अपने दाँतों को सुन्दर और स्वस्थ्य बनने के लिए क्या करे?

सफ़ेद, सुन्दर और मोतियों के समान चमकीले दाँत चेहरे के सौंदर्य को बढ़ाने वाले होते हैं। दाँत न हो तो चेहरा सौन्दर्यहिन हो जाता है। इसलिए दाँतों के प्रति कभी उपेक्षा का भाव नहीं रखना चाहिए। दाँत गंदे होने से सांस भी दुर्गंध युक्त हो जाता है। इसलिए दाँतों को स्वच्छ रखना व उनकी उचित देखभाल करना प्रत्येक स्त्री/पुरुष का पहला कर्त्तव्य है।

किसी भी नवयुवती के दाँतों का असमय गिरने या मसूड़ों के खराब होने का उत्तरदायित्व और किसी पर नहीं, खुद उसी पर है। इसलिए सुबह तो दाँत साफ करने ही चाहिए, इसके अलावा हरेक खाने के बाद तुरंत कुल्ला करना भी अत्यंत आवश्यक है। रात्रि के भोजन के पश्चात् दाँतों में अटके भोजन के कण निकालने के लिए दाँतों पर brush करना बहुत आवश्यक है।

ध्यान रहे सुन्दर तथा स्वस्थ दाँत आपके मुख (face) की सोभा भी है और साथ ही उत्तम स्वास्थ का प्रमाण भी। इसलिए इन्हें मोतियों जैसे चमकदार, सुन्दर तथा आकर्षक बनाए रखने के लिए इन पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।

ख़राब और सड़े दाँतों के कारण मुंह से बदबू आने लगती है। इसका हानीकरक प्रभाव मसूड़ों पर भी पड़ता है और वो ढीली व कमजोर होने लगते है तथा उनसे मवाद और पीव आने लगता है। इसका मुख्य कारण केवल वही है कि अधिकांश युवतियां और महिलाएं दाँतों की सफाई पर समुचित ध्यान नहीं देती है।

यदि आपके दाँत खराब हो गये हों या उनकी जड़ों पर तथा पिछले भाग में पीले या काले रंग की मैल की पपड़ी जमा हो गई हो तो उन्हें तुरंत किसी योग्य दंत-चिकित्सक (dentist) की सहायता से साफ करा लेना चाहिए ताकि दाँतों से होने वाला हानिकारक प्रभाव मसूड़ों आदि पर न पड़ने पाए।

गलत खान-पान तथा दोनों की सफाई में लापरवाही रखने से आपके मसूड़े कमजोर पड़ सकते हैं और उनके कमजोर पड़ने से तथा दाँतों की जड़ों में जमें हुए मैल के प्रभाव से कुछ दिनों बाद इसमें से खून आने लगता है। यह पायरिया की शुरुआत है।

इन लक्षणों के प्रकट होते ही सावधान हो जाएँ और तुरंत इसका उपचार (check-up) करा लें अन्यथा रोग बढ़ जाने पर इसका निदान असंभव सा ही हो जाता है। आखिर में दाँतों के निकलवाने के अलावा कोई और चारा नहीं रहता है।

जब पायरिया चरम सीमा पर पहुँच जाता है तो मसूड़ों की जड़ों में से खून की सीमा पर मवाद या पीव निकालने लगता है और यह लार तथा थूक के साथ पेट के अंदर जाकर शरीर में अनेक प्रकार के उपद्रव पैदा कर सकता है। अच्छा तो यही है कि समय रहते इनकी सफाई पर पूरा ध्यान दिया जाए।

आप मुंह खोले तो प्रतीत हो कि ये दाँत नहीं बल्कि मोती की लडियां हैं। आपके दाँत जीवन भर आपका साथ दें इस तरह से इनकी रक्षा करें।

आजकल दाँतों से संबंधित अनेक रोग देखने में आते हैं। जरा सा लापरवाही से कोई भी युवती या महिला अपने जीवन के अनेक सुखों से वंचित हो सकती है। दाँत खराब होने से वो भोजन भी ठीक प्रकार से नहीं कर पाएंगी।

भोजन से प्राप्त रसों का निर्माण भी उचित प्रकार से नहीं होगा। इस रस-हीनता के कारण अनेक रोग शरीर को घेर कर बैठ जाएंगे। इस स्थिति से बचने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है।

जो चीज भी आप खाए-पिए उसके तुरंत बाद साफ पानी से अच्छी तरह कुल्ला अवश्य कर लें ताकि उनके कण यदि दाँतों में फंसे रह गए हों तो वो निकल जाएँ और दाँतों में किसी भी प्रकार का सड़ाव उत्पन्न न होने पाए।

प्रात;काल के समय तथा रात्रि को सोने से पहले दाँतों को brush अवश्य कर लें।

अधिक ठंडी या अधिक गर्म चीजें न जाएं, क्योंकि इससे मसूड़ों को हानी पहुँचती है। इसके अलावा एक यह बात भी ध्यान रखें कि अधिक ठंडी चीज के बाद गर्म और गर्म के बाद ठंडी चीज का प्रयोग करने से बचे।

मसूड़ों को सुदृढ़ बनने के लिए प्रतिदिन नियमित रूप से उनकी मालिश भी किया करें। मसूड़े मजबूत रहेंगे तो दाँत भी टिके रहेंगे।

प्रतिदिन कम से कम दो बर किसी mouthwash को पानी में डालकर अच्छी तरह कुल्ला करें।

मसूड़े के किसी भी रोग के लिए dentist से consult करें।

दाँतों तथा मसूड़ों को स्वस्थ रखने के लिए यह आवश्यक है कि अपनी पाचन-क्रिया (digestion) ठीक रखी जाए। पेट व अंतड़ियों से सड़ा हुआ मल भी मसूड़ों तथा दाँतों को हानी पहुँचता है।

दूसरे के जूठे बर्तन में भोजन करने का प्रयास न करें। विशेष रूप से उनके जूठे बर्तनों में कोई वस्तु न खाए न पिएं जिन्हें पायरिया आदि की कोई शिकायत हो।

दाँतों को किसी भी सीक, तार या पिन आदि से कुरेदने लग जाना भी अच्छी आदत नहीं है। इससे दाँतों तथा मसूड़ों को हानी पहुँचने की संभावना रहती है। यदि दाँतों की दरार वाले खानों के बीच में अन्नादि के कण आदि फँस गया हो तो उन्हें नीम की सीक या साथ tooth-pick की सहायता से निकाल देना चाहिए।

जिस प्रकार अधिक ठंडे पदार्थों के बाद अधिक गर्म पदार्थों के सेवन से हानी होती है और दाँतों की प्राकृतिक चमक के लोप हो जाने का भय रहता है, उसी प्रकार अधिक खट्टी वस्तु के सेवन के पश्चात् तुरंत मीठा खाना भी हानी पहुँचता है।

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