कठोर परिश्रम का फल – Result Of Hard-work In Hindi

करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
प्रमोद नाम का एक विद्यार्थी था। वह स्वभाव से सुशील पर बुद्धि में मंद था। पढ़ाई में वह हमेशा पिछड़ा रहता था। बड़ी मुश्किल से वह सातवीं कक्षा तक पहुँचा था। बेटे के मंदबुद्धि के कारण माता-पिता उससे निराश हो गए थे।

पाठशाला में शिक्षक प्रमोद को मन लगाकर पढ़ने के लिए समझाते थे। प्रमोद भी पढ़ाई पर ध्यान तो देता था, पर उसे कुछ भी याद नहीं रहता था। परिणाम यह हुआ कि वह उस वर्ष परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया।

असफलता से निराश होकर वह जंगल में आत्महत्या करने के लिए चल पड़ा। गांव के बाहर उसने एक कुआँ देखा। कुएं पर गांव की कुछ स्त्रियां पानी भर रही थी। प्रमोद को जोर से प्यास लगी थी। उसने एक स्त्री से पानी पिलाने के लिए विनती की।

पानी पीते-पीते अचानक प्रमोद का ध्यान कुएं के पत्थरों पर बने गहरे निशानों पर गया। उसने पानी पिलाने वाली स्त्री से उन निशानों के बारे में पूछा। स्त्री ने कहा – हम रोज अपने बर्तन को रस्सी से बांधकर कुएं से पानी निकालती हैं। रस्सी की बार-बार रगड़ खाने से इन पत्थरों पर ये निशान बन गए हैं।

उस स्त्री के इन शब्दों से प्रमोद की आँखें खुल गई। उसने सोचा – जब रस्सी की बार-बार की रगड़ से कठोर पत्थरों पर भी निशान बन सकते हैं, तो बार-बार याद करने से मुझे पाठ क्यों नहीं याद हो सकते? यह बोध होते ही वह घर की तरफ लौट पड़ा।

उस दिन से प्रमोद अपनी पढ़ाई में मन लगाकर जुट गया। फिर कभी उसने असफलता का मुंह नहीं देखा। उसने ऊँची शिक्षा की। एक दिन उसकी गिनती देश के बड़े-बड़े विद्वानों में होने लगी।

सीख – लगन और मेहनत से जुट जाने पर असंभव काम भी संभव हो जाता है और सफलता के द्वार खुल जाते हैं।

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