Home » बच्चों कि कहानियां » मज़ा भूलने का- दिल को छूने वाली कहानी

मज़ा भूलने का- दिल को छूने वाली कहानी

एक बुढा और बुढ़िया थे। बुढा खुद को जवान समझता था। बुढ़िया से कहता – “मैंने 90 बसंत देख लिए है। अभी में 10 होलियाँ और खेलूँगा। मैंने शतक लगाना है। मुझसे पहले तूने out हो जाना है। पर सुन। अभी से मत खिसक जाना”।

बुढ़िया तुनककर कहती – “खिसके मेरे दुश्मन। अभी तो ढेरों काम पड़े है। चार धाम की यात्रा करनी है। स्वर्ण मन्दिर की यात्रा करनी है। हेमकुंड साहिब जी जा के माथा टेकना है। ऐसे कैसे चली जाऊँगी ?”

बुढा चिढ़ाता। कहता, “कान खोल के सुन ले। यमराज मुझे नहीं ले जा सकता। मैंने सैंकड़ा लगाकर ही दम लेना है।” दोनों खूब बहस करते। बातें बनाते। बड़बड़ाते। एक दूसरे को खरी-खोटी सुनते। कौन बड़ा है। कौन छोटा है। पता नहीं चलता। पर कुछ ही पल में सब ठीक हो जाता। दोनों एक दूसरे के बिना रह भी नहीं पाते। बुढ़िया बूढ़े से कहती – ” आप मेरे सब कुछ है। आप है तो मैं हूं। “

बूढ़े के सिर पर बाल कम थे। आसानी से गिने जा सकते थे। मगर बुढा बालों को सवारने में लगा रहता। हर रोज जेब में एक कंघी रखता। जहाँ देखो कंघियाँ ही कंघियाँ रखी रहती। बुढा शीशे के सामने खड़ा रहता। मौका मिलते ही सिर के बालों को ज़रुर रंग्वाता। दाढ़ी रोज बनाता। खुशबूदार पाउडर और क्रीम लगाना नहीं भूलता।

बुढ़िया भी कम नहीं थी। सजने-संवरने का उसे बड़ा शौक था। होंठो की लिपस्टिक के भी क्या कहने। कपड़ों के रंग के हिसाब से लिपस्टिक लगाती। मगर अक्सर गड़बड़ हो जाती। बुढ़िया बाजार जाने लगती तो ताला लगा देती। यह भूल जाती कि बुढा घर के भीतर ही है। बुढा कभी ताला लगाना भूल जाता। वह सोचता कि बुढ़िया घर में ही है। जबकि बुढ़िया बाजार गई होती। कभी दोनों ही दूध ले आते। तो कभी दोनों ही दूध नहीं लाते। यह सोचते कि दूसरा तो ले ही आया होगा। दोनों के दिन मजे से कट रहे थे। बस, दोनों को कुछ याद नहीं रहता। हर बात वो भूल जाते। दोनों कान से भी कम सुनते।

प्यार कि Feeling कैसी होती है? प्यार का अनुभव

एक दिन की बात है। बुढ़िया बोली – “आ गए बाजार से ?”

मज़ा भूलने का- दिल को छूने वाली कहानी

बूढ़े ने ठीक से नहीं सुना। बुढा बोला – “दोबारा बाजार नहीं जा सकता। मैं बाजार से ही तो आ रहा हूं।”

बुढ़िया ने भी ठीक से नहीं सुना। फिर भी बोली – “रहने दो अब दोबारा बाजार मत जाओ।” बूढ़े ने बाजार से ख़रीदा हुआ समान रसोई में रख दिया। बुढ़िया से कहने लगा – “देखो, आज कुछ मत कहना। ये लो, से छाता संभालो। मैं इसे नहीं भुला।” बुढ़िया हसने लगी, बोली – “आपने तो हद ही कर दी। आज तो आप छाता ले ही नहीं गए थे। पता नहीं किसका छाता उठा लाए।”

बुढा बोला – “तो क्या में बारिश में भींगता हुआ गया था ?” बुढ़िया जोर से चिल्लाई, बोली – ” बारिश ! बारिश हुई तो कई महीने बीत गए है। आज बारिश कहां से आ गई। चलो छोड़ो। आलू लाए ? “

” आलू ! तुमने तो अंडे मंगाए थे। ” बुढा बोला। बुढ़िया ने तमतमाते हुए कहा – ” हजार बार कहा है, हर बात को लिख लिया करो। “

क्या बिना मेहनत के कामयाबी हासिल की जा सकती है?

” अरे ! मैं फिर भूल गया। ” बूढ़े ने सोचा। फिर बुढ़िया से बोला – ” अब छोड़ो न। आलू कल आ जायेंगे। भूख लगी है। तुम मेरे लिए पराठे बना दो। पर सुनो। लिख लो। रसोई तक जाते-जाते भूल मत जाना। ” बुढ़िया पैर पटकते हुए रसोई में चली गई। रसोई में जाते-जाते वो भूल गई। बुढ़िया पराठे के बदले ऑमलेट बनाकर ले आई। बूढ़े को गुस्सा आ गया। बोला – ” कहा था न। लिख कर ले जाती। चाय कहां है ? बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलता। मैं खुद ही चाय बनाकर लता हूं। ” बुढ़िया ने अपने आप से कहा – ” लगता है मैं ही भूल गई। ” वह चिल्लाई – ” सुनो जी, मेरे निम्बू-चाय बना लाना। “

बुढा एक घंटे बाद आया मगर वह चाय बनाना भूल गया। कुछ ओर बना लाया। बुढ़िया से बोला – ” ये लो, तुम्हारी पसंद का दूध। कढ़ाई में घोटा हुआ। बादाम किशमिश वाला है। ये देखो मैंने अपने लिए ऑमलेट बनाया है। तुम्हारे भरोसे रहता तो खाली पेट ही रहता। ” बुढ़िया का बनाया हुआ ऑमलेट भी वहीँ रखा था। बुढ़िया को गुस्सा आ गया। वह बोली – ” मैं भी तो ऑमलेट ही बनाकर लाई थी। ” बस फिर दोनों झगड़ पड़े। दोनों ने कुछ नहीं खाया। वो भूखे ही सो गए। दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ हुई। दरवाज़े पर यमराज खड़ा था। यमराज ने दरवाज़ा तोड़ दिया। यमराज ने बूढ़े हो उठाया। बोला – ” अरे बूढ़े, चल यमलोक। “

बुढा बोला – ” कैसे जा सकता हूं, अभी तो ढ़ेरो काम पड़े है। इस बार की होली खेलनी है। ” यमराज ने बुढ़िया को जगाते हुए कहा – ” तो तुम चलो। ” बुढ़िया ने बहाना बनाया, कहने लगी – ” अभी कैसे चलूँ, चार धाम नहीं देखी है। गंगा नहाना है। हेमकुंड साहिब जी जाना है। “

यमराज गुस्से से बोला – ” मैं कुछ नहीं जनता किसी एक को तो जाना ही होगा। मुझे भी तो आगे जवाब देना है। तय कर लो कि तुम दोनों में से कौन जायेगा। मैं बाहर खड़ा हूं। ” यह कहकर यमराज चला गया। बुढा और बुढ़िया लड़ने लगे। मगर इस बार की लड़ाई अनोखी थी। दोनों ही ज़िद करने लगे। बुढा कहता – ” यमराज मुझे ले जाए। ” बुढ़िया कहती – ” नहीं, यमराज मुझे ले जाएगा। “

यमराज के साथ कौन जायेगा यह तय ही नहीं हो पाया। यमराज अंदर आ गया। दोनों लड़ रहे थे। बुढा चिल्लाया – ” तय तो करने दो, थोड़ी देर बाद आना। “

यमराज कहने लगा – ” चलो कोई बात नहीं, मैं कोई ओर घर देखता हूं। पर याद रखो, जाना तो हर किसी को है। आगे या पीछे। मैं कोशिश करुंगा कि तुम दोनों को एक साथ ले जाऊ। ” यह कहकर यमराज चला गया। बुढा पसीने से लतपथ था। बुढ़िया भी जाग गई। कहने लगी – ” कोई बुरा सपना देखा ? क्या देखा ?

बूढ़े का गला सुख गया। उसने पानी मंगाया। बुढ़िया दूध ले आई। दूध पिने के बाद बुढा बुढ़िया से बोला – ” हाँ अब बोलो, क्यों जगाया ? “

बुढ़िया बोली – ” मैंने जगाया ? आपने ने ही आपने ही तो चाय पिने की इच्छा जताई थी। ” दोनों बहस करने लगे। बुढा सपना भूल गया। बुढ़िया पूछना भूल गई। दोनों फिर खराटे लेने लगे।

अगर आपको blogging सीखना हो या आप हमसे High quality, Impressive और SEO friendly आर्टिकल लिखवाना चाहते हो तो आप हमसे संपर्क कर सकते हो. ज्यादा जानकारी के लिए नीचे दिए गए whatsapp नंबर पे संपर्क करें.

हमारी अन्य सेवाएं

  1. Adsense approved करवाना
  2. Wordpress setup
  3. Blogger ब्लॉग को wordpress पे transfer करना
  4. किसी भी तरह की वेबसाइट बनाना
  5. Android App बनाना
हमारा whatsapp नंबर है : 9583450866

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top