बुलबुल और शिकारी – पंचतंत्र की कहानी

बहुत पुरानी बात है। किसी जंगल में एक बुलबुल ने अपना बहुत सुन्दर घोंसला बनाया। उसके दो बच्चे थे, जो अभी बहुत छोटे थे। बुलबुल अपने बच्चों के लिए दाना लाती, फिर बारी-बारी दोनों को खिलाती। बच्चे धीरे-धीरे बड़े होने लगे।

कुछ दिन बाद बच्चे भी अपनी माँ के साथ भोजन खोजने के लिए जाने लगे, वे माँ के साथ ही घोंसले में लौट आते थे। समय गुजरता गया। बच्चे बड़े हो गये थे। अब वह अपनी माँ के बिना ही अपना भोजन खोजने के लिए निकाल पड़ते थे।

एक दिन की बात है। दोनों बच्चे बाहर आकर अपना भोजन खोजते समय एक बच्चे को बहुत कीमती मोती मिला।

एक बच्चे ने दूसरे से कहा – देखो ये क्या चीज है? हमें इसे माँ के पास ले जाना चाहिए। हो सकता है यह कोई काम की चीज हो। 

बुलबुल के दुसरे बच्चे ने कहा – अरे छोड़! यह किसी काम की चीज है? इससे हमारे पेट की भूख तो मिटेगी नहीं। तुम इसे  फेंककर दाना खोजो। बेकार क्यों परेशान हो रहे हो।

नहीं, मैं तो इसे माँ के पास जरुर ले जाऊंगा। मुझे तो यह काम की चीज लग रही है।

पहले बच्चा वहां से उड़ा। वह मोती को लेकर अपनी माँ के पास आया और बोला, माँ, देखो, आज मुझे यह क्या चीज मिली है।

बेटे, यह तो बहुत कीमती चीज है। ऐसी चीजें समय पर बहुत काम आती है। इतना कहते हुए बुलबुल ने मोती ले लिया। उसे अपने घोंसले में संभालकर रख दिया।

एक बार की बात है। उस जंगल में कोई शिकारी आया। उसने एक जगह बहुत से दाने बिखेर दिए। साथ ही अपना जाल भी वहीँ बिछा दिया और वह कुछ दूर एक वृक्ष के नीचे जाकर बैठ गया।

कुछ ही क्षणों में बहुत से पक्षी उस शिकारी के जाल में फंस गये। बुलबुल के दोनों बच्चे भी उसी जाल में फंस गये।

अब क्या किया जाए? सभी पक्षी मिलकर यह सोचने लगे।

एक मैना बोली – क्यों न हम शिकारी से प्रार्थना करें, वह हमको जाल से आजाद कर दे, क्योंकि हमारे बच्चे घोंसले में हमारा इन्तेजार कर रहे हैं। हो सकता है वह तरस खाकर हमें छोड़ दे।

नहीं शिकारी हमें कभी नहीं छोड़ेगा । हाँ, अगर हम उसे कोई कीमती चीज दे दें तो हो सकता है, वह लालच में आकर हमें आजाद कर दे।

फाख्ता ने हैरान होकर कहा – लेकिन हमारे पास कोई कीमती चीज है ही कहाँ?

बुलबुल के बच्चे ने कहा – हमारे पास एक  कीमती मोती है। वह मेरे माँ ने घोंसले में छिपाकर रखा है। अगर वह कीमती मोती शिकारी को दे दें, तो हो सकता है शिकारी हमें आजाद कर दे।

पक्षी रानी से पूछने लगे – लेकिन हम वहां से मोती कैसे ला सकते है?

कोयल बोली – एक कबूतर अभी आजाद है। देखो उस वृक्ष पर बैठा है। अगर हम उससे बुलबुल के घोंसले से वह मोती लेन को कहें तो हो सकता है वह हमारी मदद करे।

कुछ पक्षियों ने आवाज देकर कबूतर को अपने पास बुलाया और उसे सारी बात समझा दी। कबूतर तुरंत उनकी मदद के लिए तैयार हो गया। वहां से उड़कर बुलबुल के पास आया। उसे सारी बातें अच्छे तरह से समझाई।

बुलबुल ने मोती लिया और वह कबूतर के साथ वहां आई, जहां पक्षी और उसके बच्चे शिकारी के जाल में फंसे हुए थे। अब शिकारी भी अपने जाल के पास आ गया था। बुलबुल शिकारी से कहने लगी – भाई, अगर तुम अपने जाल से सभी पक्षियों को आजाद कर दो तो मैं तुम्हें एक ऐसा कीमती चीज दे सकती हूँ, जिससे तुम्हारा जीवन भर गुजारा हो सकेगा।

शिकारी ने हैरान होकर पूछा – वह चीज क्या है?

यह कीमती मोती। बुलबुल ने तुरंत शिकारी को कीमती मोती दिखाते हुए कहा।

मोती देखते ही शिकारी की आँखें चोंधिया गई – यह तो सचमुच ही बहुत कीमती मोती है। यह मोती मुझे दे दो। इसके बदले में  सभी पक्षियों को आजाद कर दूंगा।

मगर बुलबुल मूर्ख नहीं थी। वह जानती थी कि मोती लेकर भी शिकारी अपनी बात से मुकर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो पक्षी भी मारे जाएंगे और मोती भी चला जायेगा।

बुलबुल बोली – तुम पक्षियों को छोड़ दो। जैसे ही वे उड़ेंगे मैं मोती निचे फेंक दूंगी।

शिकारी जनता था, पक्षी झूठ नहीं बोलते। उसने पक्षियों को छोड़ दिया। सभी पक्षी उड़ गये। तभी बुलबुल ने कहा – तुम दूसरों का अहित करते हो, इसलिए मैं तुम्हें मोती नहीं दूंगी। यह मोती बहुत महत्वपूर्ण है। तुम अन्यायी हो, तुम्हें जीवों पर दया कभी नहीं आती, इसलिए मैं भी दया नहीं करुँगी। बुरे को बुरे मिलना ही चाहिए। तुम्हारे लिए यही सजा है। इतना कहकर बुलबुल मोती सहित अपने बच्चों के साथ घोंसले की ओर उड़ गयी।

अब बुलबुल का दूसरा बच्चा भी समझ गया था कि हर चीज महत्वपूर्ण होती है, चाहे वाह कैसा भी हो।

और शिकारी निराश होकर एक ओर चल दिया। उसे इस बात से सबक मिल गया था कि विश्वास करना ही धोखा देने वाले को प्रोत्साहन देना है।

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