एक दौर था जब हमारा देश अंग्रेजों के अधीन था और हमारे देश को अंग्रेजों के आधीनता से मुक्त करने के लिए कई महा पुरुषों ने जन्म लिया। उन सभी हस्तियों कि कहानियां हमें इतिहास के पन्नो में मिल जाती है, जिसके जरिए हमें ये पता चलता है कि एक व्यक्ति कि महानता के पीछे कितने कारण, परिवर्तन, लगन और समर्पण छिपे हुए होते है।
बिना किसी कारण, परिवर्तन, लगन और समर्पण के कोई भी व्यक्ति महानता के शिखर पे नहीं जा सकता। आपका कर्म ही आपको महान बनता है और मोहन दास करमचन्द्र गांधी जी के कर्मों के कारण कि उन्हें महात्मा कि उपाधि दी गई है। हम इन्हें महात्मा गांधी और देख से राष्ट्रीय पिता से संबोधित करते है।
एक व्यक्ति कि जीवन गाथा इतिहास के पन्नो पे आ सकती है बस सर्त इतनी सी है कि वो व्यक्ति के कर्म कैसे है। महात्मा गांधी के अविस्वसिनिया कर्मों के कारण ही हमारा देश 200 सालों से गुलाम बने भारत से स्वतंत्र भारत बना।
गांधी जी ने हमारे देश को अंग्रेज मुक्त भारत बनाने के लिए जितने योगदान दिया है वो अकल्पनीय है और हो भी क्यूँ न “अहिंसा के मार्ग पे चल के आजादी का स्वप्न भी तो गांधी जी कि ही देन है”।
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हर महान व्यक्ति अपने पीछे कई सारे प्रेरणा छोड़ जाता है ताकि समाज उसे स्वीकार कर नेक रह पे चले। गांधी जी भी मेरे प्रेरणा का अहम श्रोत हैं। मैं गांधी जी से परिवर्तन का पाठ सिखा। जब दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी प्रथम श्रेणी के वैध ट्रेन टिकेट होने के बावजूद उन्हें निचली श्रेणी में जाने को कहा गया तब गांधी जी ने इंकार कर दिया जिसकी वजह से उन्हें ट्रेन से धक्के मार के बाहर निकाला गया। और यहीं से गांधी जी के अन्दर भेद-भाव को खत्म करने कि चिंगारी उत्पन्न हुई जो आगे चल कर भारत को आजाद मुल्क बनाने के लिए धधकती रही। जरा सोचिये कि क्या होता अगर गांधी जी के अन्दर भेद-भाव को खत्म करने कि चिंगारी उत्पन्न न हुई होती। क्या हमारा देश आजाद हो पाता?
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मेरा मानना है कि परिवर्तन ही एक व्यक्ति को महान बनाता है और बिना ठेस लगे दर्द का एहसास नहीं होता। आज भी लोग दूसरों के दुःख में दुखी तो होते ही हैं पर कितने ऐसे होंगे जो दूसरों का दुःख दूर करते है। गांधी जी हमें दूसरों के दुःख के पीछे छिपी वजह को खत्म करने का सिख देते है और मैं इसी सिख का पालन करता हूँ।
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
गांधी जी के मूल हथियार थे सत्य और अहिंसा। गांधी जी सत्य और अहिंसा के मार्ग पे ही चलते थे और यही वजह थी कि पूरा भारत देश उनके साथ था। जब पूरा देश एक व्यक्ति के पीछे खड़ा मिलता है तो जरा सोचिये उस व्यक्ति कि जिम्मेदारी देश के प्रति कितनी परिपक्व होगी। क्या कभी किसी ने सोचा था कि अहिंसा से देश को आजाद कराया जा सकता है? इसी सोच को बदल दिया हमारे राष्ट्रीय पिता गांधी जी ने।
अगर आप दूसरों कि सोच को बदलना चाहते हो तो आपको कुछ ऐसा करना होता है जो दूसरों कि सोच से परे हो। पर ऐसी सोच कहा से आएगी? मैंने इस सवाल का जवाब जानने कि कोसिस बहुत कि अंत में इसका जवाब मुझे मिला जो है “परिवर्तन“
बिना परिवर्तन के आप जहाँ आज हो वहीँ कल भी रहोगे और अगर आप अपने आपको बदलाव के ढांचे में ढाल सकते हो तो ये बदलाव आपको दूसरों कि सोच से परे ले जाता है। मैं महात्मा गांधी के सोच से सहमत हूँ जिन्होंने असंभव कहे जाने वाले शब्द “सत्य और अहिंसा” से हमारे देश को आजाद कराया।
गांधी जी ने हमें बहुत सी प्रेरणाएं विरासत में दी है जिन्हें हमें अपने जीवन से निश्चय रूप से शामिल करना चाहिए। खास कर सत्य, अहिंसा और स्वदेशी।
जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि व्यक्ति का नाम नहीं बल्कि कर्म से उसकी पहचान बनती है। इसलिए हमें गांधी जी के सानिध्य में अपने कर्म को इस दिशा में ढालना चाहिए जो जन हित और देश हित के लिए लाभकारी हो।
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Bhai achhi article hai hadsup bhai
Thanks
Best essay 🙂
🙂