सास बहू का रिश्ता कैसा होना चाहिए?

किसी भी joint family में सास ओर बहू ज्यादातर समय एक-दूसरे के साथ गुजरती है क्योंकि दोनो पर ही घर के कम की जिम्मेदारी होती है। घर में अशांति का मुख्य कारण भी सास और बहू के बिगड़े हुए रिश्ते ही होते है। इनके बीच झगड़े की वजह से अनेक तनाव तो होती ही है, कई बार घर की बुजुर्ग महिला यानी सास का अपरिपक्व व्यवहार भी झगड़े का कारण बनता है। सास का आत्मसम्मान उसे चिड़चिड़ा बना देता है।

सास आपने बहू के आने पर उसे अपने प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखती है और उसके आने से उसे अपना पद कम होता हुआ दिखाई देता है (saas bahu ka rishta kaise hona chahiye)। इसी डर की वजह से सास अपनी बहू को नीचा दिखाने के उपाय सोचती रहती है। अपने पद को बनाए रखने के लिए घर के सारे काम बहू को सौंप देती है और अपने हुक्म को पूरा करने के लिए दबाव बनाती है।

अपना रोब जमाने के लिए उस पर तानाशाही का सहारा लेती है, उसको अपने प्रभाव में बनाए रखने के लिए बेटे के मन में उसके प्रति जहर भरती रहती है, ताकि बहू उसकी कृपा पर निर्भर हो जाए, साथ ही बेटे के मन में अपनी माँ की अहमियत बनी रहे। ऐसे दोगले व्यवहार के कारण बहू सास के प्रति बागी हो जाती है और परिवार में तनाव बढ़ने लगता है।

सास बहू का रिश्ता (Relation) कैसा होना चाहिए?

दूसरी तरफ घर में आने वाली बहू अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही होती है। वो भी चाहती है कि उसकी बातों का भी परिवार में अहमियत हो, उसकी इच्छाओं की भी कदर हो, परिवार के फैसले में उसका भी दखल हो।

सास बहू का रिश्ता कैसा होना चाहिए?

वो भी कही ना कही अपना पद बनाने कि इच्छा रखती है। ज़्यादातर पद पाने की वजह से ही सास-बहू के बीच टकराव पैदा होता है। सास-बहू के रिश्ते को मधुर बनाने के लिए सास के व्यवहार में उदारता, धैर्य और त्याग कि भावना होना ज़रूरी है।

अपने सभी रिश्तेदार को मायके छोड़ कर आई बहू को प्यार भरा व्यवहार ही नये परिवार के साथ जोड़ सकता है, उसे अपनापन का एहसास करा सकता है और उसके मन में सम्मान और समर्थन की भावना पैदा कर सकता है।

बहू को सिर्फ़ काम करने वाली मशीन ना समझ कर परिवार का सम्मानित सदस्य माना जाए, उसके सोच, भावनाओं को अहमियत दिया जाए, उससे परिवार के जरूरी फैसले ली जाए, तो परिवार की सुख शांति बनी रह सकती है। अगर सास घर के सारे काम बहू को ना सौंप कर खुद भी उसके हर काम में सहायता करती है तो उसका खुद का स्वास्थ्य भी बना रहेगा और परिवार का वातावरण भी मधुर बना रहेगा।

क्योंकि शरीर को स्वास्थ्य रखने के लिए इसे सक्रिय रखना जरूरी है, निष्क्रिय शरीर जल्द बीमारियों का घर बन जाता है, तो फिर क्यों ना काम-काज में सक्रिय रह कर अपने शरीर को स्वास्थ्य रखा जाए और परिवार में मधुर वातावरण भी बना रहे।

सास का सभ्य, धैर्य और उदारता भरा व्यवहार और परिवार के सदस्यों के प्रति त्याग की भावना हो तो ज़रूर ही परिवार में सुख और शांति का वास होगा। बहू को अपनी बेटी के समान प्यार देकर ही सास अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकती है।

सास को ये नही भूलना चाहिए की वो भी कभी बहू बन कर ही इस परिवार में आई थी, जो बातें उसे बहू के रूप में अपनी सास की बुरी लगती थी, वो बातें अपनी बहू के साथ ना दोहराए। कुछ बातें तुम्हारी भी ससुराल वालो ने सहन की होगी, इसलिए तुम्हारी बारी है अपना बड़प्पन दिखाने की। छोटी-छोटी गलतियों पर उसका अपमान ना कर माफ करने की नेचर होनी चाहिए।

जिस तरह सास की जिम्मेदारी बड़े होने के नाते बनती है, उसी तरह बहू को अपने ससुराल वालो का मान जीतने की इच्छा होनी चाहिए। उसे ये समझना चाहिए कि ससुराल में किसी भी सदस्य के साथ उसका खून का रिश्ता नही होता इसलिए सभी सदस्य के काम-काज में सहयोग देकर, उनके साथ अच्छा व्यवहार करे।

उन्हे प्यार प्यार और सम्मान देकर ही उनके मन में और परिवार में अपनी जगह बनाई जा सकती है। बहू की जिम्मेदारी ये है कि वो अपने सास-ससुर को माता-पिता की तरह प्यार और सम्मान दे, उनके हर काम में मदद करे। अगर उनका व्यवहार बहुत अच्छा है तो उन्हे भगवान के समान मानना चाहिए। उन्हे प्यार और सम्मान देकर वो अपने पति के दिल को जीत सकती है।

अगर बहू अपने सास-ससुर के साथ कुछ बातों को अपनाए तो जरूर ही वो सबका दिल जीतने में कामयाब हो सकती है।

  • बुज़ुर्गो के जन्मदिन, शादी कि सालगिरह पर उनकी पसंद के फूल और उनकी प्यारी चीज़ उन्हे गिफ्ट करे। ऐसे अवसर पर उन्हे candle dinner पर ले जाए और घर पर उनकी पसंदीदा खाना बनाए। उनके चेहरे पर आने वाली खुशी और संतोष आपको अच्छा महसूस कराएगी और उनके दिलो में आपके लिए प्यार और स्नेह बढ़ेगा।
  • कुछ समय निकाल कर परिवार के बुज़ुर्गो के साथ बैठकर समय बताए, उनकी भावनाओं को समझे उनकी physical और mental problem को सुने, उनकी पुरानी यादों को share करे। इस तरह से उनके मन का बोझ हल्का होगा।
  • अपने बच्चों से अपने दादा-दादी के साथ समय देने का request करे। बच्चों को उनके ज्ञान का लाभ मिलेगा, वही बुजुर्ग को परिवार में अपना अहमियत दिखाई देगा। साथ ही बच्चों की naughty हरकत, सरारतो से उनका मनोरंजन भी होगा
  • अपने काम और व्यवहार के ज़रिए उनका दिल जीत कर उनके emotion का फायदा उठा सकती है और परिवार को ख़ुशियों से भर सकती है। बुरे समय में भी बुज़ुर्गो का अनुभव और उनकी सलाह मददगार हो सकते है।

जिस तरह से बहू के लिए कुछ व्यवहार परिवार के लिए फयदेमंद हो सकते है उसी तरह सास के लिए कुछ व्यवहार परिवार की शांति बनाए रख सकती है।

  • बहू को ताना देने से बचे, कोई ग़लती नज़र आने पर उसे प्यार से समझाए, अगर वो आपकी सलाह को सम्मान नही करती तो दोबारा वही सलाह मत दीजिए।
  • पोते-पोती को प्यार दे, उनकी परवरिश में जितना हो सकते मदद करे।
  • घर के काम-काज में अपनी क्षमता के मुताबिक मदद करे।
  • बहू के मायके वालो का सम्मान करे, प्यार दे, समय-समय पर बहू को मयके वालो से मिलने के मौके दे।
  • उसके मायके वालो का अपमान कभी ना करे। उनका अपमान का मतलब है बहू के मन में अपने प्रति कड़वाहट पैदा करना, अपने प्रति सम्मान को कम करना।
  • बहू को मायके से अगर कोई तोहफा आता है तो उसे नतमस्तक होकर अपनाए, उसमे बुराई निकाल कर बहू का अपमान ना करे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top