मेरा प्रिय नेता- निबंध

मेरा प्रिय नेता- निबंध, Hindi essay: भारत महापुरुषों का देश है। बाल गंगाधर तिलक, महादेव गोविंद रानडे, गोपालकृष्ण गोखले, महात्मा गाँधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चन्द्र बोस, जवाहरलाल नेहरू आदि अनेक नेताओं ने हमारे इतिहास की शोभा बढ़ाई है। इन सभी के प्रति मैं पूरी आदरभाव रखता हूँ, परंतु मेरे सबसे अधिक प्रिय नेता तो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ही हैं।

गांधीजी में नेतृत्व की अदभुद क्षमता थी। सीधी-सादी सरल भाषा में दिए गए उनके भाषण देशवासियों पर जादू का-सा असर करते थे। उनकी एक पुकार पर आज़ादी के दीवानों की टोलियाँ मातृभूमि पर बलिदान देने के लिए निकल पड़ती थी। पच्चीस वर्षों से भी अधिक समय तक उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध कई अहिंसक आंदोलन चलाए। अंत में अँग्रेज़ शासकों की लाठियों, बंदूकों, तोपों और बमों पर अहिंसा ने विजय पाई। सदियों से ग़ुलाम रहा भारत आजाद हुआ। इसीलिए गांधीजी ‘युगपुरुष‘ कहलाए।

गांधीजी आज के मत बटोरने वाले नेताओं की तरह दिखावा पसंद नहीं करते थे। उनके मन, वचन और कर्म में एकरूपता थी। गांधीजी में देशसेवा की सच्ची लगन थी। वे लोकसेवा के बल पर नेता बने थे। सचमुच, वे एक आदर्श नेता थे।

भारत को स्वतंत्र कराना गांधीजी का सबसे प्रमुख लक्ष्य था, किंतु उनक प्रयत्न इस लक्ष्य तक ही सीमित नहीं रहे। वे इस देश में रामराज्य देखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने समाज-सुधार का भी कार्य किया। उन्होंने गरीब भारत को तकली और चरखे द्वारा रोजी-रोटी दी। शराब-बंदी, निरक्षता-निवारण, स्त्री-शिक्षा आदि के लिए उन्होंने अथक प्रयत्न किए। देश को एक सूत्र में बाँधने के लिए उन्होंने राष्ट्रभाषा का प्रचार किया। हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए वे आजीवन प्रयत्न करते रहे। उन्होंने अछूतों को ‘हरिजन‘ नाम देकर उनका सम्मान किया।

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गांधीजी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। उनके जीवन में सादगी थी। दुर्लब शरीर और घुटनों तक धोती पहनने वाले गांधीजी भारत की आम जनता के प्रतिक थे। उनके ह्रदय से दया, धर्म की त्रिवेणी लगातार बहती रहती थी। इस अर्थ में वे सचमुच ‘महात्मा’ थे। जिस तरह एक पिता अपने परिवार को सुखी देखना चाहता है, उसी तरह गांधीजी सारे देश को सुखी एवं समृद्ध देखना चाहते थे। इसलिए लोगों ने उन्हें ‘राष्ट्रपिता‘ कहकर उनका आदर किया। सचमुच, वे सारे देश के ‘बापू‘ थे।

गांधीजी ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत का नवनिर्माण किया। वे भारत के ही नहीं, सारे विश्व के नेता थे। ऐसे महान देशभक्त और महामानव को यदि मैं अपना प्रिय नेता मानूँ तो इसमें आश्चर्य की क्या है।

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