घूमना या टहलना एक सर्वसुलभ व्यायाम है। सूर्योदय के पूर्व टहलना स्वास्थ्य-रक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी है। सुबह चलने वाली ताजी और शीतल हवा हमारे शरीर के हर अंग को ताजगी प्रदान करती है। शुद्ध वायु में गहरी साँस लेने से हमारे फेफड़े मजबूत बनते है और हमारे शरीर में ऑक्सीजन को अच्छी मात्रा में पहुँचाते है। घूमना एक कला है जिसे नियमित करने से हमें शारीरिक और मानसिक आरोग्यता मिलती है। तो चलिएआज हम सुबह-सवेरे घूमने के फायदे के बारे में चर्चा करेंगे।
मिलती है मानसिक शांति
दिन भर हम अपने काम में व्यस्त रहते है और तरह-तरह की समस्याओं का सामना करते है जो हमें थकान और तनाव देती है, इससे हमारी कार्य क्षमता प्रभावित होती है। जिसका इलाज सुबह की सैर है। सुबह –सुबह टहलने से हमें शुद्ध और ताजी हवा मिलने से हमारी मानसिक उलझन दूर होती है और मानसिक शांति भी मिलती है।
आँखों को मिलती है शक्ति
tahalne ke fayde- नंगे पैर सुबह की ओस में घूमने से पैर के नर्व को हवा तथा मिटटी की ठंडक का लाभ मिलता है, जो हमारी आँखों को भी ठंडक पहुंचता है और आँखों को शक्ति और रोशनी मिलती है।
कब्ज होती है दूर
घूमने के पूर्व थोड़ा सदा गर्म पानी और नींबू पीना लाभकारी होता है। इससे शौच की प्रेरणा होती है। प्रतिदिन घूमना शुरू कर देने से पुरानी कब्ज भी दूर हो जाती है।
बढती है भूख और वजन
घूमने के बाद भूख बढ़ जाती है। कमजोर रोगियों को चाहिए की अपना वजन बढ़ाने के लिए सुबह टहलने के बाद दूध-फल आदि का कुछ पौष्टिक नाश्ता करना चाहिए।
वजन भी होता है कम
घूमने के बाद थोड़ा आराम करने के बाद वजनी लोगों को वजन घटाने के लिए सादा नींबू और पानी पीना चाहिए। जिससे तेजी से वजन कम होती है।
शरीर की सुस्ती दूर होती है
tahalne ke fayde- सुबह की ताजी हवा में तेजी से घुमने से शरीर को शुद्ध वायु मिलती है। और ऑक्सीजन ब्लड को अच्छी तरह से शुद्ध कर देता है। जिससे शरीर की सुस्ती दूर हो जाती है।
थकान दूर होती है
टहलने के दो उद्देश्य हो सकते है -1-व्यायाम के द्वारा हल्की थकान लाने के लिए। 2- थकान को दूर करने के लिए। सुबह-सुबह गहरी साँस लेते हुए हल्का टहलने से थकान दूर हो जाती है।
टहलने के विशेष नियम
- चुस्त जूते न पहने, चमड़े का जूता पहन सकते है।
- घूमते वक्त समय कपड़े हल्के ढ़ीले और पतले हो और कम से कम हो, ताकि शरीर के हर अवयव को हवा मिले और चलने में रूकावट न हो।
- सर्दी में उचित गर्म कपड़े पहनकर ही टहले।
- घूमते समय यह ध्यान दे की शरीर के प्रत्येक अंग का थोड़ा बहुत व्यायाम हो जाये।
- ह्रदय रोगी को गहरी साँस लेते हुए धीमी गति से घूमना चाहिए।
- जिन्हें हर्निया हो उन्हें पेट पर पट्टी बाँधकर घूमना चाहिए।
- जिनके आंत और गर्भाशय अपने स्थान से नीचे उतर गए हो तो लंगोट या विशेष रूप से बना पट्टा बाँधकर ही धीरे-धीरे ही घूमना चाहिए।
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