करामाती कबूतर – पंचतंत्र की कहानी

बरगद के पेड़ पे सिन्धुक नाम का एक कबूतर रहता था, उसकी एक बात बड़ी अनोखी थी। जब वह बीट करता था, तो वह सोना बन जाती थी। एक बार शिकार की तलाश में एक शिकारी उस पेड़ के पास आ निकला, तभी कबूतर ने बीट कर दी। देखते ही देखते वह सोना हो गयी। शिकारी ने देखा तो देखता ही रह गया।

शिकारी ने सोचा – मेरा सारा जीवन शिकार करते ही बीता है, पर मैंने ऐसी विचित्र बात कभी नहीं देखी है। कबूतर की बीट सोना बन जाए। ऐसे कबूतर को तो जैसे भी फँसाना चाहिए।

शिकारी ने उस पेड़ पर जाल फेला दिया। वह कबूतर उसमे फस गया।

शिकारी उसे पिंजरे में डालकर ले आया। घर आकर उसने सोचा – अगर राजा को ये बात मालूम हो गई तो वह मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा, कहेगा कि यह कबूतर मैंने उसके पास क्यों नहीं पहुँचाया?

डरकर उसने वह कबूतर राजा को भेंट कर दिया।

राजा बड़ा प्रसन्न हुआ। उसे सोने की बीट वाला करामाती पक्षी जो मिल गया था। उसने आज्ञा दी – इस पक्षी के खाने-पिने का हर आराम का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाए।

मंत्री ने जब देखा कि एक मामूली कबूतर के लिए खास नौकर-चाकर रखे जा रहे हैं, अंधाधुंध खर्च किया जा रहा है, तो उसने महाराज से कहा – महाराज, बुरा न माने तो एक बात कहूँ?

महाराज ने कहा – ‘कहिए’

‘आप कैसे जानते हैं कि यह सचमुच सोने की बीट करेगी? ऐसा न कभी हुआ है न कभी हो सकता है, शिकारी की बात पर यूँ ही विश्वास कर लेना ठीक नहीं है।’

राजा ने सोचा – मंत्री ठीक कह रहा है। भला कबूतर सोने की बीट क्यों करने लगा? मैं भी शिकारी की बेकार बातों में आकर मूर्ख बन गया।

उसने आज्ञा दी – इस कबूतर को छोड़ दिया जाए।

कबूतर को छोड़ दिया गया। छुटकर कबूतर महल के मुख्य द्वार के ऊपर जा बैठा और वहां उसने सोने की बीट कर दी।

पहला मूर्ख तो मैं था जो शिकारी की जाल में फंसा। दूसरा मूर्ख था शिकारी, जिसने मुझे राजा के हाथ में दे दिया और फिर यह राजा और मंत्री कम मूर्ख नहीं थे, जिन्होंने घर आए सोने को ठुकरा दिया। इतना कहकर वह करामाती कबूतर फुर्र से उड़ गया।

जब राजा ने यह बात सुनी तो उसने अपना सिर पीट लिया।

मगर, अब हो क्या सकता था। सांप के निकल जाने के बाद लकीर पीटने के क्या लाभ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *