ईमानदारी का पुरस्कार – बच्चों की कहानी

ईमानदारी का पुरस्कार – बच्चों की कहानी। शाम का समय था। मुम्बई शहर की सड़कों पर बसों, टेक्सियों और लोगों की बहुत भीड़ थी। रामदास अपने ऑफिस से निकलकर घर लौटने के लिए अपनी कार में बैठ रहे थे। उस समय उनका बटवा (money purse) जेब से गिर गया, किन्तु उन्हें इसका पता न चला। वे कार में बैठकर चल दिए।

उस समय सोहन नाम का एक गरीब विद्यार्थी स्कूल से अपने घर लौट रहा था। उसने वह money purse देखा तो उसे फौरन उठा लिया। घर पहुंचकर उसने purse खोला तो उसमें कुछ रसीदें और दस हजार रूपए थे। पलभर में उसके मन में नया बल्ला और गेंद, साइकिल, घड़ी आदि खरीदने और मौज उड़ाने के विचार आए।

उधर सेठजी ने घर पहुंचकर money purse की काफी तलाश की, पर purse न मिला।

दूसरे दिन सोहन स्कूल में जाकर headmaster से मिला। उसने सारा हाल बताकर वह purse headmaster को सौंप दिया। Headmaster बहुत खुश हुए और उन्होंने purse के बारे में अखबार के खबर छपवा दी। यह खबर पढ़कर सेठजी स्कूल में आए और headmaster से मिले। उचित प्रमाण पाकर headmaster ने उनको वह purse लौटा दिया।

बालक सोहन की ईमानदारी पर सेठजी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सारे रूपए उस ईमानदार बालक की उच्च शिक्षा के लिए उसके माता-पिता को दे दिए।

सोहन पढ़-लिखकर बड़ा हुआ, तब सेठजी ने उसे घर पर बुलाया और सम्मानपूर्वक अपने ऑफिस से मैनेजर के पद पर नियुक्त कर दिया। इस प्रकार सोहन ने ईमानदारी और लगन से बहुत तरक्की की।

सीख – ईमानदारी और नेकी अच्छे गुण हैं। उनका फल अच्छा ही मिलता है।

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