गेहूँ के जवारे का रस और उसके फायदे

गेहूँ के पौधे में शरीर की अंदरूनी सफाई करने और उसे स्वस्थ रखने की अदभुद शक्ति है। अमेरिका की एक विख्यात महिला प्राकृतिक चिकित्सक डॉक्टर विगमोर कहती है कि संसार में ऐसा कोई रोग नहीं है जो इस रस के सेवन से अच्छा न हो सके। बुढ़ापे की कमज़ोरी दूर करने में तो यह बहुत कारगर है।

गेहूं के पौधों में सर्वाधिक पौषक तत्व व जीवनदायी तत्व है। रासायनिक जांच से पता चला है कि गेहूं के पौधे का रस हमारे रक्त से बहुत मिलता-जुलता है। गेहूं के पौधे में मैग्नीशियम कण (magnesium particle) है, जबकि हमारे रक्त में आयरन। इन विशेषताओं के कारण गेहूं के पौधे का रस रक्त और गाड़ियों की सफाई में अत्यंत उपयोगी है।

गेहूँ के जवारे / गेहूं घास का रस कैसे निकले?

गेहूँ के जवारे का रस और उसके फायदे

रस बनाने की विधि

दस-बारह मिट्टी के गमलों में अच्छी मिट्टी भरकर, उसमे प्रतिदिन बरी-बरी से उत्तम गेहूँ के दाने बो दीजिए और छाया में या फिर कमरे या बरामदे में रखकर, कभी-कबार थोड़ा-थोड़ा पानी डालते जाइए। धुप न लगे तो अच्छा है। जिस मिट्टी में गेहूँ बोया जाए उसमे रासायनिक खाद नहीं होना चाहिए। गोबर की खाद डालनी चाहिए। तीन-चार दिन बाद पौधे उग जायेंगे और दस-बारह दिन में सात-आठ इंच के हो जायेंगे।

तब उसमे से पहले दिन बोए हुए 30-40 पौधे जड़ सहित उखाड़कर जड़ को काटकर फेंक दें और बचे हुए डंठल तथा पत्नियों को जिसे जिसे गेहूँ का जवारा (wheatgrass) कहते है, धोकर साफ सिल पर थोड़ा पानी के साथ पीसकर, आधे गिलास के करीब रस छानकर तैयार कर लीजिए और रोगी को तत्काल व ताजा रस रोज सवेरे पिला दीजिए। इसी प्रकार शाम को भी ताजा तैयार कर पिलाइये।

रस निकालने के झंझट से बचना चाहें तो आप उन पौधों को चाकू से महीन-महीन काटकर भोजन के साथ सलाद की तरह भी सेवन कर सकते है, लेकिन उसके साथ कोई फल न मिलाया जाए। साग-सब्जी मिलाकर खूब शौक से खाए।

गेहूँ का रस

  • इसके साथ-साथ फार्म का आधा किलो गेहूँ लेकर धो लें और किसी बर्तन में डालकर उसमें दो गिलास पानी भर दें। बाहर घंटे तक भींगने दें।
  • फिर इसे छानकर पानी में शहद मिलाकर पीयें। इस प्रकार गेहूँ का शरबत रोजाना पिने से कोई रोग पास नहीं आएगा। बचे हुए गेहूँ को सुखाकर आटा पिसवा सकते है।
  • गेहूँ के रस के सेवन से बाल भी कुछ समय बाद काले हो जाते है। शरीर में ताकत बढ़ाने के साथ-साथ मूत्राशय की पथरी (Urinary stones) भी ठीक हो जाती है। भूख खूब लगती है। आँखों की ज्योति बढ़ती है।
  • यह रस घूंट-घूंट पीना चाहिए। रस लेने के पूर्व तथा बाद में एक घंटे तक कुछ भी न खाया जाए। शुरू में कइयों को उल्टी होगी। दस्त लगेंगे या सर्दी मालूम होगी। यह सब रोग निकालने की निशानी है। रस में खाने का कोरा पान या अदरक मिला सकते है। जिससे स्वाद व गुणों में वृद्धि हो जाएगी। रस में निम्बू या नमक नहीं मिलाना चाहिए।

सदा निरोग रहने का गुण

गेहूँ का शरबर शारीरिक शक्ति व स्फूर्ति देता है। फार्म का गेहूँ एक बर्तन में डालें और इससे दोगुना पानी डालकर 12 घंटे तक भीगने दें। फिर इसे छानकर पानी में शहद मिलाकर पिएं।

आज आपने क्या जाना?

आज आपने जाना कि गेहूँ के जवारे का रस कैसे निकला जाता है और साथ में ये भी जाना कि गेहूँ के जवारे के फायदे क्या-क्या हैं। अगर आप भी निरोगी रहना चाहते हो और स्वस्थ जीवन जीना चाहते हो तो आपको भी गेहूँ के जवारे का रस पीना चहिये। अगर आपको कुछ कहना हो तो comment जरुर करें। धन्यवाद

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