सच्चा प्रेम – एक प्रेरक कहानी

एक बहुत ही सुन्दर जंगल था। उसमें फूलों और फलों से लदे हुए तरह-तरह के हरे भरे पेड़ थे। उन पेड़ों पर अनेक तरह के पक्षी रहते थे। वे मीठे-मीठे फल खाते, झरने का ठंडा पानी पीते और मधुर गीत गाते थे।

एक दिन भगवान सैर करते-करते उस जंगल में आएं। वहां का मोहक वातावरण और अनोखा सौंदर्य देखकर वे दंग रह गए। वे वन में इधर-उधर घूमने लगे।

सच्चा प्रेम - एक प्रेरक कहानी
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घूमते-घूमते वे एक जगह पर रुके। वह एक विशाल सूखे पेड़ पर एक तोता बैठा हुआ था। उसे देखकर भगवान को बड़ा आश्चर्य हुआ। तोता बहुत दुखी लग रहा था। जिज्ञासावश भगवान ने उससे पूछा – इस हरे-भरे और फलों से संपन्न जंगल में सभी पक्षी आनंद से रहते हैं। फिर तुम इस सूखे पेड़ पर अकेले और उदास क्यों बैठे हो?

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तोते ने उत्तर दिया – है भगवान, पहले ये पेड़ भी हरा-भरा था। कभी इस पेड़ पर भी सुगंधित फूल और मीठे-मीठे फल लगते थे। इसने वर्षों तक मुझे आश्रय दिया, अपने मीठे फल खिलाए और आंधी-पानी तथा तूफान में मुझे सुरक्षा दी। मेरा जन्म भी इसी के एक कोटर में हुआ था। अब बुरे दिनों में इस पेड़ का साथ कैसे छोड़ दूँ?

तोते की बात सुनकर भगवान बहुत खुश हुए।

उन्होंने कहा – इस पेड़ के प्रति तुम्हारे सच्चे प्रेम से मैं बहुत प्रसन्न हूँ। मैं इस सूखे पेड़ को फिर से हरा-भरा कर देता हूँ।

भगवान के ऐसा कहते ही वह पेड़ फिर से हरा भरा हो गया और फलों से लद गया।

यह देखकर तोते की खुशी का ठिकाना न रहा।

सिख – हमें किसी के उपकार को कभी नहीं भूलना चाहिए। बुरे दिन आने पर भी अपने आश्रयदाता का परित्याग नहीं करना चाहिए।

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