किडनी की पथरी क्या है? What is Kidney Stone?

किडनी की पथरी क्या है? What is Kidney Stone? हर व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम 10 से 12 ग्लास पानी पीना चाहिए ताकि हमारे शरीर से रोजाना डेढ़ लीटर पानी पेशाब के रूप में बाहर आनी चाहिए। परंतु आज हमारी जीवन शैली ऐसी हो गई है की हम दौड़-भाग कर ही दिन बिता देते है।

हम अपने खाने-पीने में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं। दिन में हम मुश्किल से 5 से 6 ग्लास  ही पानी पी पाते हैं। कम पानी पीने के कारण पेशाब सांद्र होने लगता है और गुर्दे (Kidney) के अंदर महीन क्रिस्टल (Cristal) एकत्रित होने लगता है, जो समय के साथ बड़े होने लगते है।

किसी व्यक्ति के गुर्दे में एक से अधिक पथरियाँ (kidney me pathri) भी हो सकती है। यदि पथरी के बड़े होने से पहले इसका पता लग जाता है तो इसे दवाइयों के सहारे ठीक किया जा सकता है। परंतु पथरी यदि 5 मिमी से बड़ी हो जाती है तो इसे ऑपरेशन करके गुर्दे (Kidney) से बाहर निकली जाती है।

किडनी की पथरी क्या है? What is Kidney Stone?

गुर्दे के पथरी के लक्षण

शुरुआती स्तर पर इसमें पीठ के निचले हिस्से में या पेट के निचले भाग में अचानक तेज दर्द होने लगता है और पीछे से आगे की ओर आता महसूस होता है। यह दर्द पाँच मिनट से आधा घंटे के अंडर स्वतः बंद हो जाता है जो समझ लीजिये यह गुर्दे के पथरी का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा बुखार होना, पसीना आना, पेशाब में रक्त आना आदि भी इसके लक्षण होते है।

गुर्दे के पथरी के प्रकार

1. क्रिस्टाइन पथरी : यह क्रिस्टीनूरिया से पीड़ित व्यक्तियों में होता है और आमतौर पर यह जेनेटिक डिसोर्डर के कारण होती है। 
2. कैल्सियम पथरी : इसमें कैल्सियम के अलावा आक्जलेट, कार्बोनेट आदि तत्व होते है। यह पथरी सबसे ज्यादा होती है और प्रायः पुरुषों में अधिक होती है।
3. स्ट्रावाईट पथरी : यह मूत्रमार्ग में इन्फेक्सन की वजह से होती है और प्रायः महिलाओं में ज्यादा होती है।

गुर्दे की पथरी की जांच

1. पेशाब जाँच
2. एक्स-रे केयूडी
3. अल्ट्रासाउंड

बड़े लोगों में 30 से 50 वर्ष की आयु में गुर्दे की पथरी (Kidney stone) सबसे ज्यादा होती है। बच्चों में 2 से 8 वर्ष में पथरी ज्यादातर पेशाब की थैली में होती है। इसके अलावा पथरी यूरेटर (पेशाब की नली), यूरेथ्रा (मूत्रनाली) और प्रोस्टेट में भी होता है। 

पथरी के उपचार

1. दवाइयों द्वारा:– अगर पथरी छोटी है तो डॉक्टर दवाइयां देते है जिससे पथरी मूत्रमार्ग से बाहर निकल जाती है। 
2. इंडोस्कोपी : इसमें पेशाब के रास्ते एक दूरबीन के द्वारा एक नली गुर्दे तक पहुंचायी जाती है और पथरी को तोड़कर बाहर निकाला जाता है।
3. लिथोट्रिप्सी: इसमें लिथोट्रिप्सर मशीन का प्रयोग होता है। यह मशीन ध्वनि तरंगों की सहायता से पथरी को तोड़ती है। टूटी हुई पथरी के कण पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकाल जाते है। इस ऑपरेशन में मरीज को कोई दर्द नहीं होता है। 
4. परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटोमी (पीसीएनएल):- इस उपचार को डॉक्टर तभी करते हैं जब पथरी का आकार 2 सेमी से बड़ा होता है। इसमें पेट में एक सेमी का चिरा लगा कर दूरबीन विधि से पथरी को तोड़ कर निकाला जाता है।
5. रेट्रोग्रेड इंट्रा रीनल सर्जरी (आरआईआरएम):- इसमें भी मूत्रमार्ग के रास्ते दूरबीन डाल कर पथरी को तोड़ कर बाहर निकाला जाता है।

पथरी के घरेलू उपचार

1. वृक्क एवं पेशाब थैली में:- सहजन की 15 ग्राम छाल एक ग्लास पानी में उबाल कर आधा ग्लास काढ़ा तैयार करें तथा इसका गरम गरम सेवन करें। 

2. वृक्क एवं मूत्राशय की पथरी:- केले के डंठल के 100 मिली रस में बराबर मात्र में पानी मिलकर दिन में कई बार सेवन करें। 

3. बसौना के पत्ते का एक चम्मच रस नारियल के पानी के साथ मिलाकर खाली पेट 10-15 दिनों तक दिन में दो बार सेवन करें।

4. मूत्राशय की पथरी:- गोखुरु के बीज व जड़ का एक चम्मच चूर्ण नारियल पानी या शहद के साथ सुबह खाली पेट तीन सफ़्तह तक सेवन करें।

5. वृक्क और मूत्राशय की पथरी:- मीठी घांस की एक बड़ा चम्मच लेई सूर्योदय के पहले पानी या दूध के साथ 2-3 सफ़्तह तक सेवन करें।

6. 15 ग्राम पुनर्नवा की जड़ 3 ग्राम गोलमिर्च के साथ पीस लें। उसको मट्ठे में मिला कर सेवन करें। 

7. आम के ताजा पत्ते सूखा कर उसे पीस लें और पाउडर बना लें। 8 ग्राम पाउडर को पानी में मिला कर सुबह खाली पेट सेवन करें।

8. पथरचट पौधे के पत्तों को पानी में उबाल कर काढ़ा बनाएँ। इसका सेवन दो हफ्तों तक करें।

9. बथुआ को पानी में उबाल कर उसमें नींबू का रस, नमक और जीरा मिलाएँ। इस घोल को तीन सफ़्तह तक सेवन करें।

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