।

क्योंकि इंसान का नाम उसके लिए बहुत important होता है। फिर भी हम इस simple सी चीज़ पर ध्यान नहीं देते।

कितनी बार ऐसा होता है कि जब हम किसी से मिलते है, नाम पूछते है, लेकिन उसे ध्यन से सुनते भी नहीं और याद रखने की कोशिश भी नहीं करते। और कभी ज़रूरत पड़ने पर वापिस उनसे उनका नाम पूछना पड़ जाता है।

ये चीज़ लगने में तो छोटी है पर ये सामने वाले को खराब संदेश देती है। एक इंसान के लिए उसके नाम की आवाज़ सबसे sweet sound होती है। इसलिए हमें थोड़ी सी effort लगाके लोगो के नाम याद रखने चाहिए।

ये चीज़ हमें दिलकश ही नहीं बल्कि business को लोगो से deal करते समय भी बहुत काम आएगी। इसलिए हमेशा लोगों का नाम याद रखें।

3. लोगों की रुचि को समझे

Edward Kelif boys scout group के active member थे। Boys scout एक संस्था है जहा युवा लड़को को अलग-अलग ट्रेनिंग देके skills बढ़ाते है। जैसे surviving skills, leadership skills। जो की ये event काफ़ी अच्छे होते है जो बच्चों को काफ़ी अच्छी बातें सिखाते है, इसलिए Edward चाहते थे कि उनके ग्रुप का एक लड़का तो यूरोप में होने वाले बड़े Boys Scout event में जाए। लेकिन पैसे की थोड़ी प्राब्लम थी इसलिए इस trip कि funding के लिए एक बड़े corporation के president से बात करने वाले थे।

मिलने से पहले Edward ने थोड़ी research करी थी president के बारे मे। जिससे उन्हे पता चला था कि उस president ने एक बार 1 million dollar का cheque लिखा था जो फिर cancel हो जाने पर उन्होने उस cheque को frame लगाकर दीवार पर लगा दिया था क्योंकि उस समय में ये बहुत बड़ी बात थी।

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Edward को ये बात बहुत ही interesting लगी थी, इसीलिए president के साथ मिलने पर उन्होने उस cheque को देखने की request की और cheque देखने के बाद उन्होने कहा – मैने कभी भी अपने लाइफ में इतना बड़ा cheque नहीं देखा और मुझे नहीं पता कि आज तक ऐसा किसीने किया भी है …। फिर Edward ने उनकी story detail में पूछी की exactly हुआ क्या था?

जिसके बाद दोनो ने cheque से related काफ़ी बात की। लेकिन Edward ने एक बार भी Boys Scout की बात नहीं की। थोड़ी देर बात करने के बाद president ने खुद Edward से पूछा कि तुम किस काम से आए थे, sorry मैं आपसे पूछना ही भूल गया। तब Edward ने उन्हे सारी requirement बताई, जिसे सुनने के बाद president ने एक लड़के को यूरोप जाने की funding नहीं दी, बल्कि 5 लड़कों को जाने का expense दिया।

और साथ ही साथ Edward को खुद भी जाने के पैसे दिए। उन्होने Edward को 1000 डॉलर का credit दिया और 7 हफ्ते यूरोप में रुकने के लिए कहा। किसी भी और ज़रूरत के लिए वहां उन्होने अपने branch president का contact number भी दे दिया और वो खुद मिलने भी गये उन लोगो से यूरोप मे। जिसके बाद उन्होने उन लड़कों को और Edward को Paris भी घुमाया।

Edward कहते है कि ये सारी unbelievable चीज़े हो पाई क्योंकि उन्होने president से मिलकर वो बातें नहीं की जो उन्हे चाहिए थी या उनके काम की थी, बल्कि वो उन बातों को करने का परिणाम था जो president के लिए important और उनके interest की थी।

इसलिए अगर आप भी चाहते हो कि लोग आपको पसंद करे तो अपनी जीवन का थोड़ा सा समय निकल के ये पता करो की सामने वाले को कौन सी बात सबसे ज़्यादा पसंद है और कौन सी बातें उसके interest की है और फिर उनसे उस बारे में ही बात करो। ये चीज़ आपको एक gentleman बना देगी।

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4. क्या करे कि लोग आपको पसंद करे?

एक बार Dale Carnegie post office की लाइन के खड़े होकर एक बात नोटिस करते है कि वहां का जो क्लार्क है वो हमेशा एकदम low mood रहकर, नकली मुस्कराहट के साथ काम करता रहता है और जिसे शायद अपने जॉब से ज़रा भी खुशी नहीं मिल रही।

इसलिए Carnegie ये फैसला करते है कि वो उस क्लार्क को अच्छा महसूस कराएँगे और उसे खुश करेंगे। Carnegie को पता था कि किसी भी इंसान को खुश करने का सबसे अच्छा तरीका है कि सामने वाले इंसान की कोई एक अच्छी बात को नोटिस करके उसे उसके लिए प्रशंसा या सराहना करना।

इसलिए Carnegie सोचने लगे कि वो कौन सी चीज़ पर उस क्लार्क को सच्चा और दिल से प्रशंसा दे सकते है।

आमतौर पर ये करना मुश्किल होता है, बिना किसी इंसान को जाने। लेकिन ये समय पर Carnegie को वो बात फ़ौरन दिख गई। जब वो क्लार्क के पास आए अपना लेटर weight करने के लिए, तब उन्होने बोला – काश आपके जैसे बाल मेरे भी होते। तो ये बात सुनकर क्लार्क रुकता है और एक बड़ी सी मुस्कान के साथ बोलता है – नही, अब पहले जैसे नहीं रहे, बहुत खराब हो गये है। हाँ हुए होंगे पर अभी भी बहुत अच्छे लग रहे है।

ये सुनकर उस क्लार्क का चेहरा खुशी से भर जाता है। जिसे देखकर Carnegie को भी बहुत अच्छा महसूस होता है। फिर वो और तोड़ी बात करके चले जाते है।

अब इसके बाद वो जब कभी पोस्ट ऑफीस जाते थे तो क्लार्क Carnegie को देख कर खुशी से भरा स्माइल करता था। जिस वजह से Carnegie का मूड भी अच्छा हो जाता था और क्लार्क का भी। ये सब हुआ बस एक simple genuine complement की वजह से।

हर इंसान आपको दूसरे से किसी एक बात में तो ज़्यादा अच्छा समझता ही है। अगर आप वो एक चीज़ देख के genuinely complement दोगे तो निश्चित रूप से वो इंसान आपको ज़रूर पसंद करने लगेगा। क्योंकि ये उसे important feel कराएगा।

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