जवान बेटी पर कभी हाथ न उठाये- Jawan Beti Ki Dekhbhal

बेटी जब जवान हो जाये तो उस पर हात नहीं उठाना चहिये. अपनी जवान बेटी पर कभी हाथ न उठाये.. किसी कारण वश या फिर किसी स्तिथि में फंसकर या फिर जाने-अनजाने में कभी-कभी अपनी जवान बेटी कुछ ऐसे कदम उठा बैठती हैं, जिन्हें सुन और देखकर माता-पिता गुस्से के कारण आपे से बाहर हो जाते हैं। शर्म के मारे दोषी और आत्म-हीनता का अनुभव करते हैं। ऐसे मामले में वे अपने विवेक खो बैठते हैं और बेटी पर हाथ उठा बैठते हैं।

उन्हें प्रताड़ित और अपमानित कर अपनी आत्महीनता पर विलाप करते हैं। ऐसी किसी भी विषय परिस्थिति में मन को अपने क्रोध, उत्तेजना, आत्महीनता और विलाप पर नियंत्रण रखकर धैर्य, संयम, साहस, विवेक और बुद्धिमत्ता से काम लेना चाहिए क्योंकि क्रोध में किसी समस्या का समाधान नहीं होता।

समस्या क्या रूप धारण कर ले, इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। युवा लड़कियों द्वारा आत्महत्या करने की सारी घटनाएँ इसी कारण होती है। बेटी की दोस्त बनकर आप न केवल उसे सही दिशा दिखा सकती हैं, बल्कि उसे इन विषम परिस्थितियों में सम्मानजनक समझौता करने की प्रेरणा भी दे सकती हैं।

Jawan Beti Ho To Ye Kaam Jarur Kare? जब बेटी बाहर पढ़ने जाये तो क्या करें?

जवान बेटी पर कभी हाथ न उठाये

पढ़ाई में आगे बढ़ने के लिए tuition या कोचिंग की तो जरुरत पड़ती ही है, इसलिए जब भी आप अपनी बेटी को ट्यूशन या कोचिंग के लिए किसी पुरुष अध्यापक के पास भेजें तो इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है –

1. जिसके पास आप अपनी बेटी को tuition या coaching के लिए भेज रहे है उसके बारे में पूरी जानकारी ले लें कि वह कैसा व्यक्ति है, कहा रहता है, उनका daily routing कैसा है।

2. कभी भी अपनी बेटी को शाम या रात के समय tuition के लिए न भेजें।

3. अपनी बेटी को अकले tuition न जाने दें।

4. Tuition पर जाने और आने का समय का ध्यान रखें, और ये भी देखें की आपकी बेटी सही समय पर घर आई है या नहीं।

5. अपनी बेटी के साथ पढ़ने वाली लड़कियों से अपनी बेटी के बारे में जानकारी लें, इससे आपको आसानी से पता चल जायेगा कि आपकी बेटी पढ़ने में होशियार है या नहीं। उसकी हर एक गतिविधि पर आप नजर भी रख सकते हैं।

6. कभी भी अपनी बेटी की परेशानियों को छोटा न समझें, हर परेशानियों में उनका साथ दें।

7. कभी भी अपनी बेटी को भड़कीले और पारदर्शक (transparent) कपड़े पहनकर tuition जाने की अनुमति न दें।

8. ‘ Tuition खत्म होने के बाद सीधा घर आना और Tuition में sir के कामों में हाथ नहीं बटाना ‘ – इस प्रकार की सलाह अपनी बेटी को हमेशा दें।

9. Tuition में ज्यादा मेकअप करके जाने की सलाह न दें।

10. अगर आपकी बेटी Tuition के बिना भी अपनी पढ़ाई में ध्यान दे रही है तो उसे tuition भेजने के लिए जिद न करें।

बेटी को कुशल गृहिणी बनना कैसे सिखाये?

नारी का कुशल गृहिणी होना घर को स्वर्ग बना देता है। नारी ही समाज का निर्माण करने में सहायक होती है। अगर आप चाहती है कि आपकी लाडली बेटी ससुराल जाकर अच्छी गृहिणी बने, घर-गृहस्थी का संचालन अच्छे ढंग से करे, अपने कार्य-व्यवहार, स्फूर्ति से सभी का मन मोह ले, तो पहले आपको सतर्क और चौकस रहना पड़ेगा, अपनी बड़ी हो रही बेटी के सामने।

कोई भी बच्चा जबरदस्ती सिखाने पर, रोकने पर उतनी तत्परता और गहराई से नहीं सिख पाता, जितना कि देखने से सीखता है।

क्योंकि लड़कियां प्रारंभ से ही माँ की संगत अधिक पाती हैं, और अपने माँ की किए हर कार्य-व्यवहार और ढंग तरीके से सर्वोत्तम मानती है।

इसलिए वे भले ही प्रत्यक्ष में माँ के सामने उसे अपना रही हो अथवा नहीं, लेकिन कभी माँ की दो-चार दिन की अनुपस्थिति में वो खुद ही कुशलता और सुचारु तरीके से घर चलाएगी कि लगेगा ही नहीं कि कही कोई कमी है।

ठीक यही बात तब भी होगी, जब वे लड़कियां ससुराल में जाकर अपनी गृहस्थी का संचालन खुद करेगी। तब वे अपने अवचेतन में बसे माँ के ढंग तरीके अपने जीवन में उतार लेगी और उसी ढंग से अपनी गृहस्थी चलाएगी।

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1. बेटी के मन में माँ का व्यक्तित्व

लड़कियां प्राय: छोटी-बड़ी बातों में अपनी माँ का ही अनुकरण करती हैं। तभी तो कई विवाहित युवतियां जाने-अनजाने ससुराल के हर काम में पीहर के तौर-तरीके अपनाती है।

ये तौर-तरीके यदि ससुराल वालों को अच्छे लगे, तब तो वह लड़की सब को अच्छी लगती है नहीं तो बावंडर खड़ा हो जाता है। ऐसी situation में घर में मार पीट और कलेश पैदा हो जाता है।

कभी-कभी ये झगड़े तलाक की स्तिथि पैदा कर देते हैं। इसलिए माँ को चाहिए की अपनी बेटी को अच्छी बातें और अच्छी शिक्षा दें, ताकि वह ससुराल में जाकर सबका दिल जित ले और अपनी गृहस्थी को अच्छे ढंग से संभाल सके।

2. बेटी पर माँ का प्रभाव

जब माँ के हर कार्य व्यवहार का बेटी पर इतना प्रभाव पड़ता है, तब डांट-डांट कर सिखाने की बजाय माँ को चाहिए कि वह खुद को अच्छी गृहणी बनाए, व्यवस्थित और सफाई और अच्छी तरह से घर का संचालन करे।

ऐसा करने से बेटी खुद-बा-खुद सिख जाएगी। उसे विशेष ढंग से सिखाना नहीं पड़ेगा।

वे युवतियां, जो शादी के पहले माँ को गृहस्थी का काम करते देखती हैं, कभी-कभी आश्चर्य से माँ से पूछती भी है, माँ आप अपनी बातों को अच्छी तरह कैसे याद रखती हैं। आपको कैसे पता चलता है कि घर का राशन, चावल, घी, तेल और दालें आदि, महीने भर में कितना लगेगा? माँ उन्हें अपने ढंग से सब समझा देती हैं।

फिर जब वे युवतियां विवाह के बाद ससुराल जाती हैं, तो बिना किसी विशेष परेशानी के खुद ही समझ जाती हैं कि कैसे क्या करना है।

लड़कियां कुशल गृहिणी बनकर माँ को सम्मान दिलाए, इसके लिए उन्हें तैयार करने में माँ को भी खुद को सतर्क और कुशल गृहिणी बनना पड़ेगा, ताकि लड़कियां माँ की देखा-देखि वैसी बन सके और जीवन भर ससुराल में स्नेह और प्रतिष्ठा पाकर सम्मान पाती रहे।

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