क्या आप चारों धाम के बारे में जानते हैं?

चार धाम की स्थापना आदि शंकराचार्य जी ने की। उनका मुख उद्देश्य ये था कि पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण चारों दिशाओं में स्थित इन धामों की यात्रा कर मनुष्य भारत की संस्कृति विरासत को जान सके।

1. बद्रीनाथ धाम

स्थान – दक्षिण में हिमालय पर अलखनंदा नदी के पास।
प्रतिमा – विष्णु की शालिग्राम से बनी चतुर्भुज मूर्ति। इनके बाए तारीफ उद्धव जी और दाहिने तरफ कुबेर की प्रतिमा है।

इस मंदिर को बद्रीनारायण मंदिर भी कहा जाता है। ये अलखनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के रूप में बद्रीनाथ जी विराजमान है। ये हिन्दुओं के चार धाम में से एक है। ऋषिकेश से ये 295 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में स्थित है।

2. द्वारिका धाम

स्थान- पूर्व दिशा में गुजरात के जामनगर के पास समुद्र तट पर।
प्रतिमा- भगवान श्री कृष्ण

द्वारिका मंदिर गुजरात के जामनगर जिले में स्थित एक नगर और हिन्दू तीर्थ स्थान है। हिन्दू धर्मग्रन्थ के अनुसार भगवान कृष्ण ने इसे बसाया था। ये श्री कृष्ण की जन्म भूमि है। ये हिन्दुओं के साथ सर्वाधिक पवित्र तीर्थों में से एक तथा चार धामों में से एक है। ये सात पुरियों में एक पूरी है। ये नगर भारत के पश्चिम में समुद्र के किनारे पर बसा है।

3. रामेश्वरम

स्थान – दक्षिण में तमिल नाडू के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के बिच रामेश्वर द्वीप।
प्रतिमा – शिव लिंग

रामेश्वरम मंदिर का निर्माण खुद श्री राम ने लंका के लिए समुद्र पार पुल बांध कर किया था। हिन्दू धर्म में इस मंदिर का बड़ा ही महत्व है क्योंकि चरों धामों में ये प्रथम है। ये दक्षिण के सुप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।

4. जगन्नाथ पुरी

स्थान – पूर्व में ओडिशा राज्य के पूरी में।
प्रतिमा – विष्णु की नीलमाधव प्रतिमा जो जगन्नाथ कहलाती है। सुभद्रा और बलभद्र की प्रतिमा भी।

ये भी चार धामों में से एक है यहाँ भी लाखों की संख्या में भारत के विभिन्न हिस्सों से भक्त दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर की कई एक्कड़ जमीं को राजाओं ने जमीदारों ने दान के रूप में दिया था। इस मंदिर के निर्माण कार्य को कलिंग रजा अनंतवर्मन चोद्गंद देव ने आरम्भ कराया था।

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