दोस्त हो तो ऐसा – सच्चे दोस्त की कहानी

सच्चे दोस्त की कहानी – लक्ष्मण और महादेव गहरे दोस्त थे। वे दोनों मछुए थे और समुद्र के पास एक गांव में रहते थे। लक्ष्मण की शादी हो चुकी थी और वह एक बच्चे का पिता था। महादेव अभी अविवाहित था।

एक दिन दोनों दोस्त एक ही नाव में बैठकर समुद्र में मछली पकड़ने के लिए निकले। वे सागर में दूर तक पहुँच गए। उसी समय अचानक आकाश का रंग बदला। तूफानी हवा चल पड़ी और सागर में ऊँची-ऊँची लहरें उछलने लगी। दोनों दोस्त जिस नाव में बैठे थे, वह पुरानी थी। तूफानी लहरों से वह टूट गई। उसका एक तख्ता अलग हो गया।

दोनों दोस्त उसी तख्ते को पकड़ कर किनारे पहुँचने की कोशिश करने लगे, पर वह तख्ता मुश्किल से एक ही आदमी का भार संभाल सकता था। दोनों को लगा कि इस तरह तो हम दोनों ही डूब जाएंगे।

उस हालत में महादेव ने कहा – लक्ष्मण, तुम इस तख्ते की सहायता से किनारे चले जाओ। मैं इसे छोड़ रहा हूँ। तुम पर पत्नी और बच्चे की जिम्मेदारी है। मेरी तो बस एक बूढ़ी माँ ही है। तुम मेरी माँ की भी देखभाल करते रहना।

लक्ष्मण चिल्लाया – नहीं

किन्तु तब तक तो महादेव तख्ता छोड़ चुका था। देखते ही देखते वह तूफानी लहरों में समा गया। लक्ष्मण किसी भी तरह किनारे पहुंचा।

महादेव की मौत पर सारे गाँव में शोक मनाया गया। सबके होठों पर एक ही बात थी – दोस्त हो तो महादेव जैसा।

सिख – सच्ची दोस्ती निस्वार्थ और त्यागपूर्ण होती है।

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