मेहनत की कद्र करना सीखो! Hindi Story

एक बार एक नौजवान मैनेजर की नौकरी के लिये एक बड़ी कंपनी में इंटरव्यू देने गया. वह बहुत ही होशियार था, इसलिए उसने पहला इंटरव्यू बड़ी आसानी से पास कर लिया. आखिरी इंटरव्यू कंपनी के मालिक को लेना था. जिसमे कि पास होते ही वह मैनेजर पद के लिये चुन लिया जाता.

कंपनी के मालिक ने उसके पढाई और योग्यता के कुछ सर्टिफिकेट देखे. जिनमे कि वह बहुत ही अव्वल था. वह पढाई के मामले में बहुत ही अच्छा था.

उसकी पढाई के सारे सर्टिफिकेट देखने के बाद कंपनी के मालिक ने उस नौजवान से पूछा “क्या आपने कभी स्कूल में छात्रवृति प्राप्त की है?”

उस नौजवान ने “नहीं” में उत्तर दिया.

कंपनी मालिक ने फिर पूछा “क्या आपके स्कूल की फीस आपके पिता जी देते थे?”

नौजवान ने उत्तर दिया “जब मैं 2 साल का था, तब मेरे पिता जी का देहान्त हो गया था. इसलिए मेरी सारी पढाई का सारा खर्च मेरी माँ ने उठाया था.”

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“आपकी माँ कहाँ काम करती है?” कंपनी मालिक ने पूछा.

नौजवान ने जवाब दिया “मेरी माँ कपडे धोने का काम करती है. वह दूसरों के कपडे धोके पैसे कमाती है”

कंपनी मालिक ने उस नौजवान से अपना हाथ दिखाने के लिये कहा. उस नौजवान ने बिना देर किये अपने हाथ कम्पनी मालिक से सामने कर दिए. कंपनी मालिक ने देखा कि उसके हाथ बहुत ही नरम और मुलायम थे.

कंपनी मालिक ने पूछा “क्या अपने कपड़े धोने में कभी अपनी माँ की मदद नहीं की?”

नौजवान ने जवाब दिया “नहीं, क्यूंकि मेरी माँ हमेशा चाहती थी कि मैं अच्छा पढूं-लिखूं. इसलिए उन्होंने मुझे कभी काम नहीं करने दिया.”

मालिक ने जवाब दिया “मेरी आपसे विनती है कि आज आप जब वापस जाओगे तो घर पहुंचकर अपनी माँ के हाथ धुलवाना और कल सुबह मुझसे दुबारा आकर मिलना”

यह सुनकर उस नौजवान को महसूस हो गया कि उसे यह नौकरी मिलने की उम्मीद बहुत ज्यादा है. इसलिए वह जल्दी से घर गया और अपनी माँ से कहा “आज मुझे आपके हाथ धोने हैं.”

यह देखकर उसकी माँ को थोड़ा अजीब लगा परन्तु अन्दर ही अन्दर बहुत ख़ुशी भी हो रही थी. थोड़ी देर बाद उसकी माँ ने अपने हाथ धुलवाने के आगे कर दिए. जैसे ही उसने अपनी माँ के हाथ धुलवाना शुरू किया उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे. क्यूंकि उसने पहली बार अपनी माँ के हाथों को इतने गौर से देखा था. उसने अपनी माँ के हाथों में बहुत सारी झुर्रियां देखी. जिनमे कई जख्म भी बने हुए थे. कुछ जख्म तो इतने गहरे थे जो पानी डालते ही दर्द कर रहे थे.

यह सब देखकर उस नौजवान को पहली बार एहसास कि उसकी माँ इन्ही हाथों से कपडे धोकर उसकी स्कूल फीस जमा करती थी. ये सारी झुर्रियां उसकी माँ को उसकी फीस, उसकी शिक्षा और पालन-पोषण के बदले मिले थे.

उस रात अपनी माँ के बदले बाकि के बचे हुए कपड़े उसने खुद धोये. और देर रात तक दोनों ने आपस में बात की. अगले दिन वह कंपनी मालिक के कहेनुसार उस कंपनी में दुबारा गया.

कंपनी के मालिक ने उस युवक की आँखों में देखा और पूछा “क्या मैं जान सकता हूँ कि कल आपने घर पहुंचकर क्या किया? और क्या सीखा?”

नौजवान ने जवाब दिया “मैंने कल जाकर अपनी माँ के हाथ धुलवाये और सारे बचे हुए कपडे धोये.”

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मालिक ने कहा “अब मुझे यह बताओ कि अब आप क्या महसूस कर रहे हो.”

युवक ने जवाब दिया “पहला तो मुझे कल पता चला कि मेरी माँ ने मेरे लिये क्या किया है. बिना उनकी मदद के मैं कभी सफल नहीं हो सकता था. दूसरा यह महसूस हुआ कि जो काम वो कितने समय से करती आ रही हैं वह काम कितना मुश्किल है. और तीसरा यह महसूस हुआ कि ज़िन्दगी में परिवार का कितना महत्त्व है.”

उस युवक की बात सुनकर कंपनी के मालिक ने उस युवक से कहा “यही वे सारे वह गुण हैं जो मैं अपने नए मैनेजर में चाहता था. मैं अपनी कंपनी में ऐसे इन्सान को मैनेजर पद पर रखना चाहता था जो दूसरों की मदद करने की कोशिश भी करता हो, किसी की मेहनत की कद्र करना जानता हो और दूसरों के काम की इज्ज़त करता हो. जो सिर्फ पैसे कमाने को ही अपना जीवन का उद्देश्य ना बनाये. इसलिए मैं आज से आपको कंपनी के मैनेजर पद पर नियुक्त करता हूँ.”

बाद में उस नौजवान ने काम करते-करते सब लोगों के साथ मिलकर कंपनी को आगे बढ़ाने में बहुत ही अहम भूमिका निभाई.