60 दिन का महीना – अकबर बीरबल की कहानी

अकबर बादशाह का दरबार लगा हुआ था। वे राज-काज के काम निपटाकर हमेशा की तरह दरबारियों से बातें कर रहे थे। अचानक उनके मन में एक विचार आया और दरबारियों से मुखातिब होकर बोले। एक महीना तीस दिन का होता है। इसमें कितने सारे काम करने पड़ते है, अगर महीना 60 दिन का कर दिया […]

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ईश्वर जो करता है, अच्छा ही करता है – अकबर बीरबल की कहानी

एक बार बादशाह के हाथ ही उंगली बुरी तरह घायल हो गई। अकबर को व्याकुल देख बीरबल बोले, भगवान जो करता है, अच्छा ही करता है। इसे सुनकर अकबर को बड़ा गुस्सा आया। उन्होंने फौरन बीरबल को चार दिन के लिए कारागार में डलवा दिया। दूसरे दिन वे शिकार खेलने गए। अकेले होने के कारण

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शेर या धोबी का गधा – पंचतंत्र की कहानी

एक समय की बता है। एक किसान अपने खेत में धान की कटाई कर रहा था। इतने में शाम हो गई। अंधेरे को देखकर वह चिंतित हो उठा। चिंतित मन से किसान मजदूरों को चेतावनी देने लगा कि कटाई का काम जल्द पूरा कर लिया जाए, क्योंकि जितना भय अंधेरे का नहीं है, उससे ज्यादा

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मैं अकेला मुर्गा – अकबर बीरबल की कहानी

एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल के उपहास के लिए अन्य लोगों के साथ मिलकर एक योजना बनाई। योजना के अनुसार सभी ने अपनी जेबों में एक-एक अंडा रख लिया। जब बीरबल आए तो बादशाह बोले, बीरबल, इन हौज में कूदने पर एक अंडा मिलता है। हम सभी इसमें कूदेंगे और अंडा लेकर आएंगे। तुम

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सोने के हंस – पंचतंत्र कि कहानी

HOne ka hansh, panchtantra ki kahani.. चंदन नगर में कभी चित्रदत्त नाम का राजा राज्य करता था, उसके यहां एक तालाब पर हर समय राजा के सिपाही पहरा देते थे। बात यह थी कि उस तालाब में बहुत से सोने के हंस रहते थे। हर छठे महीने ये राजा को अपना एक-एक पंख दिया करते

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वफादार बाज – पंचतंत्र की कहानी

Wafadar baaj, Panchtantra ki kahani.. राजा जयचन्द्र को शिकार का बहुत शौक था। उन्होंने शिकार में दिशा ज्ञान के लिए एक बाज पक्षी पाल रखा था। बाज राजा का बहुत ही विश्वासपात्र था। वह जहाँ भी शिकार को जाते, बाज को साथ ले जाते थे। एक दिन राजा शिकार करने गए हुए थे। शिकार का

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लालच मौत का कारण – पंचतंत्र की कहानी

Lalach se jaan gai, Panchtantra ki kahani.. किसी गांव में हरदत्त नाम का एक ब्राहमण रहता था। वह स्वभाव में बड़ा दयालु और शांति प्रिय था। अगर कोई उसका अहित भी कर देता था, तो वह यह कहकर चुप हो जाता था कि इसके अन्याय की सजा इसे कोई और देगा। गर्मी के दिन थे।

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सच्ची सुन्दरता – तेनालीराम की कहानी

Sach ki sundarta, tenaliraam ki kahani.. बात उन दिनों की है जब सम्राट कृष्णदेव राय जी विजयनगर को सजा-संवार रहे थे। वह विजयनगर को ऐसा रूप देना चाहते थे कि लोग उसे देख कर स्वर्ग को भूल जाए। देश-विदेश के निपूर्ण कारीगर, शिल्पी और माली बुलवाकर उन्होंने मनोरस बगीचे लगवाए। सुंदर महल और मंदिर बनवाए।

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