786 के पीछे का रहस्य – The secret behind 786

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, लेकिन ये तो हम लोग ही हैं जो धर्म और मजहब के नाम पर आपस में लड़ते रहते हैं, लेकिन जिसने गीता पढ़ी है और जिसे कुरान के बारे में भी मालूम है, उसे दीवाली में भी ‘अली ‘ और रमजान में भी ‘राम‘ नजर आता है। आज हम आपको बताते है कि हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र शब्द और मुस्लिमों के लिए सबसे पाक नंबर 786 में क्या अटूट और अनोखा संबंध है?

अगर आप भी इस पर गौर फरमाएंगे तो आज के बाद अल्लाह, भगवान सब एक बराबर हो जाएंगे।

तो दोस्तों आइए जानते है कि 786 के पीछे क्या रहस्य है?

786 संख्या एक रहस्य है और जब संख्या और किसी ओर रहस्य को जानने की बात आती है तो बस एक ही शास्त्र सामने आता है और वो है अंक ज्योतिष (numerology)। जिसमे अंकों के अन्दर छिपी हुई शक्ति को पहचान कर ग्रहों से जोड़ा जाता है, जो की vedic ज्योतिष का अंग है।

अब देखने वाली बात ये है कि 786 को रहस्यमय बनाने के पीछे के कारण क्या थे? जो इस संख्या का वास्तविक स्वरूप था उसे ही सबके सामने प्रस्तुत क्यों नहीं किया गया?

जैसे-जैसे श्रृष्टि का विस्तार हुआ, धर्म का रूप निरंतर परिवर्तित होता चला गया। धर्म गुरुओं ने अपने महत्व को बढ़ने के लिए निरंतर ये नियम-कानून बनाते रहे। सभी धर्मों ने अपने-अपने धर्म के पवित्र पुस्तक की छाप ली और धर्म का विवादित काफिला चल पड़ा। लेकिन वो परम शक्ति नहीं बदली जिसको आधार बनाकर धर्म का ढांचा खड़ा हुआ था।

सभी विवादित धर्म ग्रंथों के निचोड़ को यदि एक पात्र में एकत्रित कर लिया जाए तो वो विष रूपी निचोड़ को ग्रहण करने वाली शक्ति बस एक ही है और वो है परम परमेश्वर रूद्र रूप, जिन्हें शिव के नाम से भी जाना जाता है। जो निराकार है, लेकिन यदि कोई साकार रूप में पूजन करना चाहे तो शिव लिंग के रूप में भी पूजन कर सकता है।

अंकज्योतिष में 7 अंक को केतु, 8 अंक को शनी और 6 अंक को शुक्र माना जाता है।

7 अंक पुरुष तत्व और शरीर में वीर की स्थिति को प्रकट करता है। 6 अंक शुक्र तथा जन्म देने वाली शक्ति स्त्री को प्रकट करता है।

बिच में आता है 8 अंक, अर्थात शनी देव जिसे हम ज्योतिष में नपुंसक ग्रहों की श्रेणी में लेते हैं। जो की पुरुष और स्त्री के बीच संतुलन की स्थिति को बनाए रखते हैं। साधारण भाषा में समझे तो ये संख्या शिव शक्ति को प्रकट करती है।

वेदों के रहस्यों को जानने के बाद अब समझिये कि वेदों में बताए परम परमेश्वर निराकार शिव को साकार रूप में जब जाना जाता है तब त्रिशूल रूप में इन नाड़ियों को समझा जाता है। भगवान शिव की प्रतिमा को देखेंगे तो आपको हर जगह त्रिशूल के दर्शन जरुर होंगे। ये त्रिशूल हमारी शरीर की त्रिनाड़ी को भी प्रकट करता है और पूरी मानव जाती को ये शिक्षा देता है कि जीवन का परम सत्य इन तीन नाड़ियों के बीच संतुलन स्थापित करना ही है।

शिव तत्व को जो लोग निराकार रूप में पूजते हैं वो भी इन तथ्यों को नहीं नकारते कि शरीर में त्रिनाडियों का संतुलन ही हर ज्ञान का मूल है। मुस्लिम समुदाय के परम पवित्र स्थल काबा में भी शिव लिंग का ही पूजन होता है और जिस प्रकार हिंदुओं में शिव लिंग की पराक्रम का विधान है, वहां भी परिक्रमा विधान है। शिव के साकार रूप ने चन्द्रमाँ को धारण किया हुआ और मुस्लिम समुदाय में उन्ही चन्द्रमाँ को विशेष महत्व दिया जाता है। यहाँ तक की अरबी भाषा में ज्यादातर शब्द त्रिशूल के आकर या की आकृति में ही लिखे जाते हैं।

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सबसे पहले जानते हैं कि हिंदुओं के लिए पावन शब्द ॐ का क्या महत्व है?

ॐ शब्द हिंदुओं के सबसे पावन शब्दों में से एक है। कहते है कि इसको एक बार मन से कहने मात्र से ही सारे दुखों का विनाश हो जाता है और मन पवित्र और शांत हो जाता है। इसीलिए किसी भी पूजा के प्रारम्भ में ॐ शब्द का उच्चारण किया जाता है, जिससे की पूजा करने वाले जातक की पूजा स्वीकार हो जाए।

मुस्लिमों के पाक शब्द 786 का क्या महत्व है?

786 को हर एक सच्चा मुसलमान ऊपर वाले का वरदान मानता है। इसलिए धर्म को मानने वाले लोग हर कार्य में 786 अंक के शामिल होने को शुभ मानते हैं। कहते हैं कि अगर आप अरबी या उर्दू में लिखें तो ‘ बिसमिल्लाह अलराह्मन अलरहीम ‘ को लिखेंगे तो उसका योग 786 आता है। और इसीलिए ये काफी पाक नंबर है।

भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी का भी इसके साथ एक संबंध माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी वाला कहा जाता है क्योंकि वो बांसुरी बजाते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण सात क्षिद्रों से, सात स्वरों के साथ, हाथों की तीन-तीन उँगलियों से यानि 6 उँगलियों से बांसुरी बजाकर लोगों को अपना मुरीद बनाते थे। और भगवान देवकी और वशुदेव की आठवीं संतान भी थे। इसलिए हुआ न यहाँ पर भी 786 नंबर।

ॐ और 786 के एक ही रूप हैं अगर आप 786 की आकृति पर गौर करेंगे तो ये बिलकुल संस्कृत में लिखा हुआ ॐ दिखाई देगा। जिसको परखने के लिए आप 786 को Hindi की गिनती ७८६ लिखिए उत्तर खुद ब खुद मिल जाएगा।

786 के पीछे का रहस्य - The secret behind 786

दोनों ही शांति देते हैं। ॐ शब्द का वैज्ञानिक कारण भी है, कहते हैं इसे लंबी साँस खींचकर सुबह-सुबह बोलने से इन्सान के अन्दर स्वच्छ हवा का संचार होता है और वो स्वस्थ रहता है तो वहीं 786 खड़े होकर बोलिए तो समान चीजें आपके अन्दर होती हैं। तो हुई न दोनों में खास समानता। ॐ अगर हिंदुओं का पवित्र मानक है तो 786 मुस्लिमों का। दोनों ही धर्म के लोग इन दोनों चीजों से समझौता नहीं करते हैं। ॐ और 786 दोनों का मतलब एक ही है।

ॐ का मतलब शून्य होता है, तो मुसलमानों के यहां मूर्ति की पूजा नहीं होती है। लेकिन वे 786 के पैगंबर साहब के मानक के रूप में प्रयोग करते हैं। मतलब दोनों ही चीजें एक ही हैं, बस उसे मानने वाले ही अलग-अलग हो गए हैं।

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