बात करने की कला आपके सुंदरता को निखारती है

आज कल होने वाली फैशन प्रतियोगिता में बोलने की कला और हाज़िर जवाब का होना बहुत जरूरी होता है। प्रतियोगिता से अलग हटके देखें तो भी बोलने का सलीका आना किसी गैर को अपना बनाने के लिए, किसी के साथ घुल मिल जाने के लिए बहुत आवश्यक है। ऐसे इंसान सबका मन मोह लेते हैं। अगर सुन्दर भी हो तो कहना ही क्या?

लोग सिर्फ हमारे शब्दों का ही मतलब नहीं लगाते, बल्कि हमारे हाव-भाव, बोलने के लहजे आदि तमाम बातों पर ध्यान देते हैं। कई बार हम अपने शब्दों से नहीं, बल्कि हाव-भाव या लहज़े से दूसरों की भावनाओं को चोट पहुँचाते हैं।

ये जरूरी नहीं कि ऐसा जानबूझ कर ही किया जा रहा हो। ऐसा अनजाने में भी हो सकता है। लोग हमसे दूर होने लगते हैं और हम जान ही नहीं पाते कि ऐसा क्यों हो रहा है।

बात करने की कला क्या है?

बात करने की कला आपके सुंदरता को निखारती है
Baat karne ki kala..

जब भी कोई असभ्य ढंग से बातचीत करे तो सामने वाले को संदेश जाने लगता है और ये बेअदबी तब आती है जब व्यक्ति अपनी natural style में बातें न करके भारी-भरकम शब्दों के इस्तेमाल करने लगे, बहुत ही शुद्ध और किताबी भाषा बोलने की कोशिश करें।

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दूसरों को impress करने की इस कोशिश का असर उल्टा होता है। लोग impress तो होते हैं, पर impress नकारात्मक पड़ रहा होता है। बातचीत में बेअदबी उस समय भी आती है जब आप घबरा रहे हों। खास तौर पर अपने बड़े officer से मिलते समय। जब कभी ऐसा लगे तो घबराहट पर काबू करने की कोशिश के बदले बातचीत पर concentrate करना चाहिए। बातचीत करते समय eye contact बनाए रखना चाहिए।

आँखें चुराने से सामने वाला आप में confidence की कमी महसूस करता है। उसे ये लगता है कि जो बातें आप कह रहे हैं वो सच नहीं है या उन बातों पर खुद आपको ही यकीन नहीं है। उसे भी लगेगा कि आप उनकी बातों में interest नहीं ले रहे है। बातचीत के दौरान आँखें नीचे रखे, हाथों को मलने, नाखून चबाने, होठ काटने आदि से confidence और interest की कमी का ही पता चलता है।

अपनी बात को ज्यादा घुमाने फिराने के बदले सहज और सरल ढंग से कहना चाहिए। ये सामने वाले को impress करने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। बातचीत के दौरान आपके voice का भी काफी असर पड़ता है। आपकी आवाज़ न तो loud हो कि सामने वाले का काम के पर्दे झनझनाते हुए लगे और न ही इतनी धीमी हो कि आपकी बात सुनने के लिए उसे बहुत जोर लगाने पड़े।

इस बात का हमेशा ध्यान रखने चाहिए कि सामने वाला आपकी बात तभी सुनेगा जब आप उसकी बातों पर भी उतना ही ध्यान देंगे। बहुत से लोगों में ऐसा trend होता है कि वे सिर्फ अपनी कहते चले जाते हैं। सामने वाला कुछ कहना चाहे भी तो भी उसकी बात काटते रहते हैं।

ऐसे लोग से कोई बता करना नहीं चाहत। ये जरूरी है कि सामने वाले को अपनी बात कहने का पूरा मौका दिया जाए।

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