लोग क्यों जरुरी है?

लोग क्यों जरुरी है? हर व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि वह विशेष बनाना चाहता है। विशेष दिखना चाहता है, वह चाहता है कि उसकी एक अलग पहचान बने लेकिन इस उच्च भावना के साथ ही एक अवगुण अधिकतर लोगों में पाया जाता है- खुद को श्रेष्ठ और दूसरों को तुच्छ समझने की भावना।

कुछ लोग जो दूसरों को कमतर करके आंकने की भूल करते है, वे मानव संबंधों में कभी भी निपूर्णता प्राप्त नही कर सकते। यदि आपको लोग व्यवहार की कला में निपूर्ण होना है, यदि आपको व्यवहार नामक गुण निखारना है तो आपको चाहिए की लोगों को उनके महत्वपूर्ण होने का अहसास लगातार कराए।

लोग क्यों जरुरी है?

याद रखें

हर व्यक्ति विशेष जैसा व्यवहार चाहता है।

हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी किसी विशेषता के कारण उसे पहचाना जाए और जैसा वह है, उससे वैसा ही सम्मान-पूर्ण व्यवहार किया जाए।

कोई नही चाहता की उसके साथ तुच्छ या छोटे आदमी जैसा व्यवहार हो।

जब हम किसी को तुच्छ, छोटा, नकारा, कम महत्वपूर्ण या निम्न श्रेणी का मानते है तो उसकी सोच या उसका व्यवहार भी हमारे प्रति वैसा ही हो जात है। उसके मन में भी हमारे प्रति घृणायुक्त धारणा बनती है और ऐसा व्यक्ति कभी आपसे मन से नहीं जुड़ेगा।

जिस प्रकार आप खुद को किसी भी कारणवश विशेष समझते है और चाहते है की लोग आपसे सम्मान से पेश आएँ। इसी तरह हर व्यक्ति चाहता है की दूसरे लोग उनसे मान से पेश आएँ। इसलिए दूसरों को विशेष समझकर उनका यथासंभव सम्मान करना, लोकप्रियता की पहली शर्त है।

लोगों को विशेष होने का अहसास कराने के सूत्र

  • लोगों को धैर्यपूर्वक ध्यान और गंभीरता से सुने।
  • उनकी प्रशंसा और उनका अभिनंदन करें।
  • लोगों को उनके नाम से सम्मान के साथ पुकारें।
  • उनके किसी सवाल या किसी समस्या को सुनकर जबाब देने से पहले तोड़ा विराम लें। एकदम से ही अपनी नेगेटिव या पॉज़िटिव राय प्रकट ना करें।
  • यदि कोई आपके इंतजार में बैठा है और आप व्यस्त है तो उस तक ये जानकारी अवश्य ही पहुँचाते रहे कि आपको यह अहसास है की वह आपका इंतजार कर रहा है।
  • यदि एक से अधिक लोगों के बीच बैठे हो तो सभी को बराबर महत्व दे।

आइए अब इन बातों से पड़ने वाले प्रभाव को समझ लें।

यदि कोई आपसे बातचीत कर रहा है तो आप उसकी बातों को धैर्यपूर्वक, ध्यान और गंभीरता से सुने। ग़लती से भी लापरवाही ना बरतें, जैसे – उसकी बात सुनते हुए इधर-उधर देखना, व्यस्त होने का नाटक करना, जम्हाई लेना, फाइल को उठाकर इधर-उधर रखना या अपने आपको अति व्यस्त प्रदर्शित करने वाले कार्य करना। इससे सामने वाले को लगता है कि आपने उसकी बात को धैर्यपूर्वक नही सुना।

जो व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह आपसे मिलने आया है, उनका मुस्कुराकर स्वागत करें, उनकी प्रशंसा और अभिनंदन करें। इससे उन्हे आत्मसंतुष्टि होगी और आपके व्यवहार को लेकर वे अच्छी राय कायम करेंगे।

लोगों को उनका नाम लेकर सम्मान से पुकारें, इससे आत्मीयता बढ़ती है और वे खुद को आपका खास और आपके अधिक करीब महसूस करते है। यदि सामने वाला व्यक्ति उम्र में आपसे इतना बड़ा है कि सीधे-सीधे नाम लेना शिष्टाचार के दायरे में ना आता हो तो आप उन्हे उनके ‘ सरनेम ‘ से संबोधित करें।

किसी की बात या समस्या को सुनकर तपाक से कोई जवाब ना दें, कुछ क्षण रुके। उनकी बात या समस्या पर गौर करें, तब समझदारी व सहजता से अपनी अच्छी-बुरी राय पेश करें।

मान लीजिए कि आप अपने कार्यालय में बैठे है और किसी कार्य या मीटिंग में व्यस्त है। ऐसे में कोई व्यक्ति आपसे मिलने आता है तो सूचना पाकर आप उस तक यह संदेश अवश्य पहुँचाए की आपको उसके आने का पता चल चुका है और पहली फ़ुरसत मिलते ही आप उनसे भेट करेंगे।

मान लीजिए कार्यस्थल या घर में आप एक से अधिक लोगों के साथ बैठे किसी समस्या या किसी विषय पर बातचीत कर रहे है तो वहाँ मौजूद सभी लोगों को आप बराबर महत्व दें।

अगर आप हमसे High quality, Impressive और SEO friendly आर्टिकल लिखवाना चाहते हो तो आप हमसे संपर्क कर सकते हो. ज्यादा जानकारी के लिए नीचे दिए गए whatsapp नंबर पे संपर्क करें.

हमारी अन्य सेवाएं

  1. Adsense approved करवाना
  2. Wordpress setup
  3. Blogger ब्लॉग को wordpress पे transfer करना
  4. किसी भी तरह की वेबसाइट बनाना
  5. Android App बनाना
हमारा whatsapp नंबर है : 9583450866
Scroll to Top